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Vat Savitri Vrat Katha In Hindi: वट सावित्री व्रत कथा और पूजा विधि, जानें सावित्री और सत्यवान की कहानी

Vat Savitri Vrat Katha In Hindi: वट सावित्री व्रत कथा और पूजा विधि, जानें सावित्री और सत्यवान की कहानी

Vat Savitri Vrat Katha In Hindi: वट सावित्री व्रत कथा और पूजा विधि, जानें सावित्री और सत्यवान की कहानी

Vat Savitri Vrat Katha, Puja Vidhi And Muhurat: वट सावित्री व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास होता है। ये व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2023) के दिन रखा जाता है। इसे बड़ अमावस्या (Bad Amavasya 2023) भी कहते हैं। शादीशुदा महिलाएं वट सावित्री अमावस्या व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत को महिलाएं निर्जला रखती हैं यानी अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं। वट सावित्री व्रत 2023 में 19 मई, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन शनि जयंती (Shani Jayanti 2023) और ज्येष्ठ अमावस्या भी मनाई जाएगी। वट सावित्री अमावस्या व्रत मुख्य रूप से पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा में मनाया जाता है।

Vat Savitri Vrat Katha

वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री (Vat Savitri Vrat Puja Samagri):
इस दिन की पूजा में मौसमी फल, रक्षा सूत्र, चना, फूल, सिंदूर, खरबूजा, गंगाजल, अक्षत, धूप, अगरबत्ती, रोली, मिट्टी का दीपक, गेहूं के आटे की पूरियां, गेहूं के आटे से बने गुलगुले, सोलह श्रृंगार की सामग्री, भीगा चना, जल का लोटा, पान, सुपारी, नारियल, हल्दी, हल्दी का पेस्ट, बरगद की कोपल, कपड़ा, मिठाई, चावल और गाय का गोबर का इस्तेमाल किया जाता है।

वट सावित्री व्रत पूजन विधि (Vat Savitri Vrat Pujan Vidhi): इस दिन सुबह स्नान करके सुहागिन महिलाएं वट यानि बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। वट वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास माना जाता है। इसलिए इस पेड़ की पूजा करने से महिलाओं के पतियों को अखंड जीवन का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और पेड़ के चारों तरफ एक रक्षा सूत्र बांधती हैं। कहते हैं ऐसा करने से पति पर से अकाल मृत्यु का भय भी चल जाता है।

May 19, 2023 | 01:59 PM IST

कौन थीं देवी सावित्री (Who Was Savitri)

सावित्री देवी असल में वेद माता गायत्री और सरस्वती का ही रूप हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, सावित्री मद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री और सत्यवान की पत्नी थी। सावित्री दिखने में बेहद सुंदर थीं। पिता ने सावित्री पर ही उसके वर चुनने का अधिकार दिया था। कुछ समय बाद सावित्री ने शाल्व देश के एक प्रसिद्ध अंधे धर्मात्मा क्षत्रिय राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। सावित्री ने अपने पिता से कहा उनके राज्य को शत्रुओं ने हड़प लिया है और वे दोनों तपोवन में निवास कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर
May 19, 2023 | 12:53 PM IST

Vat Savitri Purnima Vrat Significance (ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत क्यों मनाया जाता है?)

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत मुख्य तौर पर गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में मनाया जाता है वहीं उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत पड़ता है। इन दोनों ही व्रत की पूजा विधि से लेकर व्रत कथा तक सबकुछ एक है।
May 19, 2023 | 11:49 AM IST

Vat Purnima Vrat 2023 Date And Muhurat (वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 2023 डेट)

वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ महीने में दो बार पड़ता है एक बार ज्येष्ठ अमावस्या पर दूसरी बार ज्येष्ठ पूर्णिमा पर। ज्येष्ठ अमावस्या वट सावित्री व्रत 19 मई को पड़ चुका है अब 3 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा वट सावित्री व्रत पड़ेगा। इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 3 जून को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और इसकी समाप्ति 4 जून 2023 को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर होगी। ऐसे में पूर्णिमा तिथि का वट सावित्री व्रत 3 जून दिन शनिवार को रखा जाएगा।
May 19, 2023 | 11:19 AM IST

