Surya Saptami 2023: चर्म रोग से मुक्ति चाहिए तो जरूर करें सूर्य सप्तमी का व्रत, सूर्य पुराण के पाठ से मिलती कृपा
Surya Saptami: 28 जनवरी, शनिवार को रखा जाएगा सूर्य सप्तमी का व्रत। भगवान भास्कर को समर्पित है यह तिथि। माना जाता है सात घाेड़ों के रथ पर सवार होकर इस दिन प्रकट हुए थे सूर्य देव। भानु सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, अचला सप्तमी भी कहते हैं इस तिथि को। शारीरिक, मानसिक दोष दूर होते हैं इस दिन सूर्य आराधना से। चर्म रोग से पीड़ित हैं तो मिलती है राहत।
28 जनवरी को है सूर्य सप्तमी व्रत
- 28 जनवरी को है सूर्य सप्तमी व्रत
- तिथि पर भगवान सूर्य की आराधना करें
- आरोग्य फल की प्राप्ति देती है सूर्य आराधना
Surya Saptmai 2023: सृष्टि के प्रत्यक्ष देव, सूर्य देव को समर्पित व्रत को सूर्य सप्तमी का व्रत कहा जाता है। माघ मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य सप्तमी को आरोग्य सप्तमी, अचला सप्तमी, भानु सप्तमी भी कहा जाता है। यह दिन विविध रोगों से मुक्ति के लिए प्रभु स्मरण का दिन है। इस दिन सूर्य आराधना करने से विभिन्न रोग विशेषकर त्वचा संबंधि रोगों का नाश होता है। सूर्य सप्तमी का व्रत इस वर्ष 28 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य भगवान को गंगाजल से अर्घ्य दिया जाता है। मोती, लाल चंदन, चावल, प्रसाद, फल, दीपक, कपूर, धूप, लाल पुष्प आदि से सूर्य भगवान की ओर मुख करके स्तुति करनी चाहिए। इससे शारीरिक, चर्म रोग आदि के विकार नहीं होते हैं। इस दिन सूर्य पुराण का पाठ करना चाहिए। सूर्य का सारथी अरुण माना जाता है, जोकि दिव्यांग है। जो बालक जन्मकाल में मूक और दिव्यांग होते हैं। भगवान सूर्य अपने प्रकाश से उसके दोषों को दूर करते हैं।
इस मंत्र का करें 108 बार जाप
सूर्य सप्तमी तिथि पर ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ध्यान लगाएं। इससे आपके शरीर और मन की शुद्धि होगी। इसके बाद सूर्योदय से पूर्व ही स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा सामग्री तैयार कर लें। सूर्योदय पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दें, स्तुति करें। सूर्य देव को अर्घ्य तीन बार में अर्पित किया जाता है। जल के पात्र से एक बार अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नमः, दूसरी बार ऊँ आदित्याय नमः और तीसरी बार में ऊँ भास्काराय नमः बोलें। सूर्य प्रकाश में ही कुशा या लाल कंबल के एक आसन पर बैठकर कम से कम पांच माला निम्न मंत्र का जाप करें।
“ ऊँ घृणि सूर्याय नमः”
सूर्य सप्तमी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव सृष्टि के साक्षात देव माने गए हैं। अपने प्रकाश से वो नकारात्मक ऊर्जा का शमन करते हैं। आरोग्यता देते हैं। मान्यता है कि सूर्य सप्तमी के दिन ही भगवान भास्कर सात घाेड़ों पर सवार होकर प्रकट हुए थे। बहुत सी जगह इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना भी शुभ रहता है। यदि जाप न कर सकें तो ये पाठ अवश्य करें। भगवद पुराण के अनुसार स्वयं विष्णु अवतार भगवान राम प्रतिदिन सूर्य अराधना करते थे।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited