Tulsi Vivah 2023 Puja Vidhi Live Updates: आज तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा, यहां जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा सबकुछ
Tulsi Vivah 2023 Puja Vidhi, Muhurat Time, Puja Samagri, Katha, Rangoli Designs Live Updates: आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। कुछ लोग इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन करते हैं। यहां जानिए तुलसी विवाह की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और सबकुछ।
Tulsi Vivah 2023 Puja Vidhi Live Updates: आज तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा, यहां जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा सबकुछ
Tulsi Vivah 2023 Puja Vidhi, Muhurat Time, Puja Samagri, Katha, Rangoli Designs Live Updates: तुलसी विवाह का आयोजन कई लोग द्वादशी तिथि को करते हैं। जो लोग द्वादशी तिथि पर तुलसी विवाह कराते हैं वो लोग 24 नवंबर को यानि आज ये पर्व मनाएंगे। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह कराना बेहद पुण्य का काम माना जाता है। मान्यता है इससे जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
Tulsi Vivah Shubh Muhurat 2023 (तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 2023)
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 23 नवंबर की रात 9 बजकर 1 मिनट से 24 नवंबर की शाम 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार द्वादशी 24 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन तुलसी विवाह का समय सुबह 11:28 से दोपहर 12:11 तक इसके बाद दोपहर 01:37 से दोपहर 02:20 तक रहेगा।
Tulsi Vivah Puja Vidhi In Hindi (तुलसी विवाह पूजा विधि)
तुलसी विवाह शाम के समय प्रदोष काल में कराया जाता है। तुलसी विवाह से पहले स्नान करके नए वस्त्र पहन लें। फिर तुलसी के गमले पर गन्ने से मंडप बना लें और उसे फूलों से सजा लें। फिर तुलसी पर लाल चुनरी और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद एक गमले में शालिग्राम जी को रखें और विधि विधान विवाह शुरु करवाएं। ध्यान रहे कि पूजा के समय शालिग्राम भगवान पर चावल न चढ़ाएं बल्कि इसकी जगह तिल चढ़ाकर विवाह संपन्न कराना चाहिए। फिर शालिग्राम जी और तुलसी जी पर हल्दी लगाएं साथ ही मंडप पर भी हल्दी का लेप लगा लें। इसके बाद विवाह की सारी रस्में पूरी करने के बाद प्रसाद बांटें।
Ganesh Ji Ki Aarti (गणेश जी की आरती)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
तुलसी विवाह कितने दिनों तक कर सकते हैं
तुलसी विवाह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादश तिथि को किया जाता है और इस तिथि से एक दिन पूर्व को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। भारत में कुछ जगहों पर पांच दिनों तक तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है जिसमें इसका समापन कार्तिक माह की पूर्णिमा को होता है।तुलसी विवाह के लाभ
- तुलसी विवाह करने से परिवार में सुख-शांति आती है और परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है।
- इस विवाह के प्रभाव से परिवार की सभी समस्याएं और बाधाएं दूर होती हैं एवं दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है।
- अविवाहित लड़कियों को तुलसी विवाह के दिन पूजन एवं व्रत रखने से मनचाहे और उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
- तुलसी विवाह में तुलसी का कन्यादान करने से नि:संतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है।
Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics (विष्णु भगवान की आरती लिरिक्स)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
श्री तुलसी स्तुति (Shri Tulsi Stuti)