वट सावित्री व्रत के फायदे (Vat Savitri Vrat Ke Fayde)

वट सावित्री का व्रत वह महिलाएं भी करती हैं जिन्हें संतान प्राप्ति की इच्छा हो। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी वट सावित्री का व्रत कर सकती हैं। इससे मन चाहे और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
May 19, 2023 | 11:00 AM IST

वट सावित्री व्रत महत्व

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री का व्रत किया जाता है। वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाएं करती हैं जिससे उनके परिवार में सुख शांति समृद्धि आती है, उनके पति को लंबी आयु का वरदान मिलता है, और जीवन के तमाम समस्याएं दूर होती हैं।
May 19, 2023 | 10:22 AM IST

वट सावित्री व्रत 2023 पूजा विधि (Vat Savitri Vrat 2023 Puja Vidhi)

  • एक बांस की एक टोकरी में 7 प्रकार के अनाज रखें और उसमे ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • अब एक दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की एक-साथ वाली मूर्तियों को रखें।
  • अब दोनों टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर इनका पूजन करें।
  • वट वृक्ष का पूजन करते हुए पहले ब्रह्मा जी और फिर सावित्री और सत्यवान की विधि-विधान पूजन करें।
  • इसके बाद वट वृक्ष की जड़ में पानी अर्पित करें।
  • अब जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ काला चना, फूल और धूप का इस्तेमाल करते हुए वट वृक्ष का पूजन करें।
  • इसके बाद एक कच्चा धागा वट वृक्ष के तने के चारों ओर लपेटते हुए तीन बार पेड़ की परिक्रमा करें।
  • परिक्रमा के बाद बरगद के पत्तों के गहने बनाकर उन्हें अपने शरीर पर धारण करें और फिर वट सावित्री व्रत की कथा सुनें या सुनाएं।
  • कथा सुनने के बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालें और अपनी श्रद्धानुसार उसमें कोई भेट रखकर अपनी सास दे दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • पूजा समाप्ति के बाद ब्राह्मणों को एक पात्र में वस्त्र, फल और अन्य दान की वस्तुएं रखकर दान कर दें और उनसे भी आशीर्वाद लें।
  • इस तरह से पूजा संपन्न करें।
May 19, 2023 | 10:05 AM IST

Ganesh Ji Ki Aarti: वट सावित्री व्रत में जरूर करें गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
May 19, 2023 | 09:21 AM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व

वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास माना गया है। यही कारण है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने और व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
May 19, 2023 | 08:22 AM IST

वट सावित्री व्रत आरती (Vat Savitri Vrat Aarti)

अश्वपती पुसता झाला।।
नारद सागंताती तयाला।।
अल्पायुषी सत्यवंत।।
सावित्री ने कां प्रणीला।।
आणखी वर वरी बाळे।।
मनी निश्चय जो केला।।
आरती वडराजा।।1।।
दयावंत यमदूजा।
सत्यवंत ही सावित्री।
भावे करीन मी पूजा।
आरती वडराजा ।।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी।
करिती पूजन वडाशी ।।
त्रिरात व्रत करूनीया।
जिंकी तू सत्यवंताशी।
आरती वडराजा।।2।।
स्वर्गावारी जाऊनिया।
अग्निखांब कचलीला।।
धर्मराजा उचकला।
हत्या घालिल जीवाला।
येश्र गे पतिव्रते।
पती नेई गे आपुला।।
आरती वडराजा।।3।।
जाऊनिया यमापाशी।
मागतसे आपुला पती।
चारी वर देऊनिया।
दयावंता द्यावा पती।
आरती वडराजा ।।4।।
पतिव्रते तुझी कीर्ती।
ऐकुनि ज्या नारी।।
तुझे व्रत आचरती।
तुझी भुवने पावती।।
आरती वडराजा ।।5।।
पतिव्रते तुझी स्तुती।
त्रिभुवनी ज्या करिती।।
स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया।
आणिलासी आपुला पती।।
अभय देऊनिया।
पतिव्रते तारी त्यासी।।
आरती वडराजा।।6।।
May 19, 2023 | 08:03 AM IST

