Varuthini Ekadashi 2025 Date And Muhurat: 23 यो 24, अप्रैल की अंतिम एकादशी कब है? जानें वरुथिनी एकादशी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Varuthini Ekadashi 2025 Date, Shubh Muhurat And Puja Vidhi: अप्रैल की अंतिम एकादशी वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, जिसे वरुथिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। यहां से आप वरुथिनी एकादशी की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि जान सकते हैं।

varuthini ekadashi 2025 date shubh muhurat puja vidhi in hindi

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Varuthini Ekadashi 2025 Date, Shubh Muhurat And Puja Vidhi: साल में 24 और हर महीने में दो बार एकादशी मनाई जाती है। एकादशी पर खासतौर से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी मां की पूजा की जाती है। अप्रैल के आखिर में आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। भगवान विष्णु को समर्पित वरुथिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश हो जाता है। वरुथिनी एकादशी करने वाले व्रती को सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। वरुथिनी एकादशी की सही तारीख को लेकर काफी कंफ्यूजन है, इसलिए इसका सही जवाब हम यहां लेकर आए हैं। इस आर्टिकल में आप वरुथिनी एकादशी की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की पूरी विधि विस्तार में जान सकते हैं।

वरुथिनी एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त-

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि बुधवार, 23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी। तिथि का समापन अगले दिन यानी गुरुवार, 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का खास महत्व है। ऐसे में इस साल गुरुवार, 24 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, शुक्रवार, 25 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।

वरुथिनी एकादशी पूजा विधि-

वरुथिनी एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद आपको भगवान विष्णु का आह्वान करना है। फिर किसी साफ चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और पंचामृत से अभिषेक करें। अब प्रभु को शुद्ध जल से स्नान कराएं और पीले वस्त्र पहनाएं। फिर श्रृंगार आदि कर उन्हैं तैयार करें। इसके बाद आपको पीला चंदन और रोली का तिलक लगाना है और पीले फूल अर्पित करने हैं। तिल के तेल का दीया जलाएं और साथ ही ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र जाप करें। भोग में आपको केसर की खीर, पंचामृत और पंजीरी चढ़ानी है। इसके बाद वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में आरती करें और प्रसाद बांटे।

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Srishti author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर कॉपी एडिटर कार्यरत हूं। मूल रूप से बिहार की रहने वाली हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में मेरी सबसे ज्यादा दिलचस्पी...और देखें

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