Tulsidas Jayanti 2024: तुलसीदास जी का जीवन परिचय, रचनाएं, दोहे, श्लोक सबकुछ जानिए यहां

Tulsidas Ji Ka Jivan Parichay In Hindi: तुलसीदास जयंती का त्योहार श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यताओं अनुसार इस दिन इनका जन्म हुआ था। तुलसीदास जी ने हिंदू धर्म के कई महान ग्रंथों और काव्यो की रचना की थी। चलिए जानते है तुलसीदास जयंती कब, कैसे और क्यों मनाई जाती है।

Tulsidas Jayanti 2024

Tulsidas Jayanti 2024, Tulsidas Ji Ka Jivan Parichay In Hindi

Tulsidas Jayanti 2024, Tulsidas Ji Ka Jivan Parichay In Hindi: गोस्वामी तुलसीदास जी को संस्कृत के विख्यात विद्वान और एक महान कवि के रूप में जाना जाता है। उन्होंने रामचरितमानस समेत कई प्रसिद्ध धर्म ग्रंथों की रचना की। इतना ही नहीं हनुमान चालीसा की रचना का श्रेय भी तुलसीदास जी को ही जाता है। हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जी की जयंती मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर लोग भारत के इस महान संत को याद करते हैं। चलिए जानते हैं तुलसीदास जयंती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी।

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तुलसीदास जयंती 2024 मुहूर्त (Tulsidas Jayanti 2024 Muhurat)

इस साल 11 अगस्त को तुलसीदास जी की 527वाँ जन्म वर्षगाँठ मनाई जाएगी। सप्तमी तिथि का प्रारम्भ 11 अगस्त की सुबह 05:44 से होगा और इसकी समाप्ति 12 अगस्त की सुबह 07:55 पर होगी।

कैसे मनाते हैं तुलसीदास जयंती? (How To Celebrate Tulsidas Jayanti)

भारत में तुलसीदास जी का जन्‍मोत्‍सव लोग बड़ी खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन तुलसीदास जी द्वारा लिखे गए श्लोकोंं, दोहों और ग्रंथों को पढ़ा जाता है। इसके अलावा इस दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।

तुलसीदास जयंती की पूजन विधि (Tulsidas Jayanti Puja Vidhi)

इस दिन श्रद्धालु भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करते हैं। क्योंंकि तुलसीदास जी श्री राम और हनुमान जी के बड़े भक्त थे। यदि आप घर पर ही तुलसीदास जयंती की पूजा करना चाहते हैं, तो इसके लिए घर में किसी साफ स्थान पर राम दरबार स्‍थापित करें। घी का दीपक जलाएं और प्रसाद चढ़ाएं। इस दिन पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग जरूर करें। इसके बाद तुलसी की माला से तुलसीदास जी द्वारा लिखे गए दोहे या चौपाई का 108 बार जाप करें।

तुलसीदास जी की जन्म और मृत्यु की तारीख (Tulsidas Date Of Birth And Death)

कथाओं अनुसार तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में 1532 ईस्‍वी में हुआ था। तो वहीं कुछ जगहों पर इनके जन्म का साल 1543 ईं. बताया गया है। वहीं इनकी मृत्यु 1623 ईस्‍वी में हुई थी। हालांकि तुलसीदास जी के जन्म और मृत्यु के समय को लेकर हमेशा से मतभेद रहा है। जानकारी अनुसार इनके पिता का नाम आत्‍माराम और माता का नाम हुलसी था।

तुलसीदास जी का जीवन परिचय (Tulsidas Ji Ka Jivan Parichay In Hindi)

तुलसीदास जी का जन्‍म उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में 1532 ईस्‍वी में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्‍माराम और माता का नाम हुलसी था। कहते हैं इनके मुंह से पहला शब्‍द ‘राम’ निकला था। इसके बाद उनका नाम रामबोला पड़ गया। जन्‍म के कुछ दिन बाद ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद उनकी परवरिश नौकरानी करने लगी थी। जब तुलसीदास जी 5 वर्ष के हुए, तो उन्हें पालने वाली नौकरानी की भी मृत्‍यु हो गई। इसके बाद नरहरिदास जी ने इन्हें गोद ले लिया और उन्‍हें अपने साथ अयोध्‍या लेकर आ गए। इसके बाद तुलसीदास जी ने अयोध्या में रहते हुए ही अपनी शिक्षा-दीक्षा सदगुरुदेव श्री नरहरिदास जी ली। कुछ समय बाद तुलसीदास जी ने सद्गुरुदेव जी से रामायण के बारे में सुना। इसके बाद जब उन्होंने रामायण पढ़ी तो उन्हें ये समझ आया कि संस्कृत में लिखे गए इस महाकाव्‍य को तो बस विद्वान ही पढ़ सकते हैं। ऐसे में उन्होंने इसे अवधी भाषा में लिखा जिससे हर कोई इसे आसानी से पढ़ सके।

तुलसीदास जी के श्‍लोक (Tulsidas Ji Ke Shlok)

  • राम नाम मणि दीप धरू, जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बहेराहून, जाऊ छाहसी उजियार।।
  • काम क्रोध लोभ मोह, जो लो मन में खान। तो लो पंडित मूर्खो, तुलसी एक समान।।
  • तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग। सबसे हंस मिल बोलिये, नदी नाव संजोग।।
  • तुलसी भरोसे राम के, निर्भये होके सोये। अनहोनी होनी नहीं, होनी हो सो होय।।
  • दाय धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। तुलसी दया नाम चाढिये, जब लग घाट में प्राण।।
तुलसीदास जी के दोहे (Tulsidas Ji Ke Dohe)

1. तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर,

बसीकरण इक मंत्र हैं परिहरु बचन कठोर।

2. नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।

जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास।

3. तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए।

अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए।

4. दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान,

तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण ।।

5. तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक।

साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक।

तुलसीदास जी की रचनाएं (Tulsidas Ji Ke Rachnaye)

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अलावा सतसई, बैरव रामायण, विनय पत्रिका, वैराग्य संदीपनी, पार्वती मंगल, गीतावली, कृष्ण गीतावली आदि ग्रंथों की रचना की। लेकिन उनके रामचरितमानस ग्रंथ को सबसे ज्यादा ख्याति प्राप्त हुई।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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