Vaibhav Laxmi Vrat: लक्ष्मी जी की कृपा के लिए शुक्रवार को रखें वैभव लक्ष्मी व्रत, जानें विधि, मंत्र और आरती
Vaibhav Laxmi Vrat Puja : शुक्रवार के दिन मां वैभव लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने का विधान है। इन्हें धन- वैभव की देवी कहा जाता है। शुक्रवार के दिन विधि -विधान से मां वैभव लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने से घर धन-धान्य और सुख-समृद्धि से भर जाता है।

शुक्रवार को रखें वैभव लक्ष्मी व्रत
- शुक्रवार के दिन रखा जाता है वैभव लक्ष्मी का व्रत
- वैभव लक्ष्मी व्रत और पूजा से दूर होती है आर्थिक तंगी
- वैभव लक्ष्मी व्रत में नहीं खानी चाहिए खट्टी चीजें
मां वैभव लक्ष्मी पूजा विधि (Vaibhav Laxmi Puja Vidhi)
मां वैभव लक्ष्मी की पूजा शुक्रवार के दिन होती है। इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नानादि कार्यों से निर्वृत हो जाएं और इसके बाद साफ कपड़े पहन लीजिए। वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए लाल या सफेद रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। लेकिन काले, बैंगनी या ग्रे रंग के कपड़ों को इस दिन पहनने से बचना चाहिए। सुबह पूजा-पाठ कर व्रत का संकल्प लें और इसके बाद शाम में फिर से स्नान करें और पूजा के लिए चौकी तैयार करें। पूजा की चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां वैभव लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो और श्रीयंत्र स्थापित कर दें। अब मुट्ठीभर चावल लेकर मां वैभव लक्ष्मी की प्रतिमा के पास रखें और इसके ऊपर जल ले भरा एक कलश भी स्थापित कर दें। कलश के ऊपर एक कटोरी में चांदी का सिक्का जरूर रखें। अगर आपके पास चांदी का सिक्का न हो तो आप कोई भी सोने या चांदी धातु के आभूषण भी रख सकते हैं।
इसके बाद मां की प्रतिमा में सिंदूर, रोली, मौली, लाल फूल, मौसमी फल चढ़ाएं और चावल-दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। इसके बाद वैभव लक्ष्मी व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें फिर मंत्रोच्चारण करें। आखिर में मां वैभव लक्ष्मी की आरती करें। कुछ लोग इस दिन फलाहार रहते हैं तो वहीं कुछ लोग शाम की पूजा के बाद एक समय नमकरहित भोजन ग्रहण करते हैं। आप अपनी शक्ति के अनुसार व्रत शुरू कर सकते हैं। लेकिन भूलकर भी इस दिन खट्टे फल या खट्टी चीजों का सेवन न करें।
मां वैभव लक्ष्मी पूजा मंत्र (Vaibhav Laxmi Puja Mantra)
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
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मां वैभव लक्ष्मी की आरती (Vaibhav Laxmi Puja Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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