Vat Savitri Puja 2023: कौन थीं देवी सावित्री? जानिए कैसे हुआ था सत्यवान से इनका विवाह

Who Was Savitr: सावित्री देवी असल में वेद माता गायत्री और सरस्वती की ही रूप मानी जाती हैं। इनका विवाह सत्वान से हुआ था, जो अल्पायु थें। इसी के साथ आगे जानिए सति सवित्री की पूरी कहानी विस्तार से।

Vat Savitri Vrat 2023

Vat Savitri Puja 2023: कौन थीं देवी सावित्री?

Who Was Savitri, Savitri Satyavan Story: हिंदू धर्म में सावित्री व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास माना जाता है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। इस साल यह व्रत 19 मई को है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की सुरक्षा और उनकी लंबी आयु की कामना करने के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं। इस दिन व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा करने का विधान है। कहते हैं इस व्रत के पुण्य प्रभाव से दाम्पत्य जीवन में संतुलन बना रहता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सावित्री ने यमराज से बचाकर अपने पति सत्‍यवान के प्राणों की रक्षा की थी। इसी के साथ आइए जानते हैं सावित्री कौन थीं।
कौन थीं देवी सावित्री (Who Was Savitri)
सावित्री देवी असल में वेद माता गायत्री और सरस्वती का ही रूप हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, सावित्री मद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री और सत्यवान की पत्नी थी। सावित्री दिखने में बेहद सुंदर थीं। पिता ने सावित्री पर ही उसके वर चुनने का अधिकार दिया था। कुछ समय बाद सावित्री ने शाल्व देश के एक प्रसिद्ध अंधे धर्मात्मा क्षत्रिय राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। सावित्री ने अपने पिता से कहा उनके राज्य को शत्रुओं ने हड़प लिया है और वे दोनों तपोवन में निवास कर रहे हैं।
सावित्री के प्रस्ताव के बाद नारदजी आए और कहें कि सत्यवान गुणों से तो संपन्न है। लेकिन, यह अल्पायु है और एक वर्ष बाद इसकी आयु पूरी हो जाएगी। तब भी सावित्री, सत्यवान से ही विवाह करने पर डटी रही। बेटी के जिद्द के आगे पिता अश्वपति को झुकना पड़ा और उसका विवाह सत्यवान से करवा दिया। नारद जी के कहे अनुसार, एक वर्ष पूरा हो जाने के बाद एक वृक्ष के नीचे सत्यवान की मृत्यु हो गई। पति के मृत शरीर को मृत्यु लोक में ले जा रहे यमराज को देख सावित्री ने उसका पीछा किया।यमराज ने सावित्री को खूब समझाया लेकिन सावित्री नहीं मानी। अंत में यमराज, सावित्री से प्रसन्न हो गया और उसके पति सत्यवान को पुन: जीवित कर दिया।
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