Stone Ring: पहनने जा रहे हैं स्टोन रिंग तो ध्यान रखें ये बातें, तब ही मिलेगा रत्न का पूरा फायदा-रत्‍न धारण करते समय रखें इन बातों का ध्‍यान, तभी मिलगा फायदा

Stone Ring: हिन्‍दू धर्म में ज्योतिषी ग्रह से संबंधित नौ रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। जिससे जीवन और बेहर हो सके। ज्योतिष शास्त्र में इन रत्नों को धारण करने का पूरा नियम बताया गया है। नौ रत्नों का आप पर कैसा असर होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि, आप उसे कैसे, किस दिन और किस समय उसे धारण करते हैं। यहां हम नौ रत्‍न धारण करने की पूरी जानकारी देंगे।

stone rings

ये है नौ रत्नों को धारण करने का तरीका (प्रतीकात्मक तस्वीर)

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • नौ रत्‍नों को धारण करते समय नियम पालन पर ही मिलता है फल
  • नौ रत्‍नों को गलत तरीके से धारण करने पर होता है नुकसान
  • रत्‍न धारण के लिए तिथि, ग्रह और समय का रखें विशेष ध्‍यान

Stone Ring: हिन्‍दू धर्म में जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह खराब दिशा में चलने लगता है या फिर नुकसान पहुंचाने लगता है तो ज्योतिषी उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। जिससे उसे उसका शुभ फल मिल सके। ज्योतिष शास्त्र में इन रत्नों को धारण करने का पूरा नियम बताया गया है। जब रत्न धारण किया जाता है तो इन नियमों का विशेष ख्याल रखना पड़ता है, ताकि धारण करने वाले रत्न आपको शुभ फल प्रदान कर सकें। नौ रत्नों का आप पर कैसा असर होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि, आप उसे कैसे, किस दिन और किस समय धारण करते हैं। यहां हम नौ रत्‍न धारण करने की पूरी जानकारी देंगे।

रत्न धारण करने का नियमनौ रत्‍नों में से किसी भी रत्न को बहुत अधिक समय तक दूध में ना डालें। कई रत्न दूध को सोख लेते हैं और दूध के कण रत्नों में समाहित होकर उसे विकृत कर देते हैं। इसलिए अंगूठी को धारण करने से पहले उसे जल में रखें और अच्‍छी तरह धो लें। अपने मन की संतुष्टि के लिए अपने ईष्ट देवी की मूर्ति से स्पर्श करा कर रत्न धारण कर सकते हैं। महंगे रत्न को हमेशा सोने में धारण करें और मोति, मूंगा और उपरत्न जैसे सस्ते रत्न को चांदी में धारण कर सकते हैं।

कब रत्न धारण ना करेंरत्न धारण करने से पहले तारीख का विशेष ध्‍यान रखें। रत्‍न को 4, 9 और 14 तिथि को धारण नहीं करना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि जिस दिन रत्न धारण करें, उसी दिन गोचर का चंद्रमा आपकी राशि से 4, 8, 12 में ना हो। रत्‍न को अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन भी धारण ना करें। रत्न को हमेशा दोपहर से पहले सूर्य की ओर मुख करके धारण करना चाहिए।

किस नक्षत्र में रत्न धारण करेंसमुद्र से उत्पन्न मोति, मूंगा जैसे रत्‍नों को रेवती, चित्रा, अश्विनी, रोहिणी, स्वाति और विशाखा नक्षत्र में धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इन रत्‍नों को सुहागिन महिलाएं पुष्य, रोहिणी, पुनर्वसु नक्षत्र में रत्न धारण ना करें। इनके लिए हस्त, चित्रा, रेवती, अश्विनी, अनुराधा नक्षत्र में रत्न धारण करना विशेष फलदायी होता है।

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रत्न कब बदलेंज्योतिषी के अनुसार, नौ रत्‍नों में से मूंगा और मोति को छोड़कर बाकी रत्न कभी बूढ़े नहीं होते हैं। समय के साथ मोती की चमक कम हो जाए या मूंगा में खरोंच पड़ जाए तो उसे बदल देना चाहिए। वहीं, पुखराज, माणिक्य, पन्ना, नीलम और हीरा सदा के लिए होते हैं। इनमें रगड़ और खरोच का खास असर नहीं होता है, इसलिए इन्हें बदला नहीं जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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