Som Pradosh Vrat Puja Vidhi: आज है सोम प्रदोष व्रत, जान लें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और फायदे
Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi And Shubh Muhurat (सोम प्रदोष व्रत विधि): सोमवार में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत और चंद्र प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। चलिए आपको बताते हैं सोम प्रदोष व्रत कैसे रखा जाता है। इसकी विधि और शुभ मुहूर्त क्या है।
Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi
Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi And Shubh Muhurat (सोम प्रदोष व्रत विधि): सनातन धर्म में सोम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं इस व्रत को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इतना ही नहीं जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब होती है उनके लिए भी ये व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी सोम प्रदोष व्रत उत्तम माना गया है। 27 जनवरी को ये व्रत रखा जाएगा। जान लें इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
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सोम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 2025 (Som Pradosh Vrat Puja Muhurat 2025)
सोम प्रदोष व्रत 2025 | 27 जनवरी 2025, सोमवार |
सोम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 2025 | 06:24 PM से 08:34 PM |
सोम प्रदोष व्रत का प्रारंभ | 26 जनवरी 2025 की रात 08:54 बजे |
सोम प्रदोष व्रत का समापन | 27 जनवरी 2025 की रात 08:34 बजे |
- प्रदोष व्रत रखने वाले लोगों को सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए।
- इसके बाद स्नान करके साफ कपड़े पहनकर भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा बेल पत्र, अक्षत, धूप, गंगा जल से करें।
- ये व्रत निर्जला या फलाहारी भोजन के साथ रखा जाता है।
- इस व्रत में शाम की पूजा सबसे अहम होती है। इसलिए इस दिन शाम के समय में दोबारा से स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- फिर गाय के गोबर से मंडप तैयार करें और पांच अलग-अलग तरह के रंगों की मदद से इस मंडप में एक रंगोली बना लें।
- फिर उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
- इसके बाद शिव शंकर भगवान के ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए उन्हें जल चढ़ाएं।
- फिर प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
- कथा के बाद आरती करें।
- कुछ लोग शाम की पूजा के बाद अपना व्रत खोल लेते हैं तो वहीं कई श्रद्धालु अगले दिन अपना उपवास खोलते हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Ka Mahatva)
प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत हर महीने में दो बार पड़ता है। एक बार कृष्ण पक्ष में तो दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। यह व्रत मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी ये व्रत रखना है उसे अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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