Vat Savitri Vrat katha In Hindi: वट सावित्री व्रत कथा

पौराणिक कथा अनुसार भद्र देश के राजा अश्वपति की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिदिन एक लाख आहुतियां दीं। ये काम अठारह वर्षों तक जारी रहा। इसके बाद सावित्री देवी प्रकट हुई और उन्होंने वर दिया कि राजन तुझे एक तेजस्वी कन्या पैदा होगी। राजा को सावित्री देवी की कृपा से एक पुत्री की प्राप्ति हुई जिसका नाम सावित्री रखा गया।
वे कन्या बड़ी होकर बेहद रूपवान हुई। उस कन्या के लिए योग्य वर न मिलने से उसके पिता दुःखी थे। उन्होंने कन्या को स्वयं वर खोजने के लिए भेज दिया। सावित्री तपोवन में भटकने लगी। वहां साल्व देश के राजा द्युमत्सेन रहते थे जिनका राज्य किसी ने छीन लिया था। उन्हीं के पुत्र सत्यवान का सावित्री ने पति के रूप में वरण किया।
ऋषिराज नारद को जब ये बात पता चली तो वह राजा अश्वपति के महल पहुंचे और उन्होंने कहा कि हे राजन! आपकी कन्या ने जिसे अपना वर चुना है वो गुणवान हैं, धर्मात्मा हैं और बलवान भी हैं लेकिन उनकी आयु बहुत छोटी है। एक वर्ष के बाद ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।

ऋषिराज नारद की बात सुनकर राजा अश्वपति चिंता में डूब गए। सावित्री ने अपने पिता के दुखी होने का कारण पूछा, तो उन्होनें कहा, पुत्री तुमने जिस राजकुमार को अपने वर के रूप में चुना है वो अल्पायु हैं। अत: तुम्हें किसी और को अपना जीवन साथी बनाना चाहिए। पिता की बात सुनकर सावित्री ने कहा कि पिताजी, आर्य कन्याएं अपने पति का एक बार ही वरण करती हैं।
सावित्री हठ करने लगीं और बोलीं कि मैं सत्यवान से ही विवाह करूंगी। जब सावित्री ने अपने पिता यानी राजा अश्वपति की बात नहीं मानी तो उन्हें अपनी पुत्री सावित्री का विवाह सत्यवान से करना पड़ा। सावित्री अपने ससुराल पहुंचते ही सास-ससुर की सेवा में लग गई। समय बीतता चला गया। सत्यवान की मृत्यु का दिन जैसे-जैसे करीब आने लगा, सावित्री अधीर होने लगीं। उन्होंने तीन दिन पहले से ही उपवास शुरू कर दिया। नारद मुनि द्वारा कथित निश्चित तिथि पर उन्होंने पितरों का पूजन किया।
हर दिन की तरह सत्यवान उस दिन भी लकड़ी काटने जंगल गये साथ में सावित्री भी गईं। लकड़ी काटने के लिए सत्यवान जैसे ही एक पेड़ पर चढ़े। उन्हें अचानक से सिर में तेज दर्द होने लगा, दर्द से व्याकुल सत्यवान पेड़ से नीचे उतर गये। सावित्री ये देखकर परेशान हो गईं।
सत्यवान के सिर को अपनी गोद में रखकर सावित्री सत्यवान का सिर सहलाने लगीं। तभी वहां यमराज पहुंचे। यमराज अपने साथ सत्यवान को ले जाने लगे। सावित्री भी यमरजान के पीछे-पीछे चल पड़ीं। यमराज ने सावित्री को समझाने की कोशिश की लेकिन सावित्री नहीं मानी।
सावित्री की निष्ठा देख कर यमराज ने सावित्री से कहा कि हे देवी, तुम धन्य हो। तुम मुझसे कोई वर मांगों। सावित्री ने कहा कि मेरे सास-ससुर वनवासी और अंधे हैं, उन्हें दिव्य ज्योति प्रदान करें। यमराज ने वरदान दे दिया और कहा कि अब जाओ लौट जाओ।
लेकिन सावित्री अब भी अपने पति सत्यवान के पीछे-पीछे चलती रहीं। यमराज ने कहा देवी तुम वापस जाओ। सावित्री ने कहा भगवन पति के पीछे चलना मेरा कर्तव्य है। यह सुनकर उन्होने फिर से उसे एक और वर मांगने के लिए कहा। तब सावित्री बोलीं हमारे ससुर का राज्य छिन गया है, उसे पुन: वापस दिला दें। यमराज ने सावित्री को ये वरदान भी दे दिया। लेकिन सावित्री अब भी पीछे-पीछे चलती रहीं। यमराज ने सावित्री को तीसरा वरदान मांगने के लिए कहा इस पर सावित्री ने 100 संतानों और सौभाग्य का वरदान मांगा। यमराज ने ये वरदान भी सावित्री को दे दिया।
लेकिन इस वरदान के मिलने के बाद भी सावित्री वापस नहीं लौटीं इस पर सावित्री ने यमराज से कहा कि प्रभु मैं एक पतिव्रता पत्नी हूं और आपने मुझे पुत्रवती होने का वरदान दिया है। यमराज जी समझ गए और सावित्री की बात सुनकर यमराज को सत्यवान के प्राण छोड़ने पड़े। यमराज अंतध्यान हो गए और सावित्री उसी वट वृक्ष के पास आ गई जहां उसके पति की मृत्यु हुई थी।
सावित्री के आते ही सत्यवान जीवंत हो गया और दोनों खुशी-खुशी अपने राज्य के लिए चल पड़े। दोनों जब घर पहुंचे तो देखा कि माता-पिता को दिव्य ज्योति प्राप्त हो गई है और उनके सारे दुख दूर हो गए। कहते हैं वट सावित्री व्रत करने और इस कथा को सुनने से जीवन साथी को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशियां भी बनी रहती हैं।
May 19, 2023 | 07:46 AM IST

