शरीर के अंगों के फड़कने के होते हैं अलग−अलग संकेत, जानकर दूर कर सकते हैं रोग−दोष और क्लेश

सुबह उठने के साथ किसी एक आंख के फड़कने से लेकर हाथ पैर, या अन्य शारीरिक अंग के फड़कने तक लोगों के मन में संशय रहता है। ज्योतिष के अनुसार हर अंग के फड़कने के पीछे विशेष कारण छुपा होता है। शरीर के विभिन्न अंगों के फड़कने के संकेत का अर्थ आइये जानते हैं कैसे।

fluttering of body parts

अंगों के फड़कने के संकेत

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • शरीर के बाह्य के साथ आंतरिक अंग भी फड़कते हैं
  • हाथ की हथेली की फड़कन से जान सकते हैं लाभ हानि
  • स्त्रियों के वाम और पुरुषों के दक्षिणांगों का फड़कना शुभ
सनातन धर्म में पूर्वज, ऋषि मुनियों ने शरीर के अंगों के स्फुरण या फडकने का शुभाशुभ फल कहा है। यदि व्यक्ति विचारपूर्वक इन फलों को समझ ले तो जीवन के विपत्तियों को आने से पहले समाधान तलाश सकता है। शरीर के अंगों के फड़कने या स्फुरणाें के फल प्राप्ति के संबंध में कभी−कभी तो फल शीघ्र ही प्राप्त हो जाते हैं लेकिन कभी−कभी देर से भी प्राप्त होते हैं। किंतु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह एक निर्विवाद सत्य है कि प्रत्येक स्फुरण एक सौर मास के अंतर्गत अपने शुभाशुभ फल को अवश्य ही प्राप्त कर लेता है।
अंग स्फुरण फल विचार
  • सिर− राज्य सम्मान की प्राप्ति
  • सिर का दक्षिणी हिस्सा− सुख− प्राप्ति
  • सिर का बायां हिस्सा− अशुभ समाचार− प्राप्ति
  • ललाट− एर्श्वादि की प्राप्ति
  • दाहिनी आंख− धन हानि या राज भय
  • दाहिनी आंख के नीचे− कष्ट प्राप्ति
  • दाहिनी आंख के उपर− सुख प्राप्ति
  • बाईं आंख− शुभ समाचार की प्राप्ति
  • बाईं नाक− मृत्यु या मृत्यु समान रोग सूचक
  • दाहिनी नाक− मधुर भाेजन की प्राप्ति
  • जीभ− अधिक धन की प्राप्ति
  • तालु− कलह सूचक या धन लाभ
  • दाहिनी कान− सुंदर स्त्री और कुटुम्ब में लाभ
  • बायां कान− सिर में पीड़ा
  • दोनों कान− धन की प्राप्ति
  • दाहिना कंधा− सोना प्राप्ति
  • बायां कंधा− यात्रा लग्न
  • दोनों कंधे− भाेग− विलास में वृद्धि
  • सिर− वस्त्रादि की प्राप्ति
  • दाहिनी भुजा− बलवान होने का सूचक
  • बाईं भुजा− कलह सूचक
  • दोनों भुजा− मधुर भाेजन व धन प्राप्ति
  • दायां पांव− विदेश यात्रा लग्न
  • बायां पांव− सुख प्राप्ति
  • उंगलियां− मीठा भाेजन प्राप्ति का लग्न
  • कमर− आमोद− प्रमोद में वृद्धि
  • ललाट− राज्य सम्मान प्राप्ति या भूमि, द्रव्य का लाभ
  • गुप्तांग− प्रेम− प्रीति सुख लाभ
  • छाती− सर्वांग में पीड़ा सूचक
  • पीठ− शूलरोग या खतरे की सूचना
  • जांघ− सर्वत्र कुशलता की प्राप्ति होती है
  • गुदा− वाहन सुख की प्राप्ति होती है
  • कंठ− अकस्मात धन की प्राप्ति हो जाती है
  • नितंब− प्रिय व्यक्ति से मिलन हो सकता है
  • वक्ष− विजय प्राप्ति और शत्रु नाश होता है
  • पैर का तलुवा− आकस्मिक मान− प्रतिष्ठा की प्राप्ति
  • दाहिनी हथेली− धन गमन की सूचना मिल सकती है
  • बाईं हथेली− धन प्राप्ति होती है
  • दाहिनी पलक− खतरे की पूर्व सूचना मानी जाती है
  • बाईंं पलक− धन की हानि होती है।
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बता दें कि स्त्रियों के वाम अंग और पुरुषाें के दक्षिणांगों का स्फुरण प्रायः शुभ माना गया है। अतः उपर्युक्त फलितांतर्गत जो भाग दाएं− बाएं में विभाजित किये जा सकते हैं, उनके फल को भी समझना चाहिए। जिन भागों में योग्य विभाजन संभव नहीं है, उनके फल स्त्रीः पुरुष दोनों ही में समान होंगे।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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