Vaishakh Purnima Vrat katha: वैशाख पूर्णिमा की व्रत कथा हिंदी में यहां पढ़ें

Vaishakh Purnima Vrat Katha: वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार सनातन धर्म के लोगों के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान गौतम बुद्ध की अराधना की जाती है। यहां जानिए वैशाख पूर्णिमा की व्रत कथा।

Vaishakh Purnima 2023 Vrat katha: वैशाख पूर्णिमा व्रत कथा

Vaishakh Purnima Vrat Katha: वैशाख पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। दरअसल हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार वैशाख महीने की ही पूर्णिमा के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यताओं अनुसार गौतम बुद्ध भगवान नारायाण के ही 23वें अवतार थे। इस दिन कई लोग भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए उपवास भी रखते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन नदी स्नान और दान-पुण्य के कार्य करने का भी विशेष महत्व बताया जाता है। यहां जानिए बुद्ध पूर्णिमा या वैशाख पूर्णिमा की व्रत कथा हिंदी में।

Vaishakh Purnima Vrat Katha (वैशाख पूर्णिमा व्रत कथा)

द्वापर युग में एक बार भगवान श्री कृष्ण से यशोदा माता पूछती हैं कि आप संसार के पालनकर्ता हो, मुझे कोई ऐसा उपाय बताओ जिससे मृत्यु लोक में किसी भी स्त्री को विधवा होने का डर न हो और न ही उसे निसंतानता का दुख रहे। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने अपनी मां से कहा, हे माते! मैं आपको एक ऐसे ही एक व्रत के बारे में बताता हूं। सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए हर महिला को 32 पूर्णमासी व्रत को रखना चाहिए। यह संतान और सौभाग्य की रक्षा के लिए बेहद फलदाई है। मैं तुम्हें विस्तार से बताता हूं।

कांतिका नामक एक नगर में चंद्रहास्य नाम का राजा राज करता था। उसी नगर में एक धनेश्वर नामक ब्राह्मण भी अपनी पत्नी सुशीला के साथ सकुशल रहता था। इनके घर में धन संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। लेकिन, ब्राह्मण का कोई संतान न था, जिसके कारण दोनों दंपत्ति बहुत दुखी रहते थे। एक बार उस नगर में एक साधु आया, जो आसपास के सभी घरों से भिक्षा मांगने के बाद गंगा नदी किनारे बैठकर भोजन करके जीवन यापन करता था। लेकिन, वह साधु धनेश्वर ब्राह्मण के घर भिक्षा मांगने कभी नहीं जाता था।

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