इस यंत्र में छिपी हैं मां लक्ष्मी की कृपा, घर लगाने पर होगी धन वर्षा, जानें दिवाली पर इसे कैसे करें स्थापित
How to please Maa Laxmi: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मां लक्ष्मी की कृपा पानी हो तो इसमें एक यंत्र आपकी मदद कर सकता है। इसे घर की पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। माना जाता है कि इस यंत्र को घर में लगाने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। यहां जानें दिवाली पर इसकी स्थापना कैसे करें।
लक्ष्मी जी की कृपा पाने का यंत्र
How to please
श्रीयंत्र को यंत्रों का यंत्र महायंत्र भी कहा जाता है। यह धन की देवी मां लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला प्रभावी यंत्र है। इस यंत्र को लेकर मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति 5000 वर्ष पूर्व वैदिक काल में हुई थी। इसके प्रयोग से धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है और संपन्नता, समृद्धि और परिवार में एकाग्रता की प्राप्ति होती है। इसके सही प्रयोग से हर तरह की दरिद्रता को दूर किया जा सकता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे क्या होता है श्रीयंत्र और कैसे करें इसका प्रयोग।
क्या है श्रीयंत्र
श्रीयंत्र एक संस्कृत शब्द है, जहां श्री का अर्थ धन और यंत्र का अर्थ उपकरण से है। यह एक प्राचीन उपकरण है, जिसमें ब्रम्हांडीय शक्तियां निहित हैं। इसे घर में रखने और पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है और संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस यंत्र की उत्पत्ति आदि शंकराचार्य ने पांच हजार वर्ष पूर्व वैदिक काल में की थी, यह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और ताकतवर यंत्र है। इस यंत्र के अंदर से अपूर्व सिद्धि और ताकत पैदा होती है। लेकिन ध्यान रहे यंत्र सही बना होना चाहिए और इसे पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ही स्थापित किया जाना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं धन की देवी मां लक्ष्मी का यह महायंत्र कैसे, कब और कहां स्थापित करें।
श्रीयंत्र को स्थापित करने के लिए व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए। इसके बाद ही आप इस महापवित्र यंत्र को हांथ लगाएं। ध्यान रहे ज्योतिषशास्त्र के अनुसार घर, कार्यालय या वाहन में श्रीयंत्र की स्थापना शुक्रवार को ही की जा सकती है। शुक्रवार को इसकी स्थापना करना अधिक प्रभावी होता है।
- यंत्र से सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए गुरुवार की रात इसे खारे पानी में भिगोकर रखें।
- अगले दिन यानि शुक्रवार को इसे निकालकर साफ पानी से धो लें। तथा सूर्य की किरणों से शुद्धि के लिए इसे कुछ घंटो के लिए धूप में नम जमीन पर रखें।
- इसे स्थापित करने से पहले यंत्र को एक प्लेट में रखें और पानी, दूध और केसर में भिगाकर रख दें।
- इसके बाद पानी से धो लें। फिर अगरबत्ती जलाएं और जिस स्थान पर यंत्र स्थापित करना है उस स्थान पर गंगा जल छिड़कें तथा ऐसा करते समय मंत्रो का जाप करें। ध्यान रहे लाल या पीले कपड़े पर यंत्र को स्थापित करें।
- यंत्र पर चंदन या कुमकुम का लेप लगाएं और उस पर मूंगा रत्न की माला अर्पित करें। यंत्र को स्थापित करते समय श्रीयंत्र के पास शिवलिंग रखें। तथा यंत्र पर लाल, पीले, कच्ची हल्दी और गुड़ चढ़ाएं।
- यंत्र को स्थापित करते समय कमल के बीज की माला से इस मंत्र का 108 बार जाप करें। तथा स्थापित करने के बाद इसे लाल कपड़े से ढक दें।
श्रीयंत्र स्थापित करने का मंत्र
ओम् स्ह्रेएम्, ह्रेएम् स्ह्रेएम् कम्ले कमललये प्रसेएद्, प्रसेएद्
स्ह्रेएम् ह्रेएम् स्ह्रेएम् ओम् महलक्स्ह्मये नमह्
श्रीयंत्र को कहां रखें
श्रीयंत्र को सर्वाधिक फलदायी और सबसे महान यंत्र माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार श्रीयंत्र का मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए। आप इसे पूर्व भाग में भी स्थापित कर सकते हैं। श्रीयंत्र के पिछले हिस्से में कोई ऊर्जा नहीं होती, इसलिए इसके पिछले हिस्से को दीवार में सटाकर रखें।
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