Uttarayana Date, Time, Puja Vidhi 2025: उत्तरायण क्या है, जानिए इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Uttarayana Date, Time, Puja Vidhi 2025: उत्तरायण का त्योहार मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल उत्तरायण कब है। यहां नोट करें डेट और टाइम, पूजा विधि के बारे में।



Uttarayana Date, Time, Puja Vidhi 2025: पौष महीने की संक्रांति तिथि के दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव दक्षिणायन से होकर उत्तरायण में हो जाते हैं। उत्तरायण गुजरात में पूरे दो दिनों तक बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गुजरात में मकर संक्रांति के दिन को उत्तरायण और दूसरे दिन वासी उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। इसके साथ ही इस दिन भगवान सूर्य देव की विधिवत पूजा- अर्चना की जाती है। उत्तरायण पर गुजरात के लोग चिक्की नामक व्यंजन बनाते हैं और उसको खाते हैं। आइए जानते हैं इस साल उत्तरायण कब है और इसकी विधि के बारे में।
Uttarayana 2025 Date (उत्तरायण 2025 में कब है)साल 2025 में उत्तरायण का त्योहार 14 जनवरी 2025 को मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन संक्रांति का क्षण 09:03 ए एम तक रहेगा। इस समय में संक्रांति की पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा।
Uttarayana 2025 Shubh Time (उत्तरायण 2025 शुभ मुहूर्त)
हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रह मकर राशि में सुबह 09 बजकर 3 मिनट पर प्रवेश करेंगे। ये क्षण संक्रांति का होगा। इसके साथ ही उत्तरायण के दिन महापुण्य काल का मुहूर्त सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 09 बजकर 04 मिनट रहने वाला है। इसके साथ ही पुण्य काल का समय सुबह 08 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहने वाला है। इस समय में गंगा स्नान और दान करना शुभ होता है।
Uttarayana Puja Vidhi (उत्तरायण पूजा विधि)
- उत्तरायण के दिन सुबह स्नान करते समय तिल का उबटन लगाया जाता है।
- स्नान के बाद इस दिन सूर्य देवता को जल अर्पित किया जाता है।
- उत्तरायण के दिन गुजरात में रंग- बिरंगे पतंग उड़ाए जाते हैं।
- इसके साथ ही इस दिन पक्षियों को अनाज व गाय को घास, तिल, गुड़ आदि खिलाएं जाते हैं।
- मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना चाहिए।
Uttarayana Significance (उत्तरायण का महत्व)
हिंदू धर्म में उत्तरायण का दिन देवी- देवताओं का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा- अर्चना की जाती है। इसके साथ ही उत्तरायण के बाद से यज्ञ, विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है। उत्तरायण के दिन गंगा स्नान और दान करने से साधक को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उत्तरायण काल जप, तप और सिद्धि प्राप्त करने के लिए खास माना जाता है। उत्तरायण काल माघ महीने से लेकर आषाढ़ महीने तक रहता है। इसके बाद से मौसम में परिवर्तन भी शुरू हो जाता है।
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