Tulsi Vivah Katha In Hindi: कार्तिक पूर्णिमा पर जरूर पढ़ें तुलसी माता की ये पौराणिक कथा

Kartik Purnima Tulsi Mata Ki Katha: कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं इस दिन तुलसी माता की विधि विधान पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है। यहां पढ़ें तुलसी जी की कथा।

kartik Purnima Tulsi Katha

Tulsi Puja Katha In Hindi

Tulsi Puja Katha In Hindi (तुलसी जी की कथा): पूरे कार्तिक महीने में तुलसी जी के पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति कार्तिक मास में तुलसी जी की विधि विधान पूजा करता है उसके जीवन में कभी किसी चीज का अभाव नहीं रहता। वहीं जो लोग कार्तिक महीने के प्रत्येक दिन तुलसी जी की पूजा नहीं कर पाए हैं उनके लिए कार्तिक पूर्णिमा का दिन खास है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाता है उसे पूरे महीने में दीपक जलाने का फल एक साथ मिल जाता है। यहां जानिए तुलसी जी की पौराणिक कथा।

Tulsi Puja Katha In Hindi (तुलसी पूजा कथा)

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसी जी को सींचती थी और कहती: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूं ,

मुझे बहु दे,

पीले रंग की धोती दे,

मीठा-मीठा गास दे,

बैकुंठ में वास दे,

चटक की चाल दे,

अच्छी मौत दे,

चंदन का काठ दे,

रानी सा राज दे,

खाने को दाल भात दे,

ग्यारस (एकादशी) की मौत दे,

कृष्ण जी का कन्धा दे ।

जब तुलसी माता बुढ़िया की ये बातें सुनकर सूखने लगीं तो भगवान ने पूछा कि: हे तुलसी! तुम क्यों सूख रही हो?

तब तुलसी माता ने कहा एक बुढ़िया रोज आती है और यही बात कहकर जाती है। मैं उसकी सब बात तो पूरा कर दूंगी लेकिन कृष्ण का कन्धा कहां से लाऊंगी। तब भगवान ने कहा: जब वो मरेगी तो मैं उसे अपने आप कंधा दे आऊंगा। ये बात तू बुढ़िया माई से कह देना।

जब बुढिया माई मरी तो सब लोग आये और उसे कंधा देने लगे लेकिन बुढ़िया माई किसी से न उठी। तब सभी बोले ये बुढ़िया तो बहुत संस्कारी थी, हमेशा पूजा-पाठ करती रहती थी, कभी कोई पाप नहीं किया, फिर इसे कोई उठा क्यों नहीं पा रहा है। तब भगवान एक बारह बरस के बालक के रूप में वहां पधारे। बालक ने वहां मौजूद लोगों से कहा मैं इनके कान में एक बात कहूंगा तो बुढ़िया माई उठ जाएगी। बालक ने कान में कहा:

बुढ़िया माई मन की निकाल ले,

पीताम्बर की धोती ले,

मीठा ग्रास ले,

बेकुंठ में वास ले,

चटक की चाल ले,

चंदन का काथ ले,

झालर की झंकार ले,

पटक की मोत ले,

कृष्ण जी का कन्धा ले..

भगवान की ये बातें सुनकर बुढ़िया माई हल्की हो गई। भगवान ने कन्धा दिया और बुढ़िया माई को मुक्ति मिल गई। हे तुलसी माता! जैसे बुढ़िया माई को मुक्ति दी वैसे सबको देना।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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