Raksha Bandhan Sona Pujan Image, Vidhi: रक्षाबंधन पर सोना पूजन की विधि, ऐसे बनाएं श्रवण कुमार का चित्र

Raksha Bandhan Sona Pujan 2023: राखी के त्योहार पर श्रवण कुमार की पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हर सनातनी इस दिन भाई को राखी बांधने से पहले श्रावण कुमार की पूजा करता है। जानिए राखी पर की जाने वाली सोना पूजा के बारे में सबकुछ।

rakhi sona pujan image

Raksha Bandhan Sona Pujan 2023 Image, Vidhi

Raksha Bandhan Sona Pujan 2023: रक्षाबंधन भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल श्रावण पूर्णिमा (Shravan Punrima 2023) के दिन पड़ता है। इस साल ये पर्व 31 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ रक्षा सूत्र बांधती है और उनकी लंबी आयु के लिए पूजा करती हैं। इस त्योहार का उत्साह हर परिवार में देखने को मिलता है। इस दिन भाई को राखी बांधने (Rakhi Par Shravan Kumar Ki Puja Kaise Kare) से पहले पूरे विधि विधान से पूजा–पाठ की जाती है और फिर रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। खास बात यह है कि रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा (Shravan Kumar Puja Vidhi) करने का विधान है। हर सनातनी राखी के दिन पहले श्रवण कुमार की पूजा करता है और उन्हें रक्षासूत्र अर्पित करता है। आखिर राखी के दिन क्यों होती है श्रवण कुमार की पूजा, जानें सोना पूजा की विधि (Sona Pujan Vidhi)।

राखी पर कैसे करें श्रवण कुमार की पूजा (Rakhi Sona Pujan Vidhi)

श्रावण मास की पूर्णिमा पर श्रवण कुमार का पूजन किया जाता है जिसे सोना, सूण, श्रवण पूजा और सोन नाम से भी जाना जाता है। उसमें श्रवण कुमार की आकृति बनाई जाती है। इसके बाद पूजा की थाली तैयार की जाती है। थाली में हल्दी, कलश, अक्षत, फूल, दूब घास, रोली, कलावा, राखी, चंदन इत्यादि चीजें रखें। सबसे पहले भगवान की पूजा करें। फिर श्रवण कुमार की विधि विधान पूजा करें। श्रवण कुमार को चंदन लगाएं। टीका के बाद वस्त्र रूपी कलावा अर्पित करें। पुष्प अर्पित करें। फिर भोग लगाएं। इसके बाद उन्हें राखी बांधे। फिर श्रवण कुमार से घर परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। इसके बाद श्रवण कुमार की कथा सुनें और उन्हें जल अर्पित करेंगे। इसके बाद ही भाई को राखी बांधें।

रक्षा बंधन पर श्रवण कुमार की पूजा का महत्व

धार्मिक कथाओं अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ ने शिकार की तलाश में गलती से श्रवण कुमार को तीर मार दिया था। श्रवण अपने अंधे माता-पिता के इकलौते बेटे थे। इस घटना से दशरथ को काफी दुख हुआ। उन्होंने क्षमा मांगते हुए इस घटना के बारे में श्रवण कुमार के माता–पिता को बताया। बेटे की मौत का सुन दोनों ने अपने प्राण त्याग दिये। तब दशरथ ने अपने अपराध का प्रायश्चित करने के लिए श्रावणी के दिन श्रवण पूजा का विश्व भर में प्रचार किया और उस दिन से सभी सनातनी राखी के दिन श्रवण पूजा करते हैं।

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