Taraweeh ki Dua In Hindi: तरावीह की नमाज क्या है? रमजान में क्यों और कैसे पढ़ी जाती है, जानें तरीका

Taraweeh Ki Nazam Padhne Ka Tarika, Dua And Niyat: इस्लाम धर्म में हर मुसलमान को दिन में पांच बार नमाज पढ़ना जरूरी माना गया है। खासतौर से रमजान के महीने में तो इस नियम का कड़ाई से पालन किया जाता है। यहां आप जानेंगे रमजान महीने क्यों की जाती है तरावीह की नमाज, क्या है इसका महत्व।

Taraweeh ki Dua or Niyat

Taraweeh Ki Nazam Ka Tarika

Taraweeh Ki Nazam Padhne Ka Tarika, Dua And Niyat: रमजान का पाक महीना पापों का प्रायश्चित करने का अवसर देता है। इस महीने मुस्लिम लोग भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं और जाने अनजाने में हुए पापों की क्षमा मांगते हैं। रमजान में हर मुसलमान के लिए रोजा रखना और नमाज पढ़ना अनिवार्य माना गया है। कहते हैं इस कार्य से बड़ा सबाब मिलता है। रमजान में तरावीह की नमाज जरूर पढ़ी जाती है। यहां आप जानेंगे कि तरावीह की नमाज क्या होती है और इसे पढ़ने के नियम क्या है।

तरावीह की नमाज क्या है? (Taraweeh ki Namaz Kya Hai)

तरावीह अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब है आराम और तेहेरना। रमजान में इस नमाज को पढ़ने का विशेष महत्व माना जाता है। तरावीह की नमाज ईशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है, जिसमें कुल 20 रकात होती हैं और हर दो रकात के बाद सलाम फेरा जाता है। वहीं हर बार 4 रकात के बाद तरावीह की दुआ पढ़ी जाती है। इस दुआ में सभी नमाज़ी अपने चाहने वालों की सलामती की दुआ करते हैं। यह नमाज महिला और पुरुष दोनों के लिए जरूरी है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार जिस घर में तरावीह की नमाज़ होती है वहां बरकत ही बरकत होती है।

हिंदी में तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua in Hindi)

सुबहान ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुब्हान ज़िल इज्ज़ति वल अज़मति वल हय्बति वल कुदरति वल किबरियाई वल जबरूत, सुबहानल मलिकिल हैय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमुतू सुब्बुहून कुददुसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर रूह, अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नारि या मुजीरू या मुजीरू या मुजीर

अंग्रेजी में तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua in English)

Subhana zil mulki wal malakut. Subhana zil izzati wal azmati wal haibati wal qudrati wal kibriya ay wal jabaroot. Subhanal malikil hayyil lazi la yanaamo wala yamato subbuhun quddusun rabbuna wa rabbul malaikati war ruh-allahumma ajirna minan naar ya mujiro ya mujiro ya mujeer.

तरावीह की दुआ इन अरबी (Taraweeh Ki Dua In Arbi)

سُبْحَانَ ذِی الْمُلْکِ وَالْمَلَکُوْتِ ط سُبْحَانَ ذِی الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْکِبْرِيَآئِ وَالْجَبَرُوْتِ ط سُبْحَانَ الْمَلِکِ الْحَيِ الَّذِی لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوْتُ سُبُّوحٌ قُدُّوْسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِکَةِ وَالرُّوْحِ ط اَللّٰهُمَّ اَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْر۔

तरावीह की नियत करने का तरीका (Taraweeh ki Niyat Kaise Kare)

धार्मिक मान्यताओं अनुसार तरावीह की नमाजज का सबाब तभी मिलता है, जब यह बिना गेप के पढ़ी जाती हैं। यानी तरावीह की नमाज रमज़ान महीने के बीच में नहीं छोड़नी चाहिए। अब जानते हैं इस नमाज को करने का तरीका।

पुरुष ऐसे करें तरावीह की नियत (Taraweeh ki Niyat For Male)

नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, पीछे इस इमाम के मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कह कर अपना हाथ बांध लेना है और फिर सना पढ़ेंगे !

महिला कैसे करती हैं तरावीह की नियत (Taraweeh ki Niyat For Ladies)

नियत करती हूं मैं दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह की, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, मुहं मेरा मक्का कअबा की तरफ, अल्लाहु अकबर..फिर हाथ ऊपर करके नियत बांध लेते हैं।

तरावीह की नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दस सूरतें (Taraweeh Ki 10 Surah)

सूरह फिल- अलम तरा कैफा फाअला रब्बुका बियस हाबिल फील। अलम यज़अल कै दाहुम फी तजलील। वा अर्सला अलैहिम तैरन अबाबील। तर्मीहिम बिही जारतिम में सिज्जील। फजा अलाहुम का सिफिम माकूल।

सूरह नास- कुल अऊजू बि रब्बिन नासि. मलिकिन नासि. इला हिन्नासि,मिन श र्रि ल वस् वासिल खन्ना सि,अल्लज़ी युवस विसु फी सुदु रिन्नासी,मिनल जिन्नति वन्नास.

सुरह कुरैश- लि इलाफि कुरैश। इलाफिहिम रिहलतश शिताई वस सैफ। फल यअबुदू रब्बा हाज़ल बैत। अल्लज़ी अत अमाहुम मिन जुआ। व आमना हुम मिन खौफ।

सूरह माऊन- अ र अै तल लज़ी युकज़्ज़िबु बिद्दीन, फ जालिकल लज़ी यदुअ उल यतीम वला यहुहुद्दु अला तआमिल मिस्कीन, फ वै लुल लिल मुसल लीनल, लज़ी न हुम अन सलातिहिम साहूनल, लज़ी न हुम युराऊ न व यम नऊनल माऊन।

सूरह कौसर- इन्ना अअतैना कल कौसर, फसल लि लि रब्बि क वन हर, इन न शानि अ क हुवल अबतर।

सूरह काफिरून- कुल या अय्युहल काफ़िरून। ला अबदु माँ ता अबुदन। वाला अन्तुम आबिदु न माँ आबुद। वला अना आ बिदुम माँ अब ततुम। वला अन्तुम आबिदु न माँ आ बू दू। ला कम दिनु कम व लिय दीन।

सूरह नस्र- इज़ा ज अ नसरुल्लाहि वल फ़तहु। व र अै तन ना स यदखुलू न फी दीनिल्लाहि अफ़वाजा। फ़सब्बिह बिहम्दि रब्बि क वस्तग़ फ़िर हू इन्नहु का न तव्वाबा।

सूरह लहब- तब्बत यदा अबी ल हबिव व तब्ब। मा अग्ना अनहु मालुहू वमा कसब। सयस्ला नारन ज़ा त ल ह बिव। वम र अतुहू हम्मा लतल हतब। फी जीदिहा हब्लुम मिन मसद।

सूरह इखलास- कुल हुवल्लाहु अहद अल्लाहुस्समद लम यलिद व् लम यूलद वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद

सूरह फलक- कुल अऊजू बि रब्बिल फलक। मिन शर्रि मां खलक। वमिन शर्रि ग़ासिकीन इज़ा वकब। व् मिन शर्रिन नफ्फा साति फिल उकद। व् मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद।

तरावीह की नमाज़ के बारे में जरूरी बातें

तरावीह की नमाज दो तरीके से की जाती है। बड़ी तरावीह की नमाज में इमाम रमजान के रोजे के अंदर पूरा कुरान शरीफ को मुक्कमल करता है तो वहीं छोटी तरावीह की नमाज में इमाम कुरान के 30 वे पारे की 10 सूरत पढ़ते हैं।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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