Chintaman Ganesh Mandir: उज्जैन के इस मंदिर में होती है गणपति के तीन रूपों की पूजा, एक बार दर्शन करने से होती है मन्नत पूरी

त्रेतायुग में स्वयं भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता ने किया था चिंतामण गणेश का पूजन। रानी अहिल्याबाइ होल्कर ने कराया मंदिर का जीर्णाेद्धार। त्रेतायुग की लक्ष्मण द्वारा बनायी गयी बावड़ी आज भी है मौजूद। तिल महोत्सव पर लगता है सवा लाख तिल के लड्डुओं का भाेग।

उज्जैन स्थित चिंतामण गणेश मंदिर

मुख्य बातें
  • चितांमण, इच्छामण और सिद्धिविनायक रूपों की पूजा
  • तिल महोत्सव पर लगता है सवा लाख तिल लड्डू का भाेग
  • स्वयं भगवान राम ने की है चिंतामण गणेश मंदिर में पूजा

Chintaman Ganesh Mandir: महाकाल की नगरी उज्जैन, जिसे अवन्तिका नगरी भी कहा जाता था कभी। इस प्राचीन नगरी की विशेषता इतनी भर नहीं है। कर्क रेखा जिस नगरी के मध्य से होकर गुजरती है वो नगरी एतिहासिक धार्मिक स्थलों को अपनी धरती पर सुशाेभित किये है। महादेव के पुत्र भगवान गणेश, जो कि प्रथम पूज्य देव हैं। महाकालेश्वर मंदिर के साथ ही उज्जैन चिंतामन गणेश मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। चिंतामन गणेश मंदिर उज्जैन के तीर्थ स्थलों में महत्वपूर्ण स्थान रखना है। यह मंदिर फतेहाबाद रेलवे लाइन के समीप ही स्थित है। मंदिर की विशेषता है कि यहां श्री गणपति जी के तीन रूप एक साथ विराजमान हैं। जिन्हें चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर जैसी प्रतिमा देश में अन्य किसी गणेश मंदिर में नहीं हैं।

गणेश जी का हर रूप है विशेष

मंदिर में विराजित गणपति जी की तीनों प्रतिमाओं में विशेषताएं हैं। चिंतामण गणेश चिंताएं दूर करते हैं। इच्छामण गणेश भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं। वहीं सिद्धिविनायक गणेश रिद्धि सिद्ध देते हैं। इस मंदिर को स्वयं भू स्थली के नाम से जाना जाता है।

ये है मान्यता

मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का उज्जैन में पिंडदान किया था। सतयुग में राम, लक्ष्मण और सीता माता वनवास पर थे। उस वक्त घूमते घूमते अवन्तिका नगरी आ गए। तब सीता माता को बहुत प्यास लगी। लक्ष्मण जी ने अपने तीर से इस स्थान पर पानी निकाला और यहां एक बावड़ी बना दी। माता सीता ने इस जल को पीकर अपना उपवास खाेला। भगवान राम ने तीनों गणेश प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की।

End Of Feed