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥ १॥
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि ।
आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ २॥
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः ।
यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ ३॥
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम् ।
आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम् ॥ ४॥
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये ॥ ५॥
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा ।
आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये ॥ ६॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा ।
कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम् ॥ ७॥
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ॥ ८॥
॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥
Tulsi Vivah Par Kya Hota Hai (तुलसी विवाह पर क्या होता है)
इस दिन माता तुलसी का शालिग्राम भगवान से विवाह करवाया जाता है और इस दिन पर महिलाएं व्रत भी रखती हैं। उत्तर भारत में तुलसी विवाह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन किए जाते हैं।तुलसी विवाह मुहूर्त
पंचांग अनुसार द्वादशी तिथि 23 नवंबर 2023 की रात 9 बजकर 1 मिनट से शुरू हो चुकी है जिसकी समाप्ति 24 नवंबर 2023 की शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगी। तिथि अनुसार तुलसी विवाह 24 नवंबर की शाम 7 बजकर 6 मिनट तक किया जा सकेगा। अगर तुलसी विवाह के सबसे शुभ मुहूर्त की बात करें तो वो 11:28 AM से 12:11 PM तक, फिर 01:37 PM से 02:20 PM तक रहेगा। जानिए तुसली विवाह सामग्री लिस्ट।Tulsi Vivah Samagri List In Hindi (तुलसी विवाह सामान लिस्ट)
फलहल्दी की गांठ
बताशा
दिये
तुलसी जी
फूल
विष्णु जी का चित्र
शालिग्राम
गणेश जी की प्रतिमा
कोई सुंदर रूमाल
श्रृंगार का सामान
धूप
दीप
भोग
हल्दी
सिंघाड़ा
हवन सामग्री
मंडप बनाने के लिए गन्ना
लाल चुनरी
कुमकुम
तिल
कपूर
घी का दीपक
आंवला
चने की भाजी
वर-वधु के दिए जाने वाले आवश्यक समान
Tulsi Vivah Mantra (तुलसी विवाह मंत्र)
तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया ।चिनोमी केशवस्यार्थे वरदा भव शोभने ॥
त्वदङ्गसम्भवैः पत्रैः पूजयामि यथा हरिम् ।
तथा कुरु पवित्राङ्गि! कलौ मलविनाशिनि ॥
Tulsi Vivah 2023: तुलसी विवाह आरती
जय जय तुलसी मातासब जग की सुख दाता, वर दाताजय जय तुलसी माता ।।सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपररुज से रक्षा करके भव त्राताजय जय तुलसी माता।।बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्याविष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाताजय जय तुलसी माता ।।हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दितपतित जनो की तारिणी विख्याताजय जय तुलसी माता ।।लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन मेंमानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाताजय जय तुलसी माता ।।हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारीप्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाताजय जय तुलसी माता ।।Tulsi Vivah Samagri List (तुलसी विवाह सामग्री)
तुलसी का पौधा, शालिग्राम, विष्णुजी की प्रतिमालकड़ी की चौकीगन्ना, मूली, आंवला, शकरकंद, बेर, सिंघाड़ा, सीताफलधूप-दीप, फूल, हल्दी की गांठलाल चुनरी, चूड़ियां और शृंगार की सामग्रीबताशा, मिठाईअक्षत,रोली, कुमकुमTulsi Vivah Geet: तुलसी विवाह गीत
