Anang Trayodashi 2022: प्रेमी युगलों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है अनंग त्रयोदशी, इस विधि से पूजा करने पर मिलेगा जन्म-जन्म का साथ

Anang Trayodashi 2022: हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अनंग त्रयोदशी का व्रत रखा जाता है। इस बार 5 दिसंबर को अनंग त्रयोदशी का व्रत है। इस व्रत में भगवान शिव और पार्वती के अलावा कामदेव और रति का भी पूजन होता है। अनंग त्रयोदशी को प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास माना गया है।

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अनंग त्रयोदशी का व्रत प्रेमी युगलों लिए है खास, जानें महत्‍व

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • त्रयोदशी तिथि को होता है अनंग त्रयोदशी का व्रत
  • शिव-पार्वती और कामदेव व रति की होती है पूजा
  • अनंग त्रयोदशी का व्रत रखने से प्रेम संबंध होते हैं मजबूत

Anang Trayodashi 2022: हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अनंग त्रयोदशी का व्रत रखा जाता है। इस बार अनंग त्रयोदशी का व्रत 5 दिसंबर को किया जाएगा। इस साल अनंग त्रयोदशी के साथ सोम प्रदोष व्रत भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों पर कृपा बनी रहती है। इस व्रत में भगवान शिव और पार्वती के अलावा कामदेव और रति का भी पूजन होता है। अनंग त्रयोदशी को प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास माना गया है। मान्‍यता है कि इस दिन व्रत रखने से प्रेमी युगलों को जन्‍म-जन्‍मांतर एक दूसरे का साथ मिलता है। साथ ही इसे संतान सुख देने वाला व्रत भी माना जाता है।

अनंत त्रयोदशी व्रत का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 5 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 57 मिनट पर त्रयोदशी तिथि लग रही है। यह तिथि 6 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि 5 दिसंबर को है, इसलिए अनंग त्रयोदशी व्रत 5 दिसंबर को रखा जाएगा।

अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व और कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रयोदशी व्रत के दिन भगवान शिव और पार्वती के साथ कामदेव और रति की पूजा-अर्चना करने से प्रेम संबंध मजबूत होता है। इस व्रत को रखने वाले प्रेमी युगल और विवाहित दंपतियों को भगवान शिव का ध्‍यान कर व्रत और पूजा पाठ करना चाहिए। इससे भगवान शिव प्रसन्‍न होते हैं और प्रेम संबंध मजबूत होता है।

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अनंग त्रयोदशी व्रत की शुरूआत कैसे हुई?

पौराणिक कथाओं व मान्‍यताओं के अनुसार, तारकासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। उसे ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि उसकी मौत सिर्फ शिव पुत्र के हाथों ही होगा। उस समय भगवान शिव ध्यान में लीन थे। देवताओं ने उनका ध्यान भंग करने के लिए कामदेव को भेजा। कमदेव ने अपनी शक्तियों से भोलेनाथ का ध्यान भंग कर दिया। लेकिन इससे भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्‍होंने कामदेव को भस्म कर दिया। कामदेव की पत्‍नी रति के प्रार्थना पर भगवान शिव ने कहा कि ये द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रुप में जन्म लेंगे, तब तक ये बिना अंगों के ही रहेंगे, इसलिए इनका नाम अनंग पड़ा । भोलेनाथ ने उनको वरदान दिया की, जो भी अनंग त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति की पूजा करेगा, उसका प्रेम संबंध मजबूत होगा।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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