Vat Savitri Vrat Puja Muhurat: वट सावित्री पूजा मुहूर्त

  • ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का शुभारंभ 18 मई 2023 की रात 9 बजकर 42 मिनट से हो चुका है।
  • ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की समाप्ति 19 मई, दिन शुक्रवार को रात 9 बजकर 22 मिनट पर होगी।
  • ऐसे में उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री का व्रत 19 मई, दिन शुक्रवार को पड़ा है।
  • वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त 19 मई की सुबह 7 बजकर 19 मिनट से शुरू हो चुका है जिसकी समाप्ति 10 बजकर 42 मिनट पर होगी।
May 19, 2023 | 07:19 AM IST

Ganesh Ji Ki Kahani: गणेश जी की कहानी

पौराणिक कथा अनुसार एक बुढ़िया माई थी वो रोजाना मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। लेकिन एक दिन उसके मिट्टी के गणेश गल गए। उसी के घर के पास एक सेठ का मकान बन रहा था। वो मकान बनाने वाले कारिगरों से बोली कि मेरे लिए पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले जितने में हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार ना चिनेंगे।
बुढ़िया को बहुत बुरा लगा उसने बोला राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। बुढ़िया के बोलते ही उनकी दीवार टेढ़ी हो गई। जितनी बार वो दीवार चिनें वो ढा देवें, चिने और ढा देवें। इस तरह करते-करते शाम हो गई। शाम को सेठ आए उन्होंने देखा कि आज तो कोई काम ही नहीं हुआ है। तब एक मिस्त्री ने बुढ़िया माई के बारे में उन्हें बताया।
वो कहने लगे एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा पत्थर का गणेश घड़ दो, हमने उसका काम नहीं किया उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से दीवार सीधी नहीं बन रही है। सेठ ने बुढ़िया को बुलवाया सेठ ने कहा हम आपके लिए सोने का गणेश गढ़ देंगे। हमारी दीवार सीधी कर दो। सेठ ने बुढ़िया को सोने के गणेश जी दिए। इससे सेठ की दीवार सीधी हो गई। जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसी सबकी करना।
May 19, 2023 | 06:36 AM IST

