Utpanna Ekadashi Vrat Katha: उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा हिंदी में यहां देखें
Utpanna Ekadashi Vrat Katha In Hindi: हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत का प्रारंभ माना जाता है। मान्यता है इसी एकादशी के दिन एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी। जानिए उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा।
Utpanna Ekadashi Vrat Katha In Hindi
Utpanna Ekadashi Vrat Katha In Hindi (उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा)
सतयुग में मुर नाम का एक दैत्य था। जो बड़ा बलवान और भयानक था। उस दैत्य ने सभी देवताओं को पराजित करके भगा दिया। तब इंद्र सहित सभी देवता भयभीत होकर भगवान शिव के पास गए और उन्हें सारा वृत्तांत कहा। तब भगवान शिव ने कहा- हे देवताओं! तुम सभी तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु की शरण में जाओ। वे ही तुम्हारे दु:ख दूर करेंगे।
भगवान शिव के कहे अनुसा सभी देवता क्षीरसागर में पहुंचे। वहां भगवान को शयन करते देख हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे। हे भगवन्! दैत्यों ने भागे-भागे फिर रहे हैं, आप उन दैत्यों से सबकी रक्षा करें। इंद्र के ऐसे वचन सुनकर भगवान विष्णु ने कहा हे इंद्र! ऐसा मायावी दैत्य कौन है जिसने देवताओं तक को जीत लिया है, उसका नाम क्या है, उसमें कितना बल है यह सब मुझसे कहो।
इंद्र बोले- भगवन! प्राचीन समय में एक नाड़ीजंघ नामक राक्षस था उसका मुर नाम का एक पुत्र हुआ। उसकी चंद्रावती नाम की नगरी है। उसी ने सब देवताअओं को स्वर्ग से निकालकर वहां अपना अधिकार जमा लिया है। वह सूर्य बनकर स्वयं ही प्रकाश करता है। स्वयं ही मेघ बन बैठा है और सबसे अजेय है।
यह वचन सुनकर भगवान ने कहा- हे देवताओं, मैं शीघ्र ही उसका संहार करूंगा। तुम फिलहाल चंद्रावती नगरी जाओ। इस प्रकार सभी देवताओं ने चंद्रावती नगरी की ओर प्रस्थान किया। उस समय जब राक्षस मुर युद्ध भूमि में गरज रहा था। उसकी भयानक गर्जना सुनकर सभी देवता डर गए और इधर-उधर भागने लगे। जब स्वयं भगवान रणभूमि में उतरे तो सभी दैत्य उन पर अस्त्र लेकर दौड़े।
भगवान ने सभी दैत्यों को अपने बाणों से बींध डाला। सभी दैत्य मारे गए, केवल मुर बचा रहा। वह लगातार भगवान से युद्ध करता रहा। भगवान जो-जो भी तीक्ष्ण बाण चलाते वह उसके लिए पुष्प सिद्ध होता। उसका शरीर छिन्न-भिन्न हो गया किंतु वो लगातार युद्ध करता रहा। फिर भगवान और मुर के बीच मल्लयुद्ध भी हुआ।
10 हजार वर्ष तक उनका युद्ध चलता रहा लेकिन फिर भी मुर नहीं मारा गया। थककर भगवान बद्रिकाश्रम चले गए। वहां हेमवती नाम की गुफा में विश्राम करने के लिए भगवान उसके अंदर चले गए। यह गुफा 12 योजन लंबी थी और उसका एक ही द्वार था। विष्णु भगवान वहां अपनी योगनिद्रा में चले गए। मुर भी पीछे-पीछे आ गया और भगवान को सोया देखकर उन्हें मारने को उद्यत हुआ तभी भगवान के शरीर से एक उज्ज्वल, कांतिमय रूप वाली देवी प्रकट हुई। देवी ने मुर को ललकारा और उससे युद्ध किया और उसे मौत के घाट उतार दिया।
श्री हरि जब अपनी योगनिद्रा से जागे, तो सब बातों को जानकर उन्होंने उस देवी से कहा कि आपका जन्म एकादशी के दिन हुआ है, अत: आप उत्पन्ना एकादशी के नाम से पूजी जाएंगी। आपके भक्त वही होंगे, जो मेरे भक्त हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
TNN अध्यात्म डेस्क author
अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आपकी अध्यात्म और ज्योतिष में गहरी रुचि है और आप इस ...और देखें
End of Article
संबंधित खबरें
Mahalaya 2024 Date And Time: इस साल कब है महालया? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Shardiya Navratri 2024 Mata Ki Sawari: शारदीय नवरात्रि में क्या होगा माता का वाहन? जानिए मां की सवारी का महत्व
Indira Ekadashi 2024 Date: कब रखा जाएगा इंदिरा एकादशी का व्रत, यहां नोट करें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
20 September 2024 Panchang: पंचांग से जानिए पितृ पक्ष के तीसरे श्राद्ध का मुहूर्त क्या रहेगा और राहुकाल कब लगेगा
Shradh Kab Khatam Hoga 2024: श्राद्ध खत्म होने से पहले कर लें ये उपाय, पितृ दोष से मिल जाएगा छुटकारा
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited