Swami Vivekananda Guru Name: कौन थे स्वामी विवेकानंद के गुरु? जिनके एक जवाब ने बदल दी थी इनकी जिंदगी
Swami Vivekananda Guru Name: स्वामी विवेकानंद बुद्धि और तर्क में विश्वास करते थे। इसलिए अक्सर उनके कई सवाल रहा करता था लेकिन उनके गुरु ने उनके हर सवाल का समाधान कर उनकी बुद्धि को भक्ति में बदल दिया था। जानिए स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे।
Swami Vivekananda Guru Name
Swami Vivekananda Ke Vichar In Hindi: स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस थे। ये एक अद्भुत संत थे। इन्हें कई तरह की सिद्धियां प्राप्त थीं। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को अपना शिष्य बनाया जो बुद्धि और तर्क में जीने वाला बालक था। जिसके कई सवाल थे। लेकिन रामकृष्ण परमहस ने विवेकानंद के हर सवाल का समाधान कर उन्हें भक्ति की राह पर चलने का मार्ग दिखाया। 12 जनवरी 1863 में जन्मे स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था (Swami Vivekananda Ke Bachpan Ka Naam)। कहते हैं राजस्थान के एक राजा ने नरेन्द्रनाथ दत्त को स्वामी विवेकानंद नाम दिया (Swami Vivekananda Real Name)। जिसे स्वामी जी ने स्वीकार किया और इसके बाद से वह इसी नाम से जाने जाने लगे। आइए जानते हैं गुरु रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच के कुछ दिलचस्प संवाद।
स्वामी विवेकानंद के अपने गुरु से सवाल
स्वामी विवेकानंद: लोगों की ऐसी कौन सी बात है जो आपको हैरानी में डाल देती है?
रामकृष्ण परमहंस: जब भी इंसान कष्ट में होता है तब ही पूछता है, “मैं ही क्यों?” जब उन्हें खुशियों मिलती हैं तब कभी नहीं सोचते, “मैं ही क्यों?”
स्वामी विवेकानंद: आज जीवन इतना कठिन क्यों हो गया है?
रामकृष्ण परमहंस: जीवन का विश्लेषण करना इसे जटिल बनाता है, इसलिए ऐसा करना बंद कर दो और जीवन को सिर्फ जिओ।
स्वामी विवेकानंद: फिर हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?
रामकृष्ण परमहंस: परेशान होना तुम्हारी आदत बन गयी है। यही वजह है कि तुम खुश नहीं रह पाते।
स्वामी विवेकानंद: अच्छे लोग हमेशा दुख और कष्ट क्यों पाते हैं?
रामकृष्ण परमहंस: जिस तरह हीरा रगड़े जाने पर ही चमकता है। सोने को शुद्ध होने के लिए आग में तपना पड़ता है। अच्छे लोग कष्ट नहीं पाते बल्कि उन्हें परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इस तरह के अनुभव से उनका जीवन बेहतर होता है, यह इम्तिहान बेकार नहीं जाता।
स्वामी विवेकानंद: आपका मतलब है कि ऐसे अनुभवों से फायदा होता है?
रामकृष्ण परमहंस: हां, अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह होता है। पहले वह परीक्षा लेता है और फिर सीख देता है।
स्वामी विवेकानंद: समस्याओं से घिरे रहने के कारण, हम जान ही नहीं पाते कि किधर जा रहे हैं…
रामकृष्ण परमहंस: अगर तुम अपने बाहर झांकोगे तो जान नहीं पाओगे कि कहां जा रहे हो। अपने भीतर झांको, आखें दृष्टि देती हैं, हृदय राह दिखाता है।
स्वामी विवेकानंद: कई बार मुझे लगता है कि मेरी प्रार्थनाएं बेकार जा रही हैं...
रामकृष्ण परमहंस: कोई भी प्रार्थना कभी भी बेकार नहीं जाती। अपनी आस्था बनाए रखो और डर को अपने से सदैव दूर रखो। जीवन कोई समस्या नहीं जिसे तुम्हें सुलझाने की जरूरत है, बल्कि एक रहस्य है, जिसे तुम्हें खोजना है। मेरा विश्वास करो- अगर तुम यह जान जाओ कि जीना कैसे है, तो जीवन सचमुच बेहद आश्चर्यजनक है।
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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