वट सावित्री व्रत 2023 पूजा मुहूर्त (Vat Savitri 2023 Shubh Muhurat)

वट सावित्री व्रत का पूजा मुहूर्त 19 मई, दिन शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से शुरू होगा।
वट सावित्री व्रत का पूजा मुहूर्त 19 मई, दिन शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर संपन्न होगा।
May 19, 2023 | 06:09 AM IST

Vat Savitri Vrat Aarti: वट सावित्री व्रत आरती

वट सावित्री व्रत की आरती
अश्वपती पुसता झाला।।
नारद सागंताती तयाला।।
अल्पायुषी सत्यवंत।।
सावित्री ने कां प्रणीला।।
आणखी वर वरी बाळे।।
मनी निश्चय जो केला।।
आरती वडराजा।।1।।
दयावंत यमदूजा।
सत्यवंत ही सावित्री।
भावे करीन मी पूजा।
आरती वडराजा ।।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी।
करिती पूजन वडाशी ।।
त्रिरात व्रत करूनीया।
जिंकी तू सत्यवंताशी।
आरती वडराजा।।2।।
स्वर्गावारी जाऊनिया।
अग्निखांब कचलीला।।
धर्मराजा उचकला।
हत्या घालिल जीवाला।
येश्र गे पतिव्रते।
पती नेई गे आपुला।।
आरती वडराजा।।3।।
जाऊनिया यमापाशी।
मागतसे आपुला पती।
चारी वर देऊनिया।
दयावंता द्यावा पती।
आरती वडराजा ।।4।।
पतिव्रते तुझी कीर्ती।
ऐकुनि ज्या नारी।।
तुझे व्रत आचरती।
तुझी भुवने पावती।।
आरती वडराजा ।।5।।
पतिव्रते तुझी स्तुती।
त्रिभुवनी ज्या करिती।।
स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया।
आणिलासी आपुला पती।।
अभय देऊनिया।
पतिव्रते तारी त्यासी।।
आरती वडराजा।।6।।
May 19, 2023 | 05:41 AM IST

Vat Savitri Vrat Upay: आर्थिक परेशानियां दूर करने के लिए वट सावित्री व्रत पर करें ये काम

वट सावित्री व्रत वाले दिन किसी सुनसान जगह पर गड्ढा खोदकर उसमें सुरमा डाल दें। कहते हैं ऐसा करने से आपके आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
May 19, 2023 | 05:15 AM IST

Vat Savitri Vrat Katha: वट सावित्री व्रत कथा

पौराणिक कथा अनुसार भद्र देश के राजा अश्वपति की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिदिन एक लाख आहुतियां दीं। ये काम अठारह वर्षों तक जारी रहा। इसके बाद सावित्री देवी प्रकट हुई और उन्होंने वर दिया कि राजन तुझे एक तेजस्वी कन्या पैदा होगी। राजा को सावित्री देवी की कृपा से एक पुत्री की प्राप्ति हुई जिसका नाम सावित्री रखा गया। पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
May 19, 2023 | 05:02 AM IST

Vat Savitri Puja Samagri: वट सावित्री पूजा सामग्री

इस दिन की पूजा में मौसमी फल, खरबूजा, गंगाजल, अक्षत, रक्षा सूत्र, चना, फूल, सिंदूर, धूप, गेहूं के आटे की पूरियां, गेहूं के आटे से बने गुलगुले, अगरबत्ती, रोली, मिट्टी का दीपक, सोलह श्रृंगार की सामग्री, पान, सुपारी, नारियल, भीगा चना, जल का लोटा, बरगद की कोपल, कपड़ा, मिठाई, चावल, हल्दी, हल्दी का पेस्ट, और गाय का गोबर आदि अवश्य रखें।
May 18, 2023 | 11:15 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023 Live - पति के दीर्घायु की प्राप्ति

