Tulsi : देवउठनी एकादशी से चंद्र ग्रहण तक होगा तुलसी दल का प्रयोग, इसके पत्ते तोड़ते वक्त न करें ये गलतियां

Tulsi Leaves: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व बताया गया है। इस धर्म में लोग तुलसी को देवी मानकर पूजते हैं। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के बाद तुलसी व शालिग्राम का विवाह कराया जाता है और भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित किए जाते हैं। आइए जानते हैं कि तुलसी के पौधे की पत्तियों को तोड़ते वक्त कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए।

चंद्र ग्रहण में होता है तुलसी का विशेष उपयोग

मुख्य बातें
  • देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को अर्पित होगी तुलसी
  • चंद्र ग्रहण में भी होता है तुलसी का विशेष उपयोग
  • इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ते वक्त न करें ये गलतियां

Tulsi Leaves: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व बताया गया है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के बाद तुलसी व शालिग्राम का विवाह कराया जाता है और भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित किए जाते हैं। इससे दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस वर्ष तुलसी विवाह का श्रेष्ठ मुहूर्त शनिवार पांच नवंबर को शाम 6 बजकर 08 मिनट से प्रारंभ होकर रविवार छह नवंबर को शाम 5 बजकर 06 बजे तक रहेगा। इस साल देवउठनी एकादशी 04 नवंबर को है और 08 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है। ग्रहण से पहले भी घर में रखे खाने में तुलसी के पत्ते तोड़कर डालते हैं। ऐसे में तुलसी के पत्तों का उपयोग करने वाले लोग इन्हें तोड़ते वक्त 5 गलतियां न करें।

कैसे तोड़ें तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्तों को कभी भी नाखून से खींचकर नहीं तोड़ना चाहिए। इन्हें अंगूठे और तर्जनी अंगुली की सहायता से तोड़ें। ख्याल रखें कि तुलसी के पौधे को कभी भी स्नान किए बिना नहीं छूना चाहिए। इससे भगवान विष्णु रुष्ट हो जाते हैं।

कब तोड़ने चाहिए पत्ते

तुलसी के पत्तों को कभी भी रविवार और मंगलवार के दिन तोड़ने से बचना चाहिए। इसके अलावा आप किसी भी दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ सकते हैं। तुलसी के पत्ते शाम या रात के समय न तोड़ें। इन्हें भोर में तोड़ना शुभ होता है। एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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