Valmiki Jayanti 2023 Date: क्यों और कैसे मनाई जाती है वाल्मिकी जयंती, जानें इसका महत्व

Valmiki Jayanti 2023 Date: सनातन धर्म में महार्षि वाल्मिकी को पहला कवि मनाया गया है। इन्होंने ही महान ग्रंथ रामायण की रचना की थी। वाल्मिकी जयंती महार्षि के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं वाल्मिकी जयंती कब है। डेट, शुभ तिथि और महत्व के बारे में। यहां जानें सारी जानकारी हिंदी में।

Valmiki Jayanti 2023

Valmiki Jayanti 2023

Valmiki Jayanti 2023 Kab Hai: हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को वाल्मिकी जयंती मनाई जाती है। इस साल वाल्मिकी जयंती 28 अक्टूबर को शनिवार के दिन मनाई जाएगी। महार्षि वाल्मिकी को समातनम धर्म में पहला कवि माना गया है। इन्होंने सबसे पवित्र महाकाव्य रामायण की रचना की है। हिंदू धर्म में रामायण को सबसे उत्तम कोटि के ग्रथों में से एक माना गया है। वाल्मिकी जयंती के दिन वाल्मिकी जी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन रामायण की भी पूजा की जाती है। वाल्मिकी समाज के लोग वाल्मिकी जयंती बेहद ही धूमधाम से मानते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं वाल्मिकी जयंती की शुभ तिथि और महत्व के बारे में।

वाल्मिकी जयंती शुभ तिथि ( Valmiki Jayanti 2023 Date)वाल्मिकी जयंती प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन ही शरद पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा का त्योहार भी मनाया जाता है। इस साल आश्विन मास की शरद पूर्णिमा की तिथि 28 अक्टूबर को सुबह में 4 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो जाएगी। इसका समापम 29 अक्टूबर को रात में 1 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में उदायातिथि के अनुसार 28 अक्टूबर को वाल्मिकी जयंती मनाई जाएगी।

वाल्मीकी जयंती महत्व ( Importance Of Valamiki Jayanti)महर्षि वाल्मिकी ने सबसे महान हिंदू महाकाव्य रामायण लिखी, जो हर घर में रखी जाती है। वाल्मिकी जयंती का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कई सामाजिक और धार्मिक आयोजन होते हैं। महर्षि वाल्मिकी के जन्म को लेकर कई मान्यताएं हैं। प्रचलित मान्यता के अनुसार, वाल्मिकी का जन्म महर्षि कश्यप और देवी अदिति और उनकी पत्नी चर्षिणी के नौवें पुत्र के रूप में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि महर्षि वाल्मिकी दुनिया में सबसे पहले श्लोक की रचना करने वाले व्यक्ति थे। वाल्मिकी जी के बारे में एक और प्रचलित कहानी यह है कि जब भगवान राम ने माता सीता का त्याग किया था तब माता सीता महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में ही रह रही थीं। इसी आश्रम में उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया था। इसलिए लोगों के बीच वाल्मिकी जयंती का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वाल्मिकी के पास इतनी प्रबल ध्यान शक्ति थी कि एक दिन वह ध्यान में लीन थे और दिमक ने खुद को उनके शरीर के ऊपर अपना घर बना लिया, लेकिन उनका ध्यान भंग नहीं हुआ।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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