Vat Savitri Vrat 2023 Live वट सावित्री व्रत का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से बरगद के वृक्ष की पूजा अर्चना करने व परिक्रमा करने से पति के जीवन में आने वाले सभी कष्टों का निवारण होता है। तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
May 18, 2023 | 10:31 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत के लिए शुभ मुहूर्त

वट सावित्री व्रत के लिए ज्योतिष के अनुसार सुबह 6 बजे से लेकर 11 बजे तक का समय एकदम बढ़िया है। वहीं दूसरा मुहूर्त दोपहर 12:24 से लेकर 2 बजे तक का है
May 18, 2023 | 10:19 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: 25 साल बाद बना है शुभ योग

ज्योतिष के अनुसार वट सावित्री वाले व्रत के दिन पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग करीब 25 सालों बाद बन रहा है। इसलिए इस साल वट सावित्री व्रत करना सुहागिन महिलाओं के लिए दोगुना फलदाई साबित होगा
May 18, 2023 | 10:07 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: कितनी बार लें वटवृक्ष की परिक्रमा

वटवृक्ष की परिक्रमा करते वक्त व्रत वाली महिलाएं ध्यान रखें कि आपको हाथ में कच्चा सूत लेकर 7 बार परिक्रमा करना होता है।
May 18, 2023 | 09:46 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: मिलता है विशेष फल

वट सावित्री का व्रत रखने से प्रभु ईश्वर प्रसन्न होकर, जातकों को संतान की सौगात भी देते हैं।
May 18, 2023 | 08:58 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री पूजा में चने क्यों हैं जरूरी?

वट सावित्री पूजा में भिगोएं हुए काले चने वट वृक्ष को अर्पित करने का बहुत गहरा महत्व होता है। क्योंकि यमराज ने चने के रूप में ही सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लौटाए थे।
May 18, 2023 | 08:52 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: नई सुहागिन रखें ध्यान

जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रही हैं, वे अवश्य ही आंगन में बरगद का पौधा लगाएं। इससे पारिवारिक और आर्थिक स्थिति बेहतरीन रहेगी।
May 18, 2023 | 08:28 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट वृक्ष पूजन का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई रात 9 बजकर 42 मिनट से होगी एवं इसका समापन 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट पर होगा।
May 18, 2023 | 08:05 PM IST

Vat Savitri 2023: श्री कृष्ण का है खास संबंध

ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ साथ श्री कृष्ण का भी वट सावित्री के व्रत से गहरा संबंध है। मान्यता है कि, प्रलय के अंत में श्री कृष्ण वट वृक्ष के पत्ते से ही प्रकट हुए थे।
May 18, 2023 | 07:47 PM IST

Vat Savitri 2023: वट सावित्री व्रत में बरगद क्यों पूजते हैं?

वट सावित्री व्रत में खास वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ को पूजा जाता है, सनातन धर्म के अनुसार वट को देव वृक्ष माना जाता है। कहते हैं कि बरगद के पेड़ पर ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सावित्री-सत्यवान विराजमान होते हैं।
May 18, 2023 | 07:27 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री का व्रत कैसे समाप्त करें?

वट सावित्री के व्रत को विधि अनुसार करना बहुत आवश्यक है, इसलिए पूजा और आरती के पश्चात व्रत को खत्म करने के लिए सुहागिनों को वट वृक्ष की कोपल खानी होती है। और तभी व्रत का समापन विधि पूर्वक होगा।
May 18, 2023 | 07:04 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: सास को वस्त्र देना है महत्वपूर्ण

पति के लिए वट सावित्री व्रत रखने के साथ साथ पूजन समाप्त करने पर सास को नए वस्त्र और कुछ धन देना बहुत ही लाभदायक होता है। सास का आशीर्वाद आपके वैवाहकि जीवन में खुशियां भर देगा।
May 18, 2023 | 06:37 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: ऐसे करें परिक्रमा

वट सावित्री की पूजा का विधिवत समापन तभी होगा, जब महिलाएं हाथ में कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करें।
May 18, 2023 | 06:23 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री पूजा विधि

