Valmiki Jayanti 2024: कब है वाल्मीकि जयंती 2024, जानिए डेट और महत्व
Valmiki Jayanti 2024: वाल्मीकि जयंती का सनातन धर्म में बहुत ही खास महत्व है। ऋषि वाल्मीकि ने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की थी। ऐसे में आइए जानते हैं वाल्मिकी जयंती कब है और इसके महत्व के बारे में।
Valmiki Jayanti 2024
Valmiki Jayanti 2024: ऋषि वाल्मीकि सबसे महान कवि में से एक थे। इन्होंने ही रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की थी। रामायण वाल्मीकि ने लिखी थी। जिसके कारण वाल्मीकि रामायण कहलाया। वाल्मीकि जयंती का दिन वाल्मीकि जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वाल्मीकि जयंती के दिन जगह- जगह पर झांकी निकाली जाती है। महर्षि वाल्मीकि जयंती के दिन सभी राम भक्त मंदिर में जाकर भजन कीर्तन करते हैं। वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन मंदिर में रामायण पाठ का भी आयोजन किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाएगी और इसका महत्व।
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Valmiki Jayanti 2024 (वाल्मीकि जयंती कब है 2024)
वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल वाल्मीकि जयंती 17 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन वाल्मीकि समुदाय के लोग वाल्मीकि जी की पूजा करते हैं।
Valmiki Jayanti 2024 Shubh Muhurat (वाल्मीकि जयंती पूजा शुभ मुहूर्त 2024)
इस साल आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर 2024 को रात 08 बजकर 45 मिनट पर होगा। वहीं इस तिथि का समापन 17 अक्टूबर 2024 को शाम 04 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में वाल्मीकि जयंती 17 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना शुभ होगा।
Valmiki Jayanti Puja Vidhi (वाल्मीकि जयंती पूजा विधि)
- वाल्मीकि जयंती के दिन सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- इस दिन गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करने जा सकते हैं।
- स्नान के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें।
- फिर पूजा स्थान को साफ करके वाल्मीकि जी की पूजा करें।
- इसके साथ ही अपने इष्ट देवताओं को याद करके उनसे प्रार्थना करें।
वाल्मीकि डाकू से कैसे बनें रामायण के रचनाकार
वाल्मीकि जी रामायण लिखने से पहले डाकू थे। इनका नाम रत्नाकर था। एक बार जब वाल्मीकि जंगल में लूट करने के लिए छिपे हुए थे। तभी वहां पर नारद जी आ जाते हैं। नारद मुनि ने उनसे कहा कि आप जो ये पाप कर्म कर रहे हैं उसमें आपका परिवार भी भागीदारी होगा क्या। वाल्मीकि जी यही सवाल अपने परिवार वालों से पूछा तो सबने मना कर दिया। ये बात सुनकर वाल्मीकि जी जंगल में तपस्या करने चले गए और वहां पर राम का नाम लेकर जाप करने लगे। उनके तप से ब्रह्मदेव प्रसन्न हुए और उन्होंने वाल्मीकि जी को राम का चरित्र लिखने का आदेश दिया। उसके बाद वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की।
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