Surdas Jayanti 2023 Date: सूरदास जयंती 2023 में कब है, कौन थे महाकवि सूरदास, क्यों मांगा आंखों की रोशनी खोने का वरदान
Surdas Jayanti 2023 Date (सूरदास जयंती 2023 में कब की है): श्री कृष्ण के परम भक्त, हिंदी साहित्य के सूरज और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि सूरदास जी के जन्मोत्सव को उनकी जयंती के तौर पर मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर से वैशाख शुक्ल पंचमी को हर साल सेलिब्रेट किया जाता है। यहां देखें 2023 में संत सूरदास की जयंती कब मनाई जाएगी और कौन थे सूरदास। कैसे हुआ उनको श्री कृष्ण से लगाव।
Surdas Jayanti 2023 Date (सूरदास जयंती 2023 में कब है): वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल सूरदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसे देशभर में सूरदास जयंती के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। इस बार कवि सूरदास का 545वां जन्म वर्षगांठ है। बता दें, संत सूरदास एक महान कवि, संगीतकार और श्री कृष्ण के परम भक्त थे। कान्हा की भक्ति में उन्होंने कई गीत, दोहे और कविताएं लिखी हैं। इसी के साथ आइए जानते हैं इस बार सूरदास जयंती कब है। साथ ही सूरदास जी से जुड़ी रोचक बातें भी जानेंगे।Surdas Jayanti 2023 Date in Indiaहिंदू कैलेंडर के अनुसार, सूरदास जयंती हर साल वैशाख महीने के शुक्ल की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस बार यह 25 अप्रैल 2023, मंगलवार को है।Surdas Ji kaun Hain Hindi MeSurdas Biography in Hindi: हिन्दी साहित्य के सूरज और ब्रजभाषा के महान कवि सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गांव में हुआ था। जन्म से ही उनके आंखों में रौशनी नहीं थी और वे कुछ भी देख नहीं सकते थे। इसी वजह से परिवार वाले भी उनसे प्यार नहीं करते थे और महज छह साल की छोटी उम्र में ही अपना घर छोड़ सूरदास आगरा के पास गऊघाट पर रहने लगे।ऐसे शुरू हुआ कृष्ण भक्तिगऊघाट रहने के दौरान सूरदास जी की मुलाकात श्रीवल्लभाचार्य से हुई और सूरदास उनके शिष्य बन गए। गुरु वल्लभाचार्य ने फिर उन्हें हर तरह की शिक्षा-दीक्षा दी और श्रीकृष्ण लीला के निमित्त गाने को प्रेरित किया। हालांकि सूरदास के पिता रामदास स्वयं ही गायक थे इसलिए गायकी कला उन्हें वरदान में मिली थी। गुरु दीक्षा के अनुसार, सूरदास जी कृष्णलीला में रम गए और श्रीनाथ जी के मंदिर में लीलागान करते रहे। कुछ ही समय बाद और बहुत जल्द ही सूरदास काफी प्रसिद्ध हो गये थे। सूरसावली', 'ब्याहलो', 'नल दमयन्ती', 'साहित्य लहरी', 'सूरसागर' आदि उनकी प्रमुख और लोकप्रिय रचनाएं हैं।श्री कृष्ण से मांगा था आंखों की रोशनी जाने का वरदानएक बार कवि सूरदास कृष्ण की भक्ति में इतने रम गए थे कि वे एक कुंए में गिर गए। लेकिन भगवान श्री कृष्ण उनकी भक्ति से इतने प्रसन्न रहते थे कि वो सूरदास को बचाने वहां पहुंचे। बचाने के बाद उन्हें अंत:करण में दर्शन भी दिए थे। यही नहीं, कान्हा ने उनकी आंखों की रोशनी तक वापस कर दी थी। जिसके कारण सूरदास की सबसे पहली नजर प्रभू श्रीकृष्ण पर पड़ी। तब कृष्ण कृष्ण भगवान ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें कुछ वरदान मांगने को कहा। लेकिन सूरदास जी ने जवाब दिया- मैं कृष्ण के अलावा अन्य किसी को भी देखना नहीं चाहता, कृपा कर के मुझे दोबारा अंधा कर दें। इस तरह सूरदास ने आजीवन कृष्ण भक्ति में लीन और अंधता का वरदान मांगा।
