Sixth Sense: आप भी जाग्रत कर सकते हैं अपना तीसरा नेत्र, इस छठी इंद्री का रहस्य है अद्भुत

Sixth Sense: लगातार ध्यान लगाने से जाग्रत हो सकती है छठी इंद्री। कुंडलिनी जागरण होने पर आज्ञा चक्र के खुलने को ही माना जाता है तीसरे नेत्र का खुलना। ध्यान, धारण, समाधि से इस तरह से जाग्रत कर सकते हैं तीसरा नेत्र। यहां समझें छठी इंद्री से जुड़ी सभी जरूरी बातें।

Third eye power

तीसरे आंख की शक्ति

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • कुंडलिनी जागरण से जाग्रत कर सकते हैं तीसरा नेत्र
  • छठी इंद्रिय शक्ति आज्ञा चक्र खुलने पर होती है प्राप्त
  • रहस्यों को जानने की शक्ति मिलती है तीसरे नेत्र से
Sixth Sense: त्रिनेत्र का विवरण शास्त्रों में बखूबी दिया गया है। भगवान शिव को त्रिनेत्र कहा गया है। यह तीसरा नेत्र आंतरिक नेत्र या ज्ञान नेत्र कहा जाता है, जिससे बाहर की सारी वस्तुएं, भाैतिक पदार्थ आदि देख सकते हैं लेकिन इस तीसरे नेत्र के माध्यम से उन गुप्त रहस्यों को भी देख सकते हैं, जिन्हें सामान्य नेत्रों से नहीं देखा जा सकता। इस तीसरे नेत्र को ही आत्म चक्षु या छठी इंद्री कहा जाता है।
आज्ञा चक्र जाग्रत होते ही एक्टिव होती है छठी इंद्री
शरीर में स्थित आज्ञा चक्र के जाग्रत होते ही साधक को किसी भी मनुष्य के जीवन के बारे में पूरा−पूरा ज्ञान हो जाता है। वह क्षण मात्र में ही भूत” भविष्यकाल को जान लेता है। इस तरह से जाग्रत योगी एक स्थान पर बैठा−बैठा पूरे विश्व की हलचल को अनुभव कर लेता है और आज्ञा चक्र के माध्यम से ही यह भी जान लेता है कि आने वाले समय में विश्व में कहां पर क्या घटनाएं हो सकती हैं। आज्ञा चक्र को ही तीसरा नेत्र कहा गया है। जो शक्ति तीसरा नेत्र या आज्ञा चक्र के खुलने पर प्राप्त होती है उसी को छठी इंद्रीय या सिक्स्थ सेंस कहते हैं। छठी इंद्रिय के मध्यम से व्यक्ति उन रहस्यों को जान सकता है जो सर्वथा गोपनीय और महत्वपूर्ण होते हैं।
छठी इंद्रिय के जाग्रत होने के लक्षण
किसी व्यक्ति को देखते ही मन में स्वतः यह भाव पैदा हो जाता है कि यह व्यक्ति बदमाश या धूर्त है। या वो व्यक्ति धाेखेबाज है। आगे चलकर यह बात सत्य होती है। इसी चेतना को ही छठी इंद्रिय कहा गया है। यदि व्यक्ति शुद्ध भावना से मन की आंतरिक चेतना से किसी तरह की बात कह देता है तो वह कार्य संपन्न हो जाता है, इस क्रिया को ही हमारे शास्त्रों में श्राप या आशीर्वाद कहा गया है।
कुंडलिनी जागरण के महत्वपूर्ण
ध्यान, धारणा, समाधि या कुंडलिनी जागरण के द्वारा ही मन की इस छठी इंद्रीय का विकास होता है। निरंतर अभ्यास करने पर मनः शक्ति बढ़ा सकते हैं। प्राचीन ग्रंथाें के अनुसार कुंडलिनी जागरण कर चक्रों को जाग्रत करने से या नित्य आधा घंटा किसी एकांत स्थान पर बैठकर ध्यान लगाने से स्वयं में इस अद्वितीय शक्ति का अनुभव किया जा सकता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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