Vat Savitri Vrat Puja Vidhi: वट सावित्री व्रत की पूजा विधि स्टेप बाय स्टेप यहां जानिए

Vat Savitri Vrat 2023 Puja Vidhi, Muhurat, Samagri List: वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट सावित्री पूजा सामग्री (Vat Savitri Vrat Puja Samagri) में गंगाजल, अक्षत, रक्षा सूत्र, चना, फूल, सिंदूर, धूप, गेहूं के आटे की पूरियां, गेहूं के आटे से बने गुलगुले, अगरबत्ती, रोली इत्यादि चीजों का प्रयोग किया जाता है।

Vat Savitri Vrat 2023 Puja Vidhi: वट सावित्री व्रत पूजा विधि और मुहूर्त

Vat Savitri Vrat 2023 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List: वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या यानि बड़ा अमावस्या (Bud Amavasya 2023) के दिन रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करके अपना व्रत संपन्न करती हैं। इस व्रत में माता सावित्री और उनके पति सत्यावन जी की भी पूजा की जाती है। वट सावित्री अमावस्या व्रत (Vat Savitri Amavasya Vrat 2023) की खास रौनक पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा में देखने को मिलती है। इस दिन महिलाएं फल, खरबूजा, गंगाजल, अक्षत, रक्षा सूत्र, चना, फूल, सिंदूर इत्यादि सामग्रियों के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। इस साल वट सावित्री पूजा 19 मई, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। अगर पहली बार वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Puja 2023) कर रही हैं तो जानिए इस व्रत को करने की पूरी विधि विस्तार से यहां।

वट सावित्री व्रत 2023 पूजन सामग्री (Vat Savitri Vrat 2023 Puja Samagri)

गेहूं के आटे की पूरियां, गेहूं के आटे से बने गुलगुले, अगरबत्ती, मौसमी फल, खरबूजा, धूप, रोली, मिट्टी का दीपक, सोलह श्रृंगार की सामग्री, पान, सुपारी, नारियल, भीगा चना, जल का लोटा, बरगद की कोपल, गंगाजल, कपड़ा, मिठाई, अक्षत, रक्षा सूत्र, चना, फूल, सिंदूर, चावल, हल्दी, हल्दी का पेस्ट, और गाय का गोबर आदि अवश्य रखें।

वट सावित्री व्रत 2023 पूजा विधि (Vat Savitri Vrat 2023 Puja Vidhi)

  • व्रत सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान साफ वस्त्र धारण कर लें।
  • इस दिन संभव हो तो पीले रंग के वस्त्र पहनकर एक सुहागन की तरह तैयार हो जाएं।
  • अब बांस की एक टोकरी में 7 प्रकार के अनाज रखें और उसमे ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • अब ब्रह्मा जी के वाम पार्श्व में देवी सावित्री की प्रतिमा को रखें।
  • अब एक दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की एक-साथ वाली मूर्तियों को रखें।
  • अब दोनों टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर इनका पूजन करें।
  • वट वृक्ष का पूजन करते हुए पहले ब्रह्मा जी और फिर सावित्री और सत्यवान की विधि-विधान पूजन करें।
  • इसके बाद वट वृक्ष की जड़ में पानी अर्पित करें।
  • अब जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ काला चना, फूल और धूप का इस्तेमाल करते हुए वट वृक्ष का पूजन करें।
  • इसके बाद एक कच्चा धागा वट वृक्ष के तने के चारों ओर लपेटते हुए तीन बार पेड़ की परिक्रमा करें।
  • परिक्रमा के बाद बरगद के पत्तों के गहने बनाकर उन्हें अपने शरीर पर धारण करें और फिर वट सावित्री व्रत की कथा सुनें या सुनाएं।
  • कथा सुनने के बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालें और अपनी श्रद्धानुसार उसमें कोई भेट रखकर अपनी सास या जेठानी या फिर सास समान किसी महिला को दे दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • पूजा समाप्ति के बाद ब्राह्मणों को एक पात्र में वस्त्र, फल और अन्य दान की वस्तुएं रखकर दान कर दें और उनसे भी आशीर्वाद लें।
  • इस तरह से पूजा संपन्न करें।
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