Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi: सोमवती अमावस्या के दिन जरूर सुनें धोबिन और ब्राह्मण कन्या की ये पौराणिक कथा, इसके बिना अधूरी है व्रत-पूजा

Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi: सोमवती अमावस्या पर कई महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं। अगर आप भी इस दिन व्रत रख रही हैं तो ये कथा जरूर पढ़ें।

Somvati Amavasya Vrat Katha

Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi

Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi: सोमवती अमावस्या के दिन कई सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और विधि विधान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। साथ ही इस दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा भी करती हैं। मान्यताओं अनुसार सोमवती अमावस्या का व्रत बेहद शक्तिशाली माना जाता है। ये व्रत जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है। चलिए आपको बताते हैं सोमवती अमावस्या की व्रत कथा।

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सोमवती अमावस्या की व्रत कथा (Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi)

सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। पैसों न होने के कारण उसकी पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था। बेटी के विवाह हेतु ब्राह्मण दंपत्ति ने साधु से इसका उपाय पूछा, तो साधु ने बताया कि पास के गांव में एक धोबिन अपने बेटे और बहू के साथ रहती है। यदि ब्राह्मण की बेटी उस धोबिन की सेवा करे और धोबिन खुश होकर बदले में उसे अपनी मांग का सिंदूर दे दे, तो इससे कन्या का विवाह अवश्य हो जाएगा। यह सुनकर कन्या सुबह सवेरे जाकर धोबिन के घर का सारा काम करने लगी और इस बात का पता धोबिन व उसकी बहू को नहीं चल पाया। एक दिन धोबिन ने अपनी बहू से पूछा कि तुम सुबह जल्दी उठकर सारा काम कैसे कर लेती हो तो बहू बोली मुझे लगा कि आप ही ये सारा काम करती हैं। धोबिन बहू की बात सुनकर चौंक गई और इसके बाद से उसने घर पर नजर रखना शुरू किया। धोबिन ने जब सुबह उठकर देखा तो एक कन्या चुपचाप से आकर घर का काम कर रही थी। कई दिनों तक ऐसा चलता रहा। एक दिन धोबिन ने उस कन्या को पकड़ लिया और उससे ऐसा करने का कारण पूछा।

इसके बाद कन्या ने साधु द्वारा कही सारी बात धोबिन को बता दी। कन्या की बात सुनकर धोबिन उसे अपनी मांग का सिंदूर देने को तैयार हो गई और लेकिन उसी समय धोबिन के पति की मृत्यु हो गई। धोबिन के पति की मृत्यु का समाचार सुनकर कन्या दुखी होकर घर से निकल पड़ी और एक पीपल के पेड़ के पास पहुंचकर उसने 108 ईटों के टुकड़े लिये और उन टुकड़ों को 108 बार परिक्रमा करके उन्हें एक-एक बार फेंकने लगी। कन्या के ऐसा करने से धोबिन का पति जीवित हो गया। सोमवती अमावस्या पर पीपल के पेड़ की परिक्रमा के कारण कन्या को शुभ फल की प्राप्ति हुई।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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