Vat Savitri Date 2024: जानिए साल 2024 में वट सावित्री पूजा कब है, अगर शादी के बाद पहली बार रख रही हैं ये व्रत तो जान लें इसकी तिथि, महत्व, पूजा विधि और नियम
Vat Savitri 2024 Date: वट सावित्री व्रत साल में दो पड़ता है एक बार ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को तो दूसरी बार पूर्णिमा के दिन। ज्यादातर महिलाएं अमावस्या तिथि वाला वट सावित्र व्रत रखती हैं। यहां जानिए इस साल वट सावित्री व्रत कब है।
Vat Savitri Vrat 2024
Vat Savitri Puja 2024 Date (वट सावित्री व्रत 2024): वट सावित्री व्रत का भारत में खास महत्व माना जाता है। प्रत्येक वर्ष में दो बार ये व्रत पड़ता है। जिसमें ज्येष्ठ अमावस्या वाला वट सावित्र व्रत पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और हरियाणा में प्रसिद्ध है तो वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा वाला वट सावित्री व्रत महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता है। इस साल वट सावित्री अमावस्या व्रत (Vat Savitri Amavasya Vrat 2024) 6 जून को रखा जाएगा तो वट सावित्री पूर्णिमा व्रत (Vat Savitri Purnima Vrat 2024) 21 जून को पड़ेगा। यहां जानिए वट सावित्री व्रत 2024 की तारीख, मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।
वट सावित्री व्रत 2024 (Vat Savitri Vrat 2024)
इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून और 21 जून को रखा जाएगा। जानिए दोनों दिन के व्रत का समय क्या रहेगा।
तारीख | तिथि | प्रारंभ समय | समाप्ति समय |
6 जून 2024 | अमावस्या | 5 जून, 07:54 PM | 6 जून, 06:07 PM |
21 जून 2024 | पूर्णिमा | 21 जून, 07:31 AM | 22 जून, 06:37 AM |
वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री (Vat Savitri Vrat Puja Samagri)
- सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां या चित्र
- धूप
- सुहाग का सामान
- कच्चा सूत
- चने
- दीप
- घी
- बांस का पंखा
- लाल कलावा
- बरगद का फल
- एक जल से भरा कलश
वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)
