Vat Purnima Puja Samagri: वट पूर्णिमा की पूजा में क्या-क्या सामान लगेगा, यहां देखें पूरी लिस्ट
Vat Purnima Puja Samagri, Puja Thali: ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। जो इस साल 21 जून को मनाई जाएगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। चलिए जानते हैं वट सावित्री पूर्णिमा सामग्री लिस्ट।
Vat Purnima Puja Samagri
Vat Purnima Puja Samagri List In Hindi (वट पूर्णिमा पूजा सामग्री): वट पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन गंगा स्नान करके जरूरतमंदों को दान देता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। इसी वजह से इस पूर्णिमा को वट पूर्णिमा भी कहा जाता है। वट पूर्णिमा का व्रत मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत की महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। चलिए जानते हैं वट पूर्णिमा में क्या-क्या सामग्री लगेगी।
वट सावित्री पूर्णिमा पूजन सामग्री (Vat Purnima Puja Samagri)
- सत्यवान-सावित्री की मूर्ति
- बांस का बना हुआ एक हाथ पंखा
- सूत का लाल धागा
- धूप
- मिट्टी का दीपक
- घी
- फूल
- फल
- सवा मीटर का एक कपड़ा
- दो सिंदूरी जल से भरा हुआ पात्र
- रोली
- गुड़-चना
वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व (Vat Purnima Ka Mahatva)
वट सावित्री व्रत में वट या बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास माना जाता है। ऐसे में वट वृक्ष की पूजा करने से भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों की कृपा एक साथ प्राप्त हो जाती है। साथ ही पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
वट पूर्णिमा पूजा विधि (Vat Purnima Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और फिर नए कपड़े धारण करें। इसके बाद सोलह श्रृंगार करें। फिर दो बांस की टोकरी ले लें। एक टोकरी में सात तरह के अनाज रखें और उसे एक कपड़े से ढक दें। फिर दूसरी टोकरी में माता सावित्री की प्रतिमा रखें और इसे भी एक स्वच्छ कपड़े से ढक दें। इसके बाद दोनों टोकरियों को घर के समीप वृक्ष पर ले जाएं और वहां जाक बाद वट वृक्ष और माता सावित्री की विधि विधान पूजा करें। पूजा के बाद लाल धागे से वट वृक्ष को बांध लें फिर उसकी सात बार परिक्रमा करें। इसके बाद पेड़ के नीचे बैठ कर ही माता सावित्री की कथा पढ़ें या सुनें। फिर श्रृंगार का सामान पेड़ पर चढ़ाकर किसी को दान में दे दें। इस दिन गरीब व जरूरतमंद व्यक्तियों को दान देना बेहद शुभ माना जाता है। फिर सभी में गुड़ व चने का प्रसाद वितरित कर दें। इसके बाद बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण कर लें।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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