Makar Sankranti 2023: इसलिए नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ है सूर्य, संक्रांति से शुरू करें ग्रह शांति के लिए इस मंत्र का जाप

Makar Sankranti 2023: सूर्य देव को माना जाता है सृष्टि का प्रत्यक्ष देव। सूर्य अपनी नियत राशियों पर प्रभाव डालते हुए राशिफल चक्र को परिणाम देते हैं। सूर्य को ज्याेतिष की आत्मा कहा जाता है। काल का विभाजन करते हैं सूर्य देव। सूर्य देव की उपासना का होता है विशेष मंत्र।

Makar Snkranti 2023

नवग्रहों में श्रेष्ठ हैं सूर्य।

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
− सृष्टि के साक्षात देव कहे गए हैं सूर्य देव− मकर संक्रांति पर होती है सूर्य की आराधना− सूर्य रथ के पहिये को कहते हैं संवत्सर

Makar Sankranti 2023: पौष और माघ मास को सूर्य देव की आराधना को समर्पित मास कहा जाता है। सूर्य देव की आराधना, उनके अस्तित्व के बिना सृष्टि संचालित नहीं हो सकती। इसलिए सूर्य देव को सृष्टि का प्रत्यक्ष देव भी कहते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य उपासना का विशेष विधान बताया गया है। यदि इस दिन से सूर्य देव के विशेष मंत्र का जाप करेंगे तो असीम फल की प्राप्ति होगी।

नवग्रहों के राजा सूर्य देव

यह सृष्टि निर्धारण करने वाला परमात्मा स्वरूप ग्रह है। सूर्य, देवताओं की माता अदिति के पुत्र हैं। इनका वर्ण लाल है। इनकी सवारी रथ है और रथ में एक ही पहिया रहता है जो संवत्सर कहलाता है। सात घाेड़े इनके रथ को चलाते हैं। स्तुति आदि करने पर इन्हें शक्ति प्राप्त होती है और ऋतुचक्र बदलते हैं। सूर्यदेव की दो पत्नियां हैं प्रया और छाया। प्रया विश्वकर्मा की पुत्री हैं। प्रया से जो संकान हुयी उनका नाम है वैवस्तम मनु, यम, यमुना, अश्विनी कुमार और रेवन्त। छाया से उत्पन्न होने वाली संतानों का नाम है सावर्णि, मनु शनि, तपती, औविष्टि। सूर्य देव कमल के आसन पर बैठते हैं।

सूर्य की सत्ता में 12 शक्तियां कार्य को नियत करती हैं। अमृता, निलाम्बरा, प्रबोधिनी, महाकाली, कपिला, इडा, सुषुम्ना, इंदु प्रमर्दिनी विश्वार्चि, प्रहर्षिणी, धनान्तःश्था। सूर्य के प्रभाव से ही मनुष्य तेजस्विता पाता है। सूर्य अपनी नियत राशियों पर प्रभाव डालते हुए राशिफल चक्रों को परिणाम देते हैं। सूर्य को ज्योतिष की आत्मा कहा गया है। काल का विभाजन सूर्य देव ही करते हैं। सूर्य ज्योतिष शास्त्र के आधार पर लग्न से दसवें भाव में सदैव श्रेष्ठ होता है। सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं। आत्मा एवं नेत्र इंद्रियों के अधिष्ठाता सूर्य ही हैं। जीवन में चैतन्यता का भाव सूर्य द्वारा ही संभव होता है। यदि राशि में सूर्य अशुभ स्थान पर हो तो ज्वर से लेकर क्षय रोग तक हो सकता है। सूर्य के अधिदेवता परब्रह्म हैं क्योंकि पंचतत्वों के सारे नियंत्रण परब्रह्म के ही वरदहस्त से पूर्ण होते हैं।

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सूर्य उपासना मंत्र

सूर्य उपासना मंत्र ऊँ ह्लीं ह्लीं सूर्याय नमः। इस मंत्र के प्रभाव से सूर्य देव आध्यात्मिक उन्नति के साथ शारीरिक बलिष्ठता भी प्रदान करते हैं। सभी ग्रहों के दोष सूर्य मंत्र की सिद्धि से दूर हो जाते हैं।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।

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