Tulsi Vivah Puja Vidhi: तुलसी विवाह कैसे किया जाता है, यहां जानिए पूरी विधि विस्तार से
Tulsi Vivah Puja Vidhi In Hindi (Tulsi Vivah Ke Niyam): तुलसी विवाह बेहद पुण्य का काम माना जाता है। मान्यता है जो व्यक्ति विधि विधान तुलसी पूजन करता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां जानिए तुलसी विवाह की पूजा विधि।
Tulsi Vivah Puja Vidhi In Hindi
Tulsi Vivah Mandap Decoration (तुलसी विवाह का मंडप कैसे बनाएं)
तुलसी विवाह कराने के लिए 4 गन्नों की मदद से एक मंडप तैयार किया जाता है। जिसमें दो चौकी स्थापित की जाती है। एक पर वधू रूप में तुलसी का पौधा और दूसरे पर दूल्हे के रूप में शालिग्राम जी को बिठाया जाता है फिर अब विधिपूर्वक पूजा करके तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। आगे जानिए तुलसी विवाह पूजा विधि विस्तार से।
Tulsi Vivah Puja Vidhi At Home In Hindi (तुलसी विवाह पूजा विधि)
- तुलसी विवाह कराने से पहले गन्नों का मंडप बनाएं।
- इस मंडप में तुलसी के पौधे को गमले सहित रख दें और फिर तुलसी जी को चुनरी चढ़ाई जाती है।
- फिर एक रंगोली बनाकर चौक स्थापित करें। इस पर सफेद तिल का आसन देते हुए, भगवान विष्णु या फिर शालीग्राम जी की स्थापना करें।
- फिर भगवान गणेश को भी चौक पर तिल का आसन देते हुए स्थापित करें।
- इसके बाद तांबे या पीतल का कलश लें।
- कलश के अंदर गंगा जल, शुद्ध जल, हल्दी, सुपारी, सिक्का, तिल और रोली डाल लें।
- फिर दूर्वा से सभी प्रतिमाओं, कलश और तुलसी जी पर शुद्ध जल का छिड़काव करें।
- फिर गणेश जी और भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं और तुलसी माता को सिंदूर लगाएं।
- तिलक के बाद आप अपनी क्षमतानुसार 1 या 5 दीपक जला लें।
- फिर पहले गणेश जी को दूर्वा, पुष्प, तिल, जनेऊ और मौली चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु को जनेऊ, पीले पुष्प और मौली चढ़ाएं।
- फिर तुलसी माता को पुष्प और मौली अर्पित करें।
- तुलसी जी को इस दिन 16 श्रृंगार की सामग्री भी अर्पित करें।
- अब वरमाला के लिए दो माला लें, पहली माला को भगवान विष्णु से स्पर्श करवाएं और उसे तुलसी जी को पहना दें और फिर तुलसी माता पर माला को स्पर्श कराते हुए उसे भगवान विष्णु को पहना दें।
- इसके बाद दोनों का गठबंधन किया जाएगा।
- गठबंधन के लिए आपने जो चुनरी तुलसी माता को चढ़ाई थी उसके साथ एक पीले कपड़े को गांठ बांध लें। पीला कपड़ा शालीग्राम जी या भगवान विष्णु की प्रतिमा के पास रहेगा।
- इस गठजोड़ में हल्दी, पुष्प, सिक्का, सफेद तिल और सुपारी भी डाल दें।
- इसके बाद गणेश जी, विष्णु जी, तुलसी माता को धूप दिखाई और फिर कलश को धूप दिखाएं।
- अब भोग स्वरूप आप अपनी श्रद्धानुसार खीर-पूड़ी, सेब, केले, गन्ने, खजूर, सिंघाड़े, आंवले या आंवल का मुरब्बा, रेवड़ी आदि चीजें अर्पित करें।
- भोग के बाद सभी प्रतिमाओं को जल अर्पित किया जाता है।
- इसके बाद तुलसी और शालिग्राम की हल्दी करें।
- गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाएं।
- फिर शालिग्राम जी को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करें।
- अब आप आरती की थाली सजा लें। जिसमें धूप, कपूर और दीपक रखें और श्रद्धापूर्वक पहले भगवान गणेश जी की फिर भगवान विष्णु की और अंत में माता तुलसी की आरती करें।
- इस प्रकार तुलसी विवाह संपन्न हो जाने की घोषणा करें और सभी में प्रसाद बांटा जाता है।
- तुलसी विवाह के समय मंगल गीत गाना न भूलें।
- पूजा के अंत में हाथ में पुष्प और तिल लें और भगवान से पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें।
Tulsi Vivah Mantra (तुलसी विवाह मंत्र)
तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया ।
चिनोमी केशवस्यार्थे वरदा भव शोभने ॥
त्वदङ्गसम्भवैः पत्रैः पूजयामि यथा हरिम् ।
तथा कुरु पवित्राङ्गि! कलौ मलविनाशिनि ॥
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