दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं ऐसे दोस्त
मुख्य बातें
- हर किसी को तुरंत दोस्त का दर्जा नहीं देना चाहिए
- इंसान की सफलता में दोस्त और उसकी अच्छी संगति का बहुत बड़ा योगदान होता है
- अच्छा मित्र ही सबसे ज्यादा नुकसान देने वाला सिद्ध हो सकता है
Chanakya Niti In Hindi : चाणक्य नीति के मुताबिक दोस्त बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। हर किसी को तुरंत दोस्त का दर्जा नहीं देना चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी इंसान की सफलता में दोस्त और उसकी अच्छी संगति का बहुत बड़ा योगदान होता है। आइए जानते हैं किसी को अपना दोस्त बनाने के बाद दोस्ती में किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए या कैसे व्यक्ति को अपना दोस्त बनाना चाहिए साथ ही कैसे दोस्त दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं।
धूर्त दोस्त ऐसा दोस्त जो पीठ पीछे काम बिगाड़े और आपके सामने मुंह पर मीठी- मीठी बातें बनाए। चाणक्य कहते हैं ऐसे दोस्त को उस घड़े के समान त्याग देना चाहिए जिसके मुंह पर तो दूध भरा है लेकिन अंदर विष भरा है।
परिचित व्यक्ति या दोस्त “घर का भेदी लंका ढाए” यह कहावत गलत नहीं लगता क्योंकि जो व्यक्ति जितना परिचित हो जाता है। वह हमारा उतना ही अच्छा दोस्त बन जाता है और घर के सदस्य जैसा लगने लगता है। व्यक्ति भावुक होकर उसे अपने सारे भेद बता देता है। फिर कभी जब मनमुटाव उत्पन्न होता है तो वह कथित मित्र ही सबसे ज्यादा नुकसान देने वाला सिद्ध होता है। ऐसा मित्र जानता है कि आपका मर्म स्थल क्या है।
अति विश्वासी दोस्त जो अच्छा मित्र होता है उस पर अति विश्वास नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा हो सकता है कि वह मित्र कभी नाराज होकर आपकी सभी गुप्त बातें किसी और से शेयर कर दें। चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति आपका अच्छा मित्र नहीं है उस पर तो विश्वास करने का सवाल ही नहीं उठता लेकिन उनका यह भी
कहना है कि अच्छे मित्र पर भी पूरी तरह से विश्वास नहीं करना चाहिए। क्योंकि किसी कारणवश यदि वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता है।
सामने अच्छी बात और पीठ पीछे बुराई करने वाला दोस्त चाणक्य नीति में दूसरे अध्याय के पांचवे श्लोक में चाणक्य ने कहा है कि जो मित्र सामने चिकनी चुपड़ी बातें बनाता है और पीठ पीछे उसकी बुराई करके उसके कार्य को बिगाड़ देता हो। ऐसे मित्र को त्याग देने में ही भलाई है। ऊपर से मीठा और अंदर से खट्टा, ऐसे व्यक्ति को दोस्त नहीं कहा जा सकता। ऐसा व्यक्ति आपके सामाजिक और व्यक्तिगत वातावरण को भी आपके प्रतिकूल या खिलाफ बना सकता है।
बुरे चरित्र वाले चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के 19वें श्लोक के अनुसार बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरों को हानि पहुंचाने वाले और गंदे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो कोई पुरुष मित्रता करता है। वह जल्दी ही नष्ट हो जाता है। आचार्य ने यहां यह भी संकेत दिया है कि मित्रता करते समय यह अच्छी तरह से जांच लेना चाहिए कि जिस से मित्रता की जा रही है उसमें यह दोष तो नहीं है। यदि उसमें ऐसा दोष है तो उससे मित्रता ना करने में ही भलाई है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता है।)