वट वृक्ष के नीचे सत्यवान और सावित्री की प्रतिमा स्थापित करें, फिर वटवृक्ष उसकी जड़ में जल, फूल-धूप और मिठाई अर्पित कर विधिपूर्वक पूजन करें।
May 18, 2023 | 05:57 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री पूजा की सामग्री

सावित्री-सत्यवान की प्रतिमा, वट वृक्ष, कलावा, भीगे हुए काले चने, मिट्टी का दीया, सिंदूर, अक्षत, रोली, पान का पत्ता, सुपारी, नारियल, पूजा थाली, कपड़ा, फूल
May 18, 2023 | 05:39 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: क्यों वट सावित्री का व्रत महत्वपूर्ण है?

वट सावित्री का व्रत बहुत ही बड़ा व्रत माना जाता है, सावित्री व्रत को सौभाग्य प्राप्ति का व्रत कहते हैं। जिसको विधिपूर्वक करने पर आपका सुहाग और वैवाहिक जीवन कुशल-मंगल रहेंगे।
May 18, 2023 | 05:07 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री में किनकी पूजा की जाती है

सुहागिन महिलाएं वट यानि बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इस पेड़ में भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश एक साथ वास करते हैं। ऐसे में जब वट सावित्री व्रत के दिन इस पेड़ की पूजा की जाती है तो महिलाओं के पतियों को अखंड जीवन का वरदान प्राप्त होता है।
May 18, 2023 | 04:44 PM IST

पहली बार रख रही हैं वट सावित्री व्रत तो इस बात का रखें ध्यान

मान्यताओं अनुसार पहली बार का वत सावित्री व्रत मायके में करना चाहिए। इस दिन मायके से आई सुहाग सामग्रियों का ही प्रयोग करना चाहिए
May 18, 2023 | 04:21 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत पर बन रहा शुभ योग

वट सावित्री व्रत के दिन शोभन योग का निर्माण भी हो रहा है, जो शाम 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। माना जाता है कि इस अवधि में पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
May 18, 2023 | 03:54 PM IST

वट सावित्री व्रत क्यों रखा जाता है

ये व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए वट सावित्री पूजा करती हैं। उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत 19 मई को मनाया जाएगा।
May 18, 2023 | 03:29 PM IST

वट सावित्री व्रत 2023 मुहूर्त (Vat Savitri Vrat 2023 Muhurat)

वट सावित्री व्रत 19 मई, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। वट सावित्री अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई की रात 09:42 PM से होगी और इसकी समाप्ति 19 मई 2023 को 09:22 PM पर होगी।
May 18, 2023 | 02:39 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: पीरिड्स में वट सावित्री पूजा कैसे करें?

पीरिड्स के दौरान भी आप पूजा कर सकती हैं। ऐसे में आप मानसिक रूप से भगवान की आस्था करें। इस दौरान दूर बैठकर किसी अन्य व्यक्ति से पूजा करवाई जा सकती है। इस दौरान पूजा-पाठ के सामान को भी नहीं छूना चाहिए। पीरियड्स के दौरान आपको मन में मंत्रों का जाप करना चाहिए।
May 18, 2023 | 02:03 PM IST

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत कैसे करें

वट सावित्री व्रत के एक दिन पहले से ही व्रत रखने की तैयारी शुरू हो जाती है। व्रत से एक दिन पहले ही व्रत रखने का संकल्प लें। व्रत वाले दिन निराहार रहें। यानि अन्न का सेवन न करें। हालांकि जल ग्रहण कर सकते हैं। संभव हो तो वट सावित्री व्रत वाले दिन पीले वस्त्र धारण करें। अगर पहली बार ये व्रत कर रही हैं तो अपने मायके से इस व्रत का प्रारंभ करें। इस दिन सुहाग की सामग्री भी मायके से ही प्रयोग करनी चाहिए। इस व्रत को सच्चे मन से रखें। इस व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा जरूर करें। वट सावित्री व्रत में आम, पुआ, चना, पूरी, खरबूजा आदि चीजों से वट वृक्ष की पूजा होती है। व्रत का पारण 11 भीगे हुए चने खाकर करें।

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