Surya Grahan Kaise Lagta Hai: सूर्य ग्रहण कैसे लगता है? जानिए क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
Surya Grahan Kaise Lagta Hai (सूर्य ग्रहण कैसे लगता है): सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। ये तब होता है जब जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है, जिससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। लेकिन इसके अलावा भी इससे जुड़ा धार्मिक और वैज्ञानिक कारण है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर सूर्य ग्रहण क्यों और कैसे लगता है?

Surya Grahan ka Dharmik Karan
Surya Grahan Kaise Lagta Hai (सूर्य ग्रहण कैसे लगता है): सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है। ये घटना ज्योतिषीय, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेदह महत्वपूर्ण मानी जाती है। वैज्ञानिक दृष्टि से ये पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की गति को समझने का एक बेहतरीन अवसर होता है वहीं धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से इसे शुभ और अशुभ प्रभावों से जोड़ा जाता है। भारत सहित दुनिया भर में सूर्य ग्रहण को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। धार्मिक दृष्टि इसे अशुभ और नकारात्मक माना जाता है और इस दौरान विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, जैसे कि भोजन न करना, मंत्र जाप करना और ग्रहण के बाद स्नान करना। वैज्ञानिक दृष्टि से इस दौरान बिना उचित सुरक्षा उपकरणों के सूर्य की ओर सीधे देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है। चलिए के धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों को समझते हैं।
सूर्य ग्रहण का धार्मिक कारण (Surya Grahan ka Dharmik Karan)
पौराणिक कथा के अनुसार स्वरभानु नाम का राक्षस अमृत पीने की लालसा में रूप बदलकर सूर्य देव और चंद्र देव के बीच बैठ गया लेकिन भगवान विष्णु ने उसे पहचान लिया और तभी उन्होंने अपने सुदर्शन से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन स्वरभानु अमृत पी चुका था इसलिए वो मरकर भी जीवित रहा। स्वरभानु का सिर राहु कहलाया और धड़ केतु। इस घटना के बाद से जब भी सूर्य और चंद्रमा पास आते हैं तो राहु-केतु के प्रभाव से ग्रहण लग जाता है।
सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक कारण (Surya Grahan ka Vaigyanik Karan)
वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने से रोक देता है। इसके तीन प्रकार होते हैं। जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं वहीं आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है, और जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढकने में असमर्थ रहता है और सूर्य का बाहरी भाग एक अंगूठी जैसा दिखाई देता है तो उसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। ये एक सामान्य खगोलीय घटना है, लेकिन ये पृथ्वी पर कई प्रभाव डालती है, जैसे कि तापमान में गिरावट और पशु-पक्षियों के व्यवहार में बदलाव।
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हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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