Som Pradosh Vrat Katha In Hindi: सोम प्रदोष के दिन करें इस कथा का पाठ, हर इच्छा होगी पूरी

Som Pradosh Vrat Katha In Hindi: आज यानि 20 मई 2024 को हिंदू नववर्ष का पहला सोम प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। इस दिन भगवान शिव की उपासना की जाती है। यहां पढ़ें सोम प्रदोष व्रत की कथा हिंदी में।

Som Pradosh Vrat Katha

Som Pradosh Vrat Katha

Som Pradosh Vrat Katha (सोम प्रदोष व्रत कथा): प्रदोष का व्रत हर मास की त्रियोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। जो प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है। उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि 20 मई यानि आज पड़ रही है। ऐसे में इस महीने का प्रदोष सोम प्रदोष व्रत आज किया जाएगा। इस व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और कथा का पाठ किया जाता है। यहां पढ़ें सोम प्रदोष व्रत की पूरी कथा।

Som Pradosh Vrat Katha In Hindi (सोम प्रदोष व्रत कथा)

एक नगर में एक गरीब ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का देहांत हो गया था। अब वो बिल्कुल अकेली थी, इसलिए सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने के लिए निकल जाया करती थी। भिक्षा मांगकर ही वो अपना और अपने पुत्र का पेट पालती थी।
एक दिन ब्राह्मणी वापस अपने घर लौट रही थी तो उसे रास्ते में एख लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी को उस पर दया आ गई उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ नगर का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को कैदी बना लिया था और राज्य पर भी कब्जा कर लिया था, इसलिए वह इस स्थिति में मारा- मारा फिर रहा था।
राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के पर ही रहनेलगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा और उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने के लिए ब्राह्मणी के घर पर ले आई । उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता के सपने में माता पार्वती और भगवान शिव मेआदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने सपने के अनूकुल ही काम किया।
ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुनः प्राप्त कर आनन्दपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के तप से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही शंकर भगवान अपने अन्य सभी भक्तों के दिन के बदलते हैं और उनका कल्याण करते हैं।
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