मेरी प्यारी तुलसा जी बनेंगी दुल्हनियां...सजके आयेंगे दूल्हे राजा।देखो देवता बजायेंगे बाजा...सोलह सिंगार मेरी तुलसा करेंगी।हल्दी चढ़ेगी मांग भरेगी...देखो होठों पे झूलेगी नथनियां।देखो देवता...देवियां भी आई और देवता भी आए।साधु भी आए और संत भी आए...और आई है संग में बरातिया।देखो देवता...गोरे-गोरे हाथों में मेहंदी लगेगी...चूड़ी खनकेगी ,वरमाला सजेगी।प्रभु के गले में डालेंगी वरमाला।देखो देवता...लाल-लाल चुनरी में तुलसी सजेगी...आगे-आगे प्रभु जी पीछे तुलसा चलेगी।देखो पैरो में बजेगी पायलियां।देखो देवता...सज धज के मेरी तुलसा खड़ी है...डोली मंगवा दो बड़ी शुभ घड़ी है।देखो आंखों से बहेगी जलधारा।देखो देवता...Tulsi Vivah 2023: तुलसी विवाह आरतीजय जय तुलसी मातासब जग की सुख दाता, वर दाताजय जय तुलसी माता ।।सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपररुज से रक्षा करके भव त्राताजय जय तुलसी माता।।बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्याविष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाताजय जय तुलसी माता ।।हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दितपतित जनो की तारिणी विख्याताजय जय तुलसी माता ।।लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन मेंमानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाताजय जय तुलसी माता ।।हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारीप्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाताजय जय तुलसी माता ।।Tulsi Vivah Puja Vidhi (तुलसी विवाह पूजा विधि)
तुलसी विवाह के दिन चौकी फिर तुलसी जी को चौकी पर लगा दें।दूसरी चौकी पर भगवान शालीग्राम भगवान को स्थापित करें। फिर कलश में जल भरकर उसमें 5-7 आम के पत्ते डालें और पूजा स्थल पर रख दें।शालिग्राम और तुलसीजी के सामने दीपक जलाएं और कुमक से तिलक लगाएं।तुलसी को लाल चुनरी चढ़ाई जाती है और तुलसी को चूड़ियों और बिंदियों से सजाया जाता है।पूजा के बाद सौभाग्य की प्रार्थना के लिए तुलसी और शालिग्राम की आरती करें।मां तुलसी का मंगलाष्टक मंत्र
ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलमTulsi Vivah Puja Niyam: तुलसी विवाह नियम
इस दिन हर सुहागिन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।इस दिन पूजा के समय माता तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी जरूर चढ़ाना चाहिए।इस दिन तुलसी के गमले में शालिग्राम जरूर रखें और तिल चढ़ाएं।तुलसी और शालिग्राम को तिलक लगाएं।उसके बाद पूजा करने के बाद किसी भी चीज के साथ 11 बार तुलसी जी परिक्रमा जरूर करें।पूजा में मिठाई का भोग लगाएं और उसके बाद सभी को वितरण कर दें।पूजा खत्म हो जाने के बाद शाम को भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) को नींद से जगाने का आह्वान करें।Dev Uthani Ekadashi Images
तुलसी विवाह के लिए पूजन सामग्री
तुलसी विवाह के लिए तुलसी जी और शालिग्राम भगवान को बहुत अच्छे से सजाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. तो अगर आप घर पर पूरे विधि विधान से तुलसी विवाह करना चाहते हैं तो कुछ पूजा सामग्री को जरूर शामिल करें. सबसे पहले विवाह के लिए मंडप तैयार करना होता है. इसके लिए गन्ने का इस्तेमाल करें. इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें और तुलसी जी का पौधा सजाएं. पूजा के लिए दीप, वस्त्र धूप,माला, फूल, सुहाग का सामान, साड़ी, लाल चुनरी, हल्दी, मूली, शकरकंद, सीताफल, सिंघाड़ा, अमरुद और मौसमी फल आदि रखें.तुलसी चालीसा ( Tulsi Chalisa)
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Tulsi Ashtottara Shatnam Namavali)
