Tulsi Vivah Katha In Hindi: कार्तिक पूर्णिमा पर जरूर पढ़ें तुलसी माता की पौराणिक कथा

Tulsi Vivah Katha In Hindi: तुलसी विवाह पूरे विधि विधान से किया जाता है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं और फिर शाम में तुलसी माता की पूजा करने के बाद भगवान शालीग्राम से उनकी शादी कराते हैं। यहां देखिए तुलसी विवाह की कथा।

Tulsi Vivah Vrat Katha In Hindi

Tulsi Vivah Katha Aarti In Hindi: तुलसी विवाह की पौराणिक कथा अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने तेज को समुद्र में फैंक दिया था। जिससे एक महातेजस्वी बालक का जन्म हुआ। यह बालक आगे चलकर जालंधर के नाम से दैत्य राजा बना। इसकी राजधानी का नाम जालंधर था।जालंधर का विवाह दैत्यराज कालनेमी की कन्या वृंदा से हुआ। जालंधर महाराक्षस था। अपनी सत्ता के मद में चूर होकर एक बार उसने माता लक्ष्मी को पाने की कामना से युद्ध किया, लेकिन समुद्र से ही उत्पन्न होने के कारण माता लक्ष्मी ने उसे अपने भाई के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद जालंधर देवी पार्वती को पाने की लालसा से कैलाश पर्वत पहुंच गया।
वह भगवान शिव का रूप धारण करके पार्वती के समीप गया, परंतु मां ने उसे तुरंत पहचान लिया तथा वह वहां से अंतर्ध्यान हो गईं। देवी पार्वती ने क्रुद्ध होकर सारा वृतांत भगवान विष्णु को सुनाया। जालंधर की पत्नी वृंदा अत्यन्त पतिव्रता स्त्री थी। उसी के पतिव्रत धर्म की शक्ति से जालंधर को न तो कोई मार सकता था और न ही पराजित कर सकता था। ऐसे में जालंधर का नाश करने के लिए उसकी पत्नी वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग करना बहुत जरूरी था।
इसी कारण भगवान विष्णु ऋषि का वेश धारण कर वन में जा पहुंचे, जहां वृंदा भ्रमण कर रही थीं। ऋषि रूप में भगवान विष्णु के साथ दो मायावी राक्षस भी थे, जिन्हें देखकर वृंदा भयभीत हो गईं। ऋषि ने उन राक्षस को वृंदा के सामने तुरंत ही भस्म कर दिया। उनकी शक्ति देखकर वृंदा ने कैलाश पर्वत पर महादेव के साथ युद्ध कर रहे अपने पति के बारे में पूछा। ऋषि ने अपने माया जाल से दो वानर प्रकट किए। जिसमें एक वानर के हाथ में जालंधर का सिर था तथा दूसरे के हाथ में उसका धड़ था। अपने पति की यह दशा देखकर वृंदा मूर्छित हो गईं। होश में आने पर उन्होंने ऋषि से अपने पति को जीवित करने की विनती की।
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