Tulsi : देवउठनी एकादशी से चंद्र ग्रहण तक होगा तुलसी दल का प्रयोग, इसके पत्ते तोड़ते वक्त न करें ये गलतियां
Tulsi Leaves: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व बताया गया है। इस धर्म में लोग तुलसी को देवी मानकर पूजते हैं। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के बाद तुलसी व शालिग्राम का विवाह कराया जाता है और भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित किए जाते हैं। आइए जानते हैं कि तुलसी के पौधे की पत्तियों को तोड़ते वक्त कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए।
चंद्र ग्रहण में होता है तुलसी का विशेष उपयोग
मुख्य बातें
- देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को अर्पित होगी तुलसी
- चंद्र ग्रहण में भी होता है तुलसी का विशेष उपयोग
- इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ते वक्त न करें ये गलतियां
कैसे तोड़ें तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों को कभी भी नाखून से खींचकर नहीं तोड़ना चाहिए। इन्हें अंगूठे और तर्जनी अंगुली की सहायता से तोड़ें। ख्याल रखें कि तुलसी के पौधे को कभी भी स्नान किए बिना नहीं छूना चाहिए। इससे भगवान विष्णु रुष्ट हो जाते हैं।
कब तोड़ने चाहिए पत्ते
तुलसी के पत्तों को कभी भी रविवार और मंगलवार के दिन तोड़ने से बचना चाहिए। इसके अलावा आप किसी भी दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ सकते हैं। तुलसी के पत्ते शाम या रात के समय न तोड़ें। इन्हें भोर में तोड़ना शुभ होता है। एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
बेवजह तोड़ने की गलती न करें
तुलसी के पत्तों को यूं ही बेवजह तोड़ने की गलती न करें। इनकी जरूरत पड़ने पर ही इन्हें तोड़ें। बता दें कि तुलसी के पत्तों में एंटीबायोटिक गुण होने की वजह से भी इन्हें उपयोग में लाया जाता है। इसलिए आप धर्म-कर्म या स्वास्थ्य संबंधित जरूरतों के हिसाब से तुलसी के पत्तों को तोड़ें।
ग्रहण काल में ना तोड़ें
तुलसी के पत्तों को कभी भी ग्रहण काल में नहीं तोड़ना चाहिए। बेहतर होगा कि आप सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण लगने से पहले ही इन्हें तोड़कर रख लें। अगर आप इन्हें सूतक काल से भी पहले तोड़ लेंगे तो ये और भी उत्तम होगा। इन्हें तोड़ने के बाद घर में रखे खाने में डाल दें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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