॥ श्रीतुलसी अष्टोत्तरशतनामावली ॥ॐ श्री तुलस्यै नमः ।ॐ नन्दिन्यै नमः ।ॐ देव्यै नमः ।ॐ शिखिन्यै नमः ।ॐ धारिण्यै नमः ।ॐ धात्र्यै नमः ।ॐ सावित्र्यै नमः ।ॐ सत्यसन्धायै नमः ।ॐ कालहारिण्यै नमः ।ॐ गौर्यै नमः॥ १० ॥ॐ देवगीतायै नमः ।ॐ द्रवीयस्यै नमः ।ॐ पद्मिन्यै नमः ।ॐ सीतायै नमः ।ॐ रुक्मिण्यै नमः ।ॐ प्रियभूषणायै नमः ।ॐ श्रेयस्यै नमः ।ॐ श्रीमत्यै नमः ।ॐ मान्यायै नमः ।ॐ गौर्यै नमः ॥ २० ॥ॐ गौतमार्चितायै नमः ।ॐ त्रेतायै नमः ।ॐ त्रिपथगायै नमः ।ॐ त्रिपादायै नमः ।ॐ त्रैमूर्त्यै नमः ।ॐ जगत्रयायै नमः ।ॐ त्रासिन्यै नमः ।ॐ गात्रायै नमः ।ॐ गात्रियायै नमः ।ॐ गर्भवारिण्यै नमः ॥ ३० ॥ॐ शोभनायै नमः ।ॐ समायै नमः ।ॐ द्विरदायै नमः ।ॐ आराद्यै नमः ।ॐ यज्ञविद्यायै नमः ।ॐ महाविद्यायै नमः ।ॐ गुह्यविद्यायै नमः ।ॐ कामाक्ष्यै नमः ।ॐ कुलायै नमः ।ॐ श्रीयै नमः ॥ ४० ॥ॐ भूम्यै नमः ।ॐ भवित्र्यै नमः ।ॐ सावित्र्यै नमः ।ॐ सरवेदविदाम्वरायै नमः ।ॐ शंखिन्यै नमः ।ॐ चक्रिण्यै नमः ।ॐ चारिण्यै नमः ।ॐ चपलेक्षणायै नमः ।ॐ पीताम्बरायै नमः ।ॐ प्रोत सोमायै नमः ॥ ५० ॥ॐ सौरसायै नमः ।ॐ अक्षिण्यै नमः ।ॐ अम्बायै नमः ।ॐ सरस्वत्यै नमः ।ॐ संश्रयायै नमः ।ॐ सर्व देवत्यै नमः ।ॐ विश्वाश्रयायै नमः ।ॐ सुगन्धिन्यै नमः ।ॐ सुवासनायै नमः ।ॐ वरदायै नमः ॥ ६० ॥ॐ सुश्रोण्यै नमः ।ॐ चन्द्रभागायै नमः ।ॐ यमुनाप्रियायै नमः ।ॐ कावेर्यै नमः ।ॐ मणिकर्णिकायै नमः ।ॐ अर्चिन्यै नमः ।ॐ स्थायिन्यै नमः ।ॐ दानप्रदायै नमः ।ॐ धनवत्यै नमः ।ॐ सोच्यमानसायै नमः ॥ ७० ॥ॐ शुचिन्यै नमः ।ॐ श्रेयस्यै नमः ।ॐ प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः ।ॐ विभूत्यै नमः ।ॐ आकृत्यै नमः ।ॐ आविर्भूत्यै नमः ।ॐ प्रभाविन्यै नमः ।ॐ गन्धिन्यै नमः ।ॐ स्वर्गिन्यै नमः ।ॐ गदायै नमः ॥ ८० ॥ॐ वेद्यायै नमः ।ॐ प्रभायै नमः ।ॐ सारस्यै नमः ।ॐ सरसिवासायै नमः ।ॐ सरस्वत्यै नमः ।ॐ शरावत्यै नमः ।ॐ रसिन्यै नमः ।ॐ काळिन्यै नमः ।ॐ श्रेयोवत्यै नमः ।ॐ यामायै नमः ॥ ९० ॥ॐ ब्रह्मप्रियायै नमः ।ॐ श्यामसुन्दरायै नमः ।ॐ रत्नरूपिण्यै नमः ।ॐ शमनिधिन्यै नमः ।ॐ शतानन्दायै नमः ।ॐ शतद्युतये नमः ।ॐ शितिकण्ठायै नमः ।ॐ प्रयायै नमः ।ॐ धात्र्यै नमः ।ॐ श्री वृन्दावन्यै नमः ॥ १०० ॥ॐ कृष्णायै नमः ।ॐ भक्तवत्सलायै नमः ।ॐ गोपिकाक्रीडायै नमः ।ॐ हरायै नमः ।ॐ अमृतरूपिण्यै नमः ।ॐ भूम्यै नमः ।ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः ।ॐ श्री तुलस्यै नमः ॥Tulsi Vivah Puja Niyam: तुलसी विवाह नियम
इस दिन हर सुहागिन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।इस दिन पूजा के समय माता तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी जरूर चढ़ाना चाहिए।इस दिन तुलसी के गमले में शालिग्राम जरूर रखें और तिल चढ़ाएं।तुलसी और शालिग्राम को तिलक लगाएं।उसके बाद पूजा करने के बाद किसी भी चीज के साथ 11 बार तुलसी जी परिक्रमा जरूर करें।पूजा में मिठाई का भोग लगाएं और उसके बाद सभी को वितरण कर दें।पूजा खत्म हो जाने के बाद शाम को भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) को नींद से जगाने का आह्वान करें।विष्णु की आरती (Vishnu Aarti Lyrics)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥Tulsi Vivah Rangoli Deisngs 2023: तुलसी विवाह पर बनाएं ऐसी रंगोली
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(Tulsi Vivah Puja Muhurat) तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की द्वादशी तिथि प्रारंभ 23 नवंबर को 21:01 बजे। साथ ही इसका समापन 24 नवंबर को शाम 7:06 बजे होगा। ऐसे में 24 नवंबर को तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराना शुभ रहेगा। ऐसे में इस दिन प्रदोष काल शाम 5:25 बजे से शाम 6:04 बजे तक रहेगा।मां तुलसी का मंगलाष्टक मंत्र
ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलमTulsi Vivah 2023: तुलसी विवाह आरती
जय जय तुलसी मातासब जग की सुख दाता, वर दाताजय जय तुलसी माता ।।सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपररुज से रक्षा करके भव त्राताजय जय तुलसी माता।।बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्याविष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाताजय जय तुलसी माता ।।हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दितपतित जनो की तारिणी विख्याताजय जय तुलसी माता ।।लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन मेंमानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाताजय जय तुलसी माता ।।हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारीप्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाताजय जय तुलसी माता ।।मां तुलसी का मंगलाष्टक मंत्र
ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलमTulsi Vivah Puja Vidhi (तुलसी विवाह पूजा विधि)
तुलसी विवाह के दिन चौकी फिर तुलसी जी को चौकी पर लगा दें।दूसरी चौकी पर भगवान शालीग्राम भगवान को स्थापित करें। फिर कलश में जल भरकर उसमें 5-7 आम के पत्ते डालें और पूजा स्थल पर रख दें।शालिग्राम और तुलसीजी के सामने दीपक जलाएं और कुमक से तिलक लगाएं।तुलसी को लाल चुनरी चढ़ाई जाती है और तुलसी को चूड़ियों और बिंदियों से सजाया जाता है।पूजा के बाद सौभाग्य की प्रार्थना के लिए तुलसी और शालिग्राम की आरती करें।(Tulsi Vivah Puja Muhurat) तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की द्वादशी तिथि प्रारंभ 23 नवंबर को 21:01 बजे। साथ ही इसका समापन 24 नवंबर को शाम 7:06 बजे होगा। ऐसे में 24 नवंबर को तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराना शुभ रहेगा। ऐसे में इस दिन प्रदोष काल शाम 5:25 बजे से शाम 6:04 बजे तक रहेगा।Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi In Hindi (देव उठनी एकादशी पूजा विधि)
इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान करके मन में पूजा व्रत का संकल्प लें।इसके बाद गन्ने की सहायता से एक मंडप बना लें। फिर इस मंडप के बीचो-बीच चौक बनाएं।
इसके बाद चौक के बीच में आप चाहें तो भगवान विष्णु की कोई मूर्ति रखें या उनका चित्र बना लें।
फिर चौक में भगवान के चरण बना लें और उनकों ढक दें।
इसके बाद भगवान विष्णु को गन्ना, सिंघाड़ा, फल, मिठाई अर्पित करें।
फिर घी का एक दीपक जलाएं जिसे रात भर जलाकर रखना है।
फिर भोर के समय भगवान के चरणों में विधिवत पूजा करनी है और उनके चरणों को स्पर्श करके शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उन्हें उठाना चाहिए।
इसके बाद देव उठनी एकादशी की व्रत कथा सुनी जाती है।
Tulsi Vivah Mantra (तुलसी विवाह पर करें इस मंत्र का जाप)
मां तुलसी और शालिग्राम की कृपा पाने के लिए इस दिन तुलसी को स्पर्श करते हुए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।‘महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते’
तुलसी विवाह मंगलाष्टक (Tulsi Mangalashtak Lyrics In Hindi)
॥ अथ मंगलाष्टक मंत्र ॥ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः।
चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः ।
प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः,
स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥1
गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ,
गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः ।
गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी,
गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥2
नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं,
तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम् ।
गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्,
संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥3
बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः,
जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः ।
मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः,
पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥4
गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः,
सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती ।
स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी,
वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥5
गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा,
कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका ।
शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी,
पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥6
लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा,
गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः ।
अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे,
रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥7
ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः,
शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः ।
विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा,
इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥8
॥ इति मंगलाष्टक समाप्त ॥
तुलसी दल तोड़ने का मंत्र:
तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया ।चिनोमी केशवस्यार्थे वरदा भव शोभने ॥
त्वदङ्गसम्भवैः पत्रैः पूजयामि यथा हरिम् ।
तथा कुरु पवित्राङ्गि! कलौ मलविनाशिनि ॥
तुलसी विवाह कितने दिनों तक कर सकते हैं
कुछ स्थानों पर यह पांच दिनों की अवधि के लिए मनाया जाता है, जो कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।Tulsi Chalisa Lyrics: तुलसी विवाह के दिन तुलसी चालीसा का जरूर करें पाठ
॥ दोहा ॥जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी ।
नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ॥
श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब ।
जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब ॥
॥ चौपाई ॥
धन्य धन्य श्री तलसी माता ।
महिमा अगम सदा श्रुति गाता ॥
हरि के प्राणहु से तुम प्यारी ।
हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी ॥
जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो ।
तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो ॥
हे भगवन्त कन्त मम होहू ।
दीन जानी जनि छाडाहू छोहु ॥ ४ ॥
सुनी लक्ष्मी तुलसी की बानी ।
दीन्हो श्राप कध पर आनी ॥
उस अयोग्य वर मांगन हारी ।
होहू विटप तुम जड़ तनु धारी ॥
सुनी तुलसी हीँ श्रप्यो तेहिं ठामा ।
करहु वास तुहू नीचन धामा ॥
दियो वचन हरि तब तत्काला ।
सुनहु सुमुखी जनि होहू बिहाला ॥ ८ ॥
समय पाई व्हौ रौ पाती तोरा ।
पुजिहौ आस वचन सत मोरा ॥
तब गोकुल मह गोप सुदामा ।
तासु भई तुलसी तू बामा ॥
कृष्ण रास लीला के माही ।
राधे शक्यो प्रेम लखी नाही ॥
दियो श्राप तुलसिह तत्काला ।
नर लोकही तुम जन्महु बाला ॥ १२ ॥
यो गोप वह दानव राजा ।
शङ्ख चुड नामक शिर ताजा ॥
तुलसी भई तासु की नारी ।
परम सती गुण रूप अगारी ॥
अस द्वै कल्प बीत जब गयऊ ।
कल्प तृतीय जन्म तब भयऊ ॥
वृन्दा नाम भयो तुलसी को ।
असुर जलन्धर नाम पति को ॥ १६ ॥
करि अति द्वन्द अतुल बलधामा ।
लीन्हा शंकर से संग्राम ॥
जब निज सैन्य सहित शिव हारे ।
मरही न तब हर हरिही पुकारे ॥
पतिव्रता वृन्दा थी नारी ।
कोऊ न सके पतिहि संहारी ॥
तब जलन्धर ही भेष बनाई ।
वृन्दा ढिग हरि पहुच्यो जाई ॥ २० ॥
शिव हित लही करि कपट प्रसंगा ।
कियो सतीत्व धर्म तोही भंगा ॥
भयो जलन्धर कर संहारा ।
सुनी उर शोक उपारा ॥
तिही क्षण दियो कपट हरि टारी ।
लखी वृन्दा दुःख गिरा उचारी ॥
जलन्धर जस हत्यो अभीता ।
सोई रावन तस हरिही सीता ॥ २४ ॥
अस प्रस्तर सम ह्रदय तुम्हारा ।
धर्म खण्डी मम पतिहि संहारा ॥
यही कारण लही श्राप हमारा ।
होवे तनु पाषाण तुम्हारा ॥
सुनी हरि तुरतहि वचन उचारे ।
दियो श्राप बिना विचारे ॥
लख्यो न निज करतूती पति को ।
छलन चह्यो जब पारवती को ॥ २८ ॥
जड़मति तुहु अस हो जड़रूपा ।
जग मह तुलसी विटप अनूपा ॥
धग्व रूप हम शालिग्रामा ।
