Somvati Amavasya 2024: बुरा वक्त हो जाएगा खत्म, सोमवती अमावस्या पर जरूर करें ये 4 चमत्कारी उपाय, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद
Somvati Amavasya Upay: इस बार 2 सितंबर के दिन सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya kab hai) पड़ रही है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ और जटायु का तर्पण किया था। भरत ने भी अपने पिता दशरथ का तर्पण और पिंडदान किया था।

Somvati Amavasya 2024 Upay
Somvati Amavasya Ka Upay (सोमवती अमावस्या के उपाय): हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह अमावस्या पड़ती है। लेकिन अगर कभी अमावस्या सोमवार के दिन पड़ जाए तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। जितनी भी अमावस्याएं हैं उनमें से सोमवती अमावस्या को सबसे खास माना जाता है। सोमवती अमावस्या एक दुर्लभ संयोग है और इस बार 2 सितंबर के दिन सोमवती अमावस्या पड़ रही है। सोमवती अमावस्या खासतौर पर पितरों को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर पितरों का तपर्ण करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन व्रत रखने से लाभ होता है। इसके अलावा इस दिन गंगा में स्नान करना और दानपूर्ण करना भी काफी शुभ माना जाता है। खास इस दिन के लिए शास्त्रों में कुछ उपाय बताए गए हैं जिसे करने से लाभ ही लाभ होता है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो उपाय:
1. सोमवती अमावस्या के दिन गंगाजल से स्नान करें। स्नान के दौरान पितरों को तिलांजलि दें। हथेली में जल और काला तिल लेकर पितरों का तर्पण करें। आपको तीन बार जलांजली देना है। दरअसल शास्त्रों के अनुसार माता-पिता की तीन पीढ़ी के पितरों का तर्पण किया जाता है।
2. पितरों के मोक्ष के लिए सोमवती अमावस्या के दिन बेहद अच्छे संयोग बनते हैं। इस दिन स्नान ध्यान के बाद पितरों का तर्पण करें। उसके बाद गरुड़ पुराण का पाठ करें।
3. सोमवती अमावस्या के दिन सुबह स्नान-ध्यान के बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके काले तिल और जल से अर्घ्य दें। इस दौरान अपने पितरों को ध्यान कर गलतियों के लिए क्षमा याचना भी करें। ऐसा करने से आपकी तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं।
4. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि सोमवती अमावस्या पर गौशाला या छत पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर पितृ कवच और पितृ स्तोत्र का पाठ करें। ये आपको शाम के सम करना है। इस उपाय से भी पितृ दोष समाप्त होता है।
बता दें कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ और जटायु का तर्पण किया था। भरत ने भी अपने पिता दशरथ का तर्पण और पिंडदान किया था। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन ऊपर बताए गए उपायों से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों की प्रसन्नता ही इंसान के जीवन के सुख और संपन्नता को निर्धारित करते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

Ashadha Ashtami 2025: आषाढ़ माह की अष्टमी पर भगवान विष्णु करेंगे कृपा, जान लें विशेष पूजा का सही तरीका, होगा लाभ

19 जून का पंचांग, जानें गुरुवार के दिन का शुभ मुहूर्त, पूजन-व्रत के संयोग, राहुकाल कब लगेगा की जानकारी

Rahu Puja Temple: राहु के कोप से बचने के लिए इन मंदिरों का करें दर्शन, मिलेगी कलयुग के कष्टों से मुक्ति

Shiv Mantra: सावन में हर सोमवार को करें भोलेनाथ के इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, सफलता चूमेगी आपके कदम

Aaj Kaun Sa Vrat Hai: आज ही क्यों है कालाष्टमी, इस शुभ मुहूर्त के बिना भी होगी पूजा, दूर करें कंफ्यूजन
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited