Tulsi Vivah Aarti Lyrics: तुलसी विवाह पूजन में ये 4 आरती जरूर करें शामिल, माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न

Tulsi Vivah Aarti Lyrics: तुलसी विवाह आरती में भगवान गणेश जी की आरती, तुलसी माता की आरती, शालिग्राम भगवान की आरती और विष्णु जी की आरती शामिल है। इन 4 आरती को करने के बाद ही तुलसी विवाह पूजन पूर्ण माना जाता है।

tulsi vivah aarti in hindi

Tulsi Vivah Aarti Lyrics In Hindi

Tulsi Vivah Aarti Lyrics (तुलसी विवाह आरती): तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे की भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी से शादी की जाती है। कुछ लोग तुलसी विवाह एकादशी के दिन कराते हैं तो कुछ द्वादशी के दिन। वहीं कुछ जगहों पर कार्तिक महीने की देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक तुलसी विवाह पर्व मनाया जाता है। मान्यता है तुलसी विवाह कराने से भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। जानिए तुलसी विवाह आरती लिरिक्स।
तुलसी विवाह में सबसे पहले करें

Ganesh Ji Ki Aarti (गणेश जी की आरती)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
तुलसी विवाह में दूसरे नंबर पर करें

Tulsi Mata Ki Aarti (तुलसी माता की आरती)

जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।
तुलसी विवाह में तीसरे नंबर पर करें

Shaligram Bhagwan Ki Aarti (शालिग्राम भगवान की आरती)

शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।
यह वरदान दयाकर पाऊं ॥
प्रात: समय उठी मंजन करके ।
प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥
चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।
वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ॥
चरण धोय चरणामृत लेकर ।
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ॥
जो कुछ रुखा सूखा घर में ।
भोग लगाकर भोजन पाऊं ॥
मन वचन कर्म से पाप किये ।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥
ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
जम के द्वारे जाने न पाऊं ॥
माधोदास की विनती यही है ।
हरी दासन को दास कहाऊं ॥
तुलसी विवाह में आखिरी में करें

Vishnu Ji Ki Aarti (विष्णु जी की आरती)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुलसी विवाह में सबसे पहले गणेश जी की आरती करनी चाहिए। क्योंकि हिंदू धर्म में गणेश भगवान को प्रथम पूज्य देवता माना गया है। यानी किसी भी पूजा पाठ या शुभ काम की शुरुआत में सबसे पहले गणेश जी की अराधना जरूर करनी चाहिए। इससे उस काम में कोई विघ्न नहीं आता।
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