Padmanabhaswamy Temple: हस्तियां तक हो जाती हैं नतमस्तक, आज तक नहीं जान पाया इस मंदिर का रहस्य कोई
Sree Padmanabhaswamy Temple: दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर। पद्मनाभ का अर्थ है शेषनाग की शैय्या पर लेटे भगवान विष्णु जिनके चरणों में लक्ष्मी जी हैं और नाभ यानी नाभी में से निकले पद्म अर्थात कमल में ब्रह्माजी विराजित हैं। गर्भ गृह की प्रतिमा को तीन मुख्य द्वारों से तीन भागों में देखा जा सकता है।
केरल स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
मुख्य बातें
- विगत दिनों किये थे टीम इंडिया ने मंदिर के दर्शन
- भगवान विष्णु को समर्पित है केरल का प्राचीन मंदिर
- मंदिर के खजाने का रहस्य आज भी एक पहेली बना
Sree Padmanabhaswamy Temple: द्रविड़ शिल्पकला से निर्मित केरल राज्य के त्रिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर। संसार का सबसे अमीर मंदिर तो संसार का सबसे रहस्मयी मंदिर भी है। इतना ही नहीं वास्तु और शिल्पकला में संसार की किसी भी खूबसूरत इमारत से जरा भी कम नहीं है ये मंदिर।संबंधित खबरें
कुछ दिनों पहले भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य केरल के इस अति प्राचीन मंदिर के दर्शन करने पहुंचे थे। मंदिर की परंपरागत पोशाक में भी क्रिकेट टीम के सदस्यों ने गर्भ में पूजन− दर्शन किया था। ये मंदिर इतना आकर्षित है कि यहां आकर पूंजीपति या राजनीतिक या फिर अन्य सभी नतमस्तक हो जाते हैं। मंदिर के गर्भगृह में शेषनाग पर लेटे भगवान विष्णु, चरणों में मां लक्ष्मी और नाभिकमल में ब्रह्माजी के दर्शन जैसे साक्षात बैकुंठ लोक का आभास कराते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि भगवान विष्णु की ये विशाल प्रतिमा 1,32008 शालिग्राम से बनी है। ये सभी शालिग्राम नेपाल की गंधकी नदी से लाए गए थे।संबंधित खबरें
इतना ही नहीं तमाम रोचक बातों में से एक इस मंदिर की रोचकता ये भी है कि मंदिर के तीन मुख्य द्वारों से भगवान के तीन अंगों में दर्शन होते हैं। प्रथम द्वार से भगवान विष्णु का सिर, दूसरे से नाभि के पद्म में विराजित ब्रह्मा जी और तीसरे चरणाें में बैठीं लक्ष्मी जी। इस शहर का नाम भी भगवान के नाम पर ही आधारित है, जिसका अर्थ है श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि। संबंधित खबरें
मंदिर का निर्माण
मंदिर का निर्माण पत्थर और कांसे की शिल्पकारी से किया गया है। मंदिर में नरसिंह भगवान, गजानन और गज लक्ष्मी की प्रतिमाएं भी हैं। मंदिर का ध्वज स्तंभ 80 फीट का है। मंदिर में विभिन्न मंडपम भी बने हुए हैं। मंदिर प्रांगण में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां नक्काशी द्वारा बनी हुयी हैं। ये मंदिर भगवान विष्णु के 108 मंदिरों में एक है। मंदिर को भारत का दिव्य देशम भी कहते हैं। मंदिर का इतिहास आठवीं सदी से जुड़ा है। प्राचीन पांडुलिपियों में इसका उल्लेख मिलता है। मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावणकोर राजा मार्तंड वर्मा ने कराया था। इसके बाद 1750 में राजा मार्तंड ने त्रावणकोर राज्य श्री पद्मनाभस्वामी को समर्पित कर दिया। तभी ये घाेषणा कर दी कि राज परिवार मंदिर की ओर से राज्य पर शासन करेगा। तब से त्रावणकोर के हर राजा के नाम के आगे पद्मनाभ दास उच्चारित किया जाता है। स्कंद और पद्म पुराण में मंदिर का उल्लेख मिलता है। संबंधित खबरें
मंदिर में पोशाक का नियमसंबंधित खबरें
श्री पद्मनाभ मंदिर में भक्तों के लिए पोशाक का सख्त नियम है। पुरुष कमर से नीचे धाेती ही पहन कर मंदिर में जा सकते हैं लेकिन किसी भी तरह की कमीज नहीं पहन सकते वहीं महिलाएं साड़ी पहनकर की मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। इस पोशाक को मुंडु और मुंडुम कहा जाता है। संबंधित खबरें
मंदिर के खजाने का रहस्यसंबंधित खबरें
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर अपने रहस्यमयी खजाने के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां अब तक खाेले गए 6 तहखानों से 1,32000 करोड़ का खजाना मिल चुका है। जबकि मंदिर का सातवां तहखाना आज भी नहीं खोला जा सकता है। इस तहखाने के दरवाजे पर कोबरा की आकृति बनी हुयी है। जिसे देखने के बाद इसके दरवाजे को खाेलने का काम रोक दिया गया। संबंधित खबरें
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)संबंधित खबरें
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