Surya Grahan 2023 Katha: क्यों लगता है ग्रहण, राहु-केतु वध से जुड़ी है सूर्य ग्रहण की कथा

Surya Grahan 2023 Katha in Hindi: आज यानी 20 अप्रैल को 2023, गुरुवार को साल का पहला सूर्य ग्रहण है। धार्मिक मन्याताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण लगने के पीछे राहु-केतु जिम्मेदार हैं। पढ़ें सूर्य ग्रहण की कथा

Surya Grahan ki Katha

Surya Grahan ki Katha

Surya Grahan 2023 Katha in Hindi: आज यानी 20 अप्रैल को 2023, गुरुवार को साल का पहला सूर्य ग्रहण है। सुबह 7 बजकर 5 मिनट से करीब दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक ग्रहण काल है। ये हाइब्रिड यानी संकर सूर्य ग्रहण होगा जो पूरे 10 साल बाद लगने जा रहा है। इससे पहले ऐसा सूर्य ग्रहण साल 2013 में लगेगा। एक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधे लाइन में आ जाते हैं और चंद्रमा सूर्य को ढंक लेता है। ऐसे में सूर्य पृथ्वी से देखने पर दिखाई नहीं देता। साथ ही जैसे ही चंद्रमा सूर्य के सामने होता है तब सूर्य की किरणें ढंक जाती हैं और चंद्रमा पृथ्वी पर छाया करने लगता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

सूर्य ग्रहण की धार्मिक मान्यता Surya Grahan Significance

धार्मिक मन्याताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण लगने के पीछे राहु-केतु जिम्मेदार हैं। ऐसा करने के पीछे इन दो ग्रहों की सूर्य और चंद्र से दुश्मनी बताई जाती है। ग्रहण के दौरान राहु-केतु का प्रभाव होने के कारण ही किसी भी कार्य को करने से मना किया जाता है। इन दो ग्रहों के बुरे प्रकोप से बचने के लिए ही सूतक लगते हैं और ग्रहण के दौरान मंदिरों तक में प्रवेश निषेध होता है। मान्यता है कि ग्रहण में इन ग्रहों की छाया मनुष्य के बनते कार्य भी बिगाड़ देती है, इसलिए कभी भी ग्रहण काल में कोई शुभ कार्य तो दूर सामान्य क्रिया के लिए भी मना किया जाता है।

सूर्य ग्रहण की कथा Surya Grahan ki Katha

जब दैत्यों ने तीनों लोक पर अपना अधिपत्य जमा लिया तब देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी और तीनों लोक को बचाने का आह्वान किया। तब भगवान विष्णु कहा-हे देवगण आप क्षीर सागर का मंथन करें और इस मंथन से निकले अमृत पान कर लें, ध्यान रहे इसे असुर न पीने पाएं क्योंकि तब इन्हें युद्ध में कभी हराया नहीं जा सकेगा। भगवान के कहे अनुसार देवताओं ने क्षीर सागर में समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवता और असुरों में लड़ाई होगी। तब भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण कर एक तरफ देवता और एक तरप देव को बिठा दिया और कहा कि बारी-बारी सबको अमृत मिलेगा।

Surya Grahan 2023 Date and Time

यह सुनकर एक असुर देवताओं के बीच वेश बदल कर बैठ गया, लेकिन चंद्र और सूर्य उसे पहचान गए और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दी, लेकिन तब तक भगवान उसे अमृत दे चुके थे। अमृत गले तक पहुंचा था कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से असुर के धड़ को सिर से अलग कर दिया, लेकिन तब तक उसने अमृतपान कर लिया था। हालांकि, अमृत गले से नीच नहीं उतरा था, लेकिन उसका सिर अमर हो गया। सिर राहु बना और धड़ केतु के रूप में अमर हो गया। भेद खोलने के कारण ही राहु और केतु की चंद्र और सूर्य से दुश्मनी हो गई। कालांतर में राहु और केतु को चन्द्रमा और पृथ्वी की छाया के नीचे स्थान प्राप्त हुआ है। उस समय से राहु, सूर्य और चंद्र से द्वेष की भावना रखते हैं, जिससे ग्रहण पड़ता है।

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कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

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