Teachers Day 2024 Shlok, Dohe: गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः...शिक्षक दिवस पर देखें गुरुओं के श्लोक, दोहे और मंत्र
Shlok For Teachers Day 2024: शिक्षस दिवस गुरुओं को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हैं। यहां देखिए देखिए शिक्षक दिवस के श्लोक, मंत्र और दोहे।
Teachers Day Shlok
Teachers Day 2024 Shlok, Mantra And Dohe: सनातन धर्म में गुरुओं को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। शास्त्रों में गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा गया है कि गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः। अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है गुरु ही विष्णु है और गुरु ही महेश्वर हैं। यही कारण है कि गुरु को ईश्वर से भी बड़ा दर्जा दिया गया है। इसके अलावा संत कबीर दास जी ने भी गुरु के हमारे जीवन में महत्व को बताते हुए कहा है कि गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। इस दोहे का अर्थ है कि जब आपके समक्ष गुरु और ईश्वर दोनों खड़े हों तो सबसे पहले गुरु के चरणों पर अपना शीश झुकाना चाहिए, क्योंकि वो गुरु ही होते हैं जो हमें भगवान के पास पहुंचने का ज्ञान प्रदान करते हैं। चलिए शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर देखते हैं गुरुओं के श्लोक, मंत्र और दोहे।
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शिक्षक दिवस श्लोक (Teachers Day Shlok)
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ- इस श्लोक में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के समान बताया गया है और उन्हें परम ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। इसके साथ ही ये श्लोक गुरु के प्रति आदर और श्रद्धाभाव को भी व्यक्त करता है।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव॥
अर्थ- यह श्लोक गुरु को माता, पिता, बंधु, सखा और विद्या के समान मानने का भाव व्यक्त करता है।
विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम् ।
शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता ॥
अर्थ- इस श्लोक में शिक्षक के सबसे महत्वपूर्ण गुण, जैसे विद्वत्ता, दक्षता, शील, स्नेहभाव और उनकी अनुशासन क्षमता की प्रशंसा की जाती है।
दुग्धेन धेनुः कुसुमेन वल्ली शीलेन भार्या कमलेन तोयम् ।
गुरुं विना भाति न चैव शिष्यः शमेन विद्या नगरी जनेन ॥
अर्थ- इस श्लोक में शिष्य और गुरु के संबंध को दुग्ध और धेनु, कुसुम और वल्ली, शील और भार्या, कमल और तोय के समान दर्शाया गया है।
शिक्ष दिवस मंत्र (Teachers Day Mantra)
- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
- ॐ बृं बृहस्पतये नमः
- गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:
- ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्
शिक्षक दिवस दोहे (Teachers Day ke Dohe)
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय|
बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय||
अर्थ- इस दोहे का अर्थ है कि जब गुरु और भगवान एक साथ होते हैं, तो प्राथमिकता गुरु को ही देनी चाहिए। इसका कारण यह है कि गुरु ही हमें भगवान के प्रति श्रद्धा का मार्ग दिखाते हैं।
गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त ||
अर्थ- इस दोहे में संत कबीर दास जी कहते हैं कि गुरु सभी संतों को आंतरिक रूप से जानते हैं और वह शिष्य की मानसिक स्थिति को समझकर उसे धार्मिक मार्ग पर दिशा देते हैं।
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि - गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥
अर्थ- इस दोहे में, संत कबीर दास जी कहते हैं कि गुरु कुम्हार के समान हैं, जो मूट्ठी में मिट्टी को बनाकर कुंभ बनाते हैं।
गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान॥
अर्थ- इस दोहे में, संत कबीर दास जी कहते हैं कि गुरु दाता की तरह नहीं होते, जो सिर्फ चाहने वाले की मांगों को पूरा करता है, बल्कि वे शिष्य के शीष की तरह होते हैं, जो शिक्षा और मार्गदर्शन के लिए तैयार होता है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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