Tulsi Vivah Kyon Manaya jata hai: तुलसी विवाह क्यों मनाया जाता है, जानिए इसका इतिहास और महत्व
Tulsi Vivah Kyon Manaya jata hai: कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह कराया जाता है। इसको मनाने के पीछे पौराणिक कथा छिपी है। ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी विवाह क्यों मनाया जाता है। जानिए इसका इतिहास और महत्व।
Tulsi Vivah Kyon Manaya jata hai
Tulsi Vivah Kyon Manaya jata hai: इस साल तुलसी विवाह का पर्व 13 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी जी का विवाह कराया जाता है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता का पूजन करने से और तुलसी जी का विवाह करना से साधक को सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है। तुलसी पूजन करने से साधक को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु की विग्रह के रूप शालीग्राम से हुआ था। तुलसी विवाह से एक दिन पहले देव उठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन देव उठाए जाते हैं। आइए जानते हैं तुलसी विवाह क्यों मनाया जाता है।
Tulsi Vivah Kyon Manaya jata hai (तुलसी विवाह क्यों मनाया जाता है)पुराण के अनुसार माता तुलसी का पहला विवाह जालंधर से हुआ था। जालंधर बहुत ही अत्याचारी और पापी था। वहीं तुलसी माता पतिव्रता पत्नि थी। संसार को जलांधर के अत्याचार से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक लीला रची। तुलसी जी का नाम वृंदा था। इनके पतिव्रत को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने जलांधर का रूप धारण करके वृंदा को स्पर्श किया। जिसके कारण तुलसी का पतिव्रत धर्म टूट गया है और शिव जी ने जलांधर का वध कर दिया। जब इस बात का पता वृंदा को चला तो उन्होंने विष्णु जी को श्राप देकर उनको पत्थर का बना दिया। लक्ष्मी जी के अनुरोध करने पर वृंदा ने विष्णु जी को श्राप से मुक्त कर दिया, लेकिन खुद भस्म हो गईं और वहां पर एक पौधा उग आया। जिसका नाम तुलसी पड़ा। विष्णु भगवान ने उस पौधे को तुलसी का नाम दिया और कहा कि शालिग्राम नाम से मेरा ये रूप तुलसी के साथ हमेशा रहेगा। तब से ही भगवान शालीग्राम और तुलसी एक साथ रहने लगे और इनका विवाह कराया गया।
Tulsi Vivah History (तुलसी विवाह इतिहास)
तुलसी विवाह का इतिहास पौराणिक काल का है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने वृंदा के पतिव्रता को भंग किया था। जिसके कारण वृंदा ने उनको श्राप दिया और पत्थर का बना दिया। भगवान विष्णु ने उस श्राप को स्वीकार किया और शालीग्राम बन गए। तब से भगवान शालीग्राम की पूजा की जानें लगी और विष्णु जी के कहने पर तुलसी जी और भगवान शालीग्राम के विवाह का प्रस्ताव रखा और तब से भगवान विष्णु की एक पत्नि तुलसी माता भी बन गईं।
Tulsi Vivah Mahatav (तुलसी विवाह महत्व)
हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत ही खास महत्व है। कार्तिक महीने की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु के रूप शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। घर में तुलसी विवाह कराने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। तुलसी विवाह कराने से जल्द ही विवाह के योग भी बनते हैं। इससे विवाह में आने वाली सारी परेशानियां दूर हो जाती है।
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जयंती झा author
बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हु...और देखें
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