Vastu Tips: बेडरूम की गलत दिशा उड़ा सकती है रातों की नींद, 10 टिप्स में जानें कमरे की दशा और दिशा

Vastu Tips for Bedroom : सोने के कमरे की सही दिशा देती है सुकून भरी नींद। नींद और स्वास्थ्य का है गहरा नाता। सोने की सही दिशा का ज्ञान भी है बहुत जरूरी। वास्तु टिप्स से आसानी से जान सकते हैं कमरे के साथ ही सोने की सही दिशा भी।

Vastu Tips for Bedroom

बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • सोने के कक्ष की सही दिशा देती है सुकून भरी नींद
  • पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए नवविवाहितों का कमरा
  • पश्चिम दिशा या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए सिर

Vastu Tips: सोना मनुष्य के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण क्रियाओं में से एक है। सोने से मनुष्य को शारीरिक स्फूर्ति, मानसिक सुकून और ताजगी मिलती है। यदि मनुष्य सही ढंग से सो नहीं पाता है तो उठने के बाद वह अपनी क्षमता का उपयोग सही ढंग से नहीं कर पाता, न ही वह अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित कर पाता है। साथ अपने दिन भर के काम सुचारूप रूप से कर पाता है। सोते समय मनुष्य का सिर दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए ताकि चुंबकीय तरंगों का प्रवाह सही ढंग से हो सके। यदि चुंबकीय प्रवाह शरीर में उचित ढंग से होगा तो नींद अच्छी आएगी। शरीर स्वस्थ रहेगा। आइये आपको बताते हैं शयनकक्ष यानी बैडरूम से जुड़़े वास्तु उपाय।

बैडरूम से जुड़े जरूरी वास्तु निर्देश

  1. बच्चों, अविवाहितों या मेहमानों के लिए शयनकक्ष पूर्व दिशा में होना चाहिए। लेकिन इस कक्ष में नवविवाहित जोड़ो को नहीं ठहराना चाहिए, यानि रतिक्रिया इस कक्ष में नहीं करनी चाहिए। यदि इस कक्ष में ये होता है तो परिवार को आर्थिक एवं सामाजिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
  2. शयनकक्ष में बैड यानी पलंग इस प्रकार से रखा होना चाहिए कि उस पर सोने वाले व्यक्ति का सिर पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर रहे। इस तरह सोने से सुबह उठने पर मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होगा। पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है, यह जीवनदायिनी और शुभ है। उत्तर दिशा धनपति कुबेर की मानी जाती है। अतः सुबह उठते समय मुंह इस ओर होना शुभ है।
  3. घर के मालिक का शयनकक्ष दक्षिण− पश्चिक कोण में या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। दक्षिण पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण पृथ्वी तत्व या स्थिरता का प्रतीक है। इस स्थान पर शयनकक्ष होने से भवन में दीर्घकाल तक निवास होता है।
  4. शयनकक्ष में यदि पूजा स्थल हो तो वह शयनकक्ष के ईशान कोण की ओर बनाना चाहिए। इस स्थिति में पलंग पर सोते समय सिर पूर्व दिशा की ओर किया जा सकता है, जिससे पूजास्थल की ओर पैर न रहें।
  5. उत्तर दिशा की ओर सिर करके नहीं सोना चाहिए। उत्तर दिशा में सिर करके सोने से नींद नहीं आती है और आती है तो बुरे सपने अधिक आते हैं।
  6. यदि सोते समय सिर पश्चिम दिशा की ओर रखना हो तो पलंग का एक सिरा पश्चिम की दीवार से लगा हुआ होना चाहिए।
  7. सोते समय पैर मुख्यद्वार की ओर नहीं होने चाहिए। मृत्यु होने पर श्मशान ले जाने से पूर्व शरीर को मुख्य द्वार की ओर पैर करके रखा जाता है।
  8. यदि गृहस्वामी का कार्य इस तरह का है कि उसे अधिकतर घर से बाहर रहना पड़ता है, तो शयनकक्ष वायव्य कोण में बनाना सही रहेगा।
  9. शयनकक्ष में प्रकाश व्यवस्था करते समय यह ध्यान रखें कि पलंग पर लेटते समय मुंह पर प्रकाश नहीं पड़ना चाहिए। प्रकाश सदैव पार्श्व या बायीं ओर से ही आना चाहिए।
  10. पलंग शयनकक्ष के दरवाजे के पास में भी नहीं होना चाहिए। इससे मन में अशांति और व्याकुलता बनी रहेगी।
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एक बात का और ध्यान रखें कि शयनकक्ष की लंबाई और चौड़ाई इस प्रकार होनी चाहिए कि इनके गुणनफल में नौ से गुणा करके आठ का भाग देने पर तीन या पांच शेष बनें। तीन शेष बचने पर दक्षिण दिशा में बनाए गए शयनकक्ष के आकार का फल शत्रु पर विजय, आर्थिक एवं शारीरिक सुख प्राप्त होता है। पांच शेष बचने से पश्चिम दिशा में बनाये गए शयनकक्ष के आकार का फल आर्थिक संपन्नता देता है।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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