Ramayan: एक बहन के भाई भी थे भगवान राम, जानिए क्या था उनका नाम, रामायण में क्यों नहीं होता जिक्र
Shanta Devi: रामायण में श्राी राम के पिता राजा दशरथ के सिर्फ चार पुत्रों का ही जिक्र मिलता है। भगवान राम के अलावा, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। लेकिन क्या आपको मालूम है कि भगवान राम की एक बहन भी थी, जिसका नाम शांता था। जानिए ये राजा राम के बारे में ये कथा।
Lord Rama
- रामायण के अनुसार राजा दशरथ के चार पुत्र थे।
- भगवान राम, सौमित्र लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न।
- रामायण के अनुसार प्रभु राम की एक बहन भी थीं।
Lord Rama Sister: जब कभी भी रामायण की बात होती है तो राजा दशरथ के चार पुत्रों का ही नाम लिया जाता है। प्रभु श्री राम के अलावा लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम की एक बहन भी थी, जिसका रामायण में कहीं कोई जिक्र नहीं मिलता है। भगवान राम की बहन कौन थी, उनका विवाह किसके साथ हुआ, इस बारे में शायद ही किसी को जानकारी हो। आइए आज आपको भगवान राम की इकलौती बहन के बारे में विस्तार से बताते हैं और जानते हैं कि आखिर रामायण में कहीं भी उनका जिक्र क्यों नहीं है।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम की बहन का नाम शांता था। रामायण में कहीं भी शांता का जिक्र नहीं मिलता है। शांता राजा दशरथ और कौशल्या की सबसे बड़ी बेटी थीं। ऐसा कहा जाता है कि शांता सर्वगुण संपन्न स्त्री थी। बचपन में ही राजा दशरथ ने अपने बेटी शांतो को अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे दिया था। राजा रोमपद की पत्नी वर्षिणी कौशल्या की बहन और शांता की मौसी थीं।
एक बार जब वे दोनों राजा दशरथ और कौशल्या से मिलने आए तो उन्होंने अपनी बहन से शांता को गोद लेने की बात कही। कौशल्या को अपनी बेटी बहुत प्यारी थीं, लेकिन वो अपनी बहन को निराश न कर सकीं और उसे अपनी छोटी बहन को सौंप दिया और इस तरह शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गई। शांता बहुत सुंदर थी और वेद और शिल्पकला निपुण थी।
किसके साथ हुआ शांता का विवाह?
एक बार गरीब ब्राह्मणों ने नाराज होकर राजा रोमपद को श्राप दे दिया था। इस श्राप के कारण अंगदेश में सूखा पड़ गया। तब राजा रोमपद ऋषि ऋृंग के पास गए और उन्होंने सूखे से धरती को मुक्ति दिलाने का उपाय बताया। अंगदेश एक बार फिर हरा-भरा हो गया। इससे प्रसन्न होकर राजा रोमपद ने अपनी पुत्री यानी शांता का विवाह ऋषि ऋृंग के साथ कर दिया।
क्यों रामायण में नहीं हुआ शांता का जिक्र?
ऐसा कहते हैं कि पुत्री होने की वजह से शांता राजा दशरथ का सिंहासन नहीं संभाल सकती थीं। इसलिए उन्होंने शांता को गोद दे दिया था। रामायण में उनका जिक्र इसलिए भी नहीं मिलता, क्योंकि वे बचपन में ही राजा दशरथ का महल छोड़कर अंगदेश चली गई थीं।
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