नदी गण्डकी बीच ललामा ॥
जो तुलसी दल हमही चढ़ इहैं ।
सब सुख भोगी परम पद पईहै ॥
बिनु तुलसी हरि जलत शरीरा ।
अतिशय उठत शीश उर पीरा ॥ ३२ ॥
जो तुलसी दल हरि शिर धारत ।
सो सहस्त्र घट अमृत डारत ॥
तुलसी हरि मन रञ्जनी हारी ।
रोग दोष दुःख भंजनी हारी ॥
प्रेम सहित हरि भजन निरन्तर ।
तुलसी राधा में नाही अन्तर ॥
व्यन्जन हो छप्पनहु प्रकारा ।
बिनु तुलसी दल न हरीहि प्यारा ॥ ३६ ॥
सकल तीर्थ तुलसी तरु छाही ।
लहत मुक्ति जन संशय नाही ॥
कवि सुन्दर इक हरि गुण गावत ।
तुलसिहि निकट सहसगुण पावत ॥
बसत निकट दुर्बासा धामा ।
जो प्रयास ते पूर्व ललामा ॥
पाठ करहि जो नित नर नारी ।
होही सुख भाषहि त्रिपुरारी ॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
तुलसी चालीसा पढ़ही तुलसी तरु ग्रह धारी ।
दीपदान करि पुत्र फल पावही बन्ध्यहु नारी ॥
सकल दुःख दरिद्र हरि हार ह्वै परम प्रसन्न ।
आशिय धन जन लड़हि ग्रह बसही पूर्णा अत्र ॥
लाही अभिमत फल जगत मह लाही पूर्ण सब काम ।
जेई दल अर्पही तुलसी तंह सहस बसही हरीराम ॥
तुलसी महिमा नाम लख तुलसी सूत सुखराम ।
मानस चालीस रच्यो जग महं तुलसीदास ॥
Shaligram Ji Ki Aarti: शालिग्राम जी की आरती
शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।यह वरदान दयाकर पाऊं ॥
प्रात: समय उठी मंजन करके ।
प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥
चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।
वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ॥
चरण धोय चरणामृत लेकर ।
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ॥
जो कुछ रुखा सूखा घर में ।
भोग लगाकर भोजन पाऊं ॥
मन वचन कर्म से पाप किये ।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥
ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
जम के द्वारे जाने न पाऊं ॥
माधोदास की विनती यही है ।
हरी दासन को दास कहाऊं ॥
॥ इति श्री शालिग्राम आरती संपूर्णम् ॥
Tulsi Vivah 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat Live Updates तुलसी विवाह पर पूरे दिन सर्वार्थसिद्धि योग
देवउठनी एकादशी पर सर्वार्थसिद्धि योग शाम 05 बजकर 16 मिनट से हो रहा है और यह अगले दिन 24 नवंबर को सुबह 06 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। इसके साथ ही कोई भी नया व्यवसाय शुरू करने के लिए भी इस योग को बेहद शुभ माना गया है।Tulsi Vivah Puja Samagri List In Hindi (तुलसी विवाह पूजा सामग्री)
- फल
- हल्दी की गांठ
- बताशा
- धूप
- दीप
- भोग
- हल्दी
- दिये
- तुलसी जी
- फूल
- विष्णु जी का चित्र
- श्रृंगार का सामान
- कुमकुम
- तिल
- कपूर
- घी का दीपक
- शालिग्राम
- गणेश जी की प्रतिमा
- सिंघाड़ा
- हवन सामग्री
- मंडप बनाने के लिए गन्ना
- चने की भाजी
- लाल चुनरी
- कोई सुंदर रूमाल
- आंवला
- वर-वधु के दिए जाने वाले आवश्यक समान
Tulsi Vivah 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat Live Updates: तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता...।। जय ।।
सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर...
रुज से रक्षा करके भव त्राता।
।। जय।।
बटु पुत्री हे श्यामा सुर बल्ली हे ग्राम्या...
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे सो नर तर जाता।
।। जय ।।
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित...
पतित जनों की तारिणी तुम हो विख्याता।
।। जय ।।
लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में...
मानवलोक तुम्हीं से सुख संपत्ति पाता।
।। जय ।।
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वरुण कुमारी...
प्रेम अजब है उनका तुमसे कैसा नाता।
।। जय ।।
बोलो तुलसी माता की जय….!!!
Tulsi Ji Ka Vivah Kisse Hua Tha: तुलसी जी का विवाह किससे हुआ था
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