Surdas Jayanti 2023 Date (सूरदास जयंती 2023 में कब है): वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल सूरदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसे देशभर में सूरदास जयंती के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। इस बार कवि सूरदास का 545वां जन्म वर्षगांठ है। बता दें, संत सूरदास एक महान कवि, संगीतकार और श्री कृष्ण के परम भक्त थे। कान्हा की भक्ति में उन्होंने कई गीत, दोहे और कविताएं लिखी हैं जो जनमानस में बहुत पॉपुलर भी हैं। इसी के साथ आइए जानते हैं इस बार सूरदास जयंती कब है। साथ ही सूरदास जी से जुड़ी रोचक बातें भी जानेंगे।
Surdas Jayanti 2023 Date in India
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सूरदास जयंती हर साल वैशाख महीने के शुक्ल की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, सूरदास जयंती 2023 की डेट और तिथि 25 अप्रैल, मंगलवार को है।
Surdas Ji kaun Hain Hindi Me
Surdas Biography in Hindi: हिन्दी साहित्य के सूरज और ब्रजभाषा के महान कवि सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गांव में हुआ था। जन्म से ही उनके आंखों में रौशनी नहीं थी और वे कुछ भी देख नहीं सकते थे। इसी वजह से परिवार वाले भी उनसे प्यार नहीं करते थे और महज छह साल की छोटी उम्र में ही अपना घर छोड़ सूरदास आगरा के पास गऊघाट पर रहने लगे।
ऐसे शुरू हुई कृष्ण भक्ति
गऊघाट रहने के दौरान सूरदास जी की मुलाकात श्रीवल्लभाचार्य से हुई और सूरदास उनके शिष्य बन गए। गुरु वल्लभाचार्य ने फिर उन्हें हर तरह की शिक्षा-दीक्षा दी और श्रीकृष्ण लीला के निमित्त गाने को प्रेरित किया। हालांकि सूरदास के पिता रामदास स्वयं ही गायक थे इसलिए गायकी कला उन्हें वरदान में मिली थी। गुरु दीक्षा के अनुसार, सूरदास जी कृष्णलीला में रम गए और श्रीनाथ जी के मंदिर में लीलागान करते रहे। कुछ ही समय बाद और बहुत जल्द ही सूरदास काफी प्रसिद्ध हो गये थे। सूरसावली', 'ब्याहलो', 'नल दमयन्ती', 'साहित्य लहरी', 'सूरसागर' आदि उनकी प्रमुख और लोकप्रिय रचनाएं हैं।
श्री कृष्ण से मांगा था आंखों की रोशनी जाने का वरदान
एक बार कवि सूरदास कृष्ण की भक्ति में इतने रम गए थे कि वे एक कुंए में गिर गए। लेकिन भगवान श्री कृष्ण उनकी भक्ति से इतने प्रसन्न रहते थे कि वो सूरदास को बचाने वहां पहुंचे। बचाने के बाद उन्हें अंत:करण में दर्शन भी दिए थे। यही नहीं, कान्हा ने उनकी आंखों की रोशनी तक वापस कर दी थी। जिसके कारण सूरदास की सबसे पहली नजर प्रभू श्रीकृष्ण पर पड़ी। तब कृष्ण कृष्ण भगवान ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें कुछ वरदान मांगने को कहा। लेकिन सूरदास जी ने जवाब दिया- मैं कृष्ण के अलावा अन्य किसी को भी देखना नहीं चाहता, कृपा कर के मुझे दोबारा अंधा कर दें। इस तरह सूरदास ने आजीवन कृष्ण भक्ति में लीन और अंधता का वरदान मांगा।
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