Surya Dev Aarti: ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान...मकर संक्रांति पर जरूर करें सूर्य देव की आरती

Surya Dev Aarti: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है। इस दिन शुभ मुहूर्त में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए इसके बाद सूर्य भगवान की आरती करनी चाहिए। यहां देखें सूर्य भगवान की आरती के लिरिक्स।

surya dev aarti

Surya Dev Aarti

Surya Dev Aarti (सूर्य भगवान की आरती): मकर संक्रांति सूर्य उपासना का पर्व है। इस दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर सूर्य देव को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। इसी के साथ सूर्य के मंत्रों का भी जाप जरूर करना चाहिए। कहते हैं इस दिन सूर्य की उपासना करने से अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही कुंडली में मौजूद हर प्रकार के दोष खत्म हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य उपासना के बाद जरूरतमंदों को दान भी देना चाहिए। यहां जानिए सूर्य भगवान की आरती के लिरिक्स हिंदी में।

Surya Dev Aarti Lyrics (सूर्य भगवान की आरती)

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

Surya Bhagwan Ki Aarti (सूर्य भगवान की आरती)

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।

षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥

जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।

निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥

करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।

निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥

हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है

जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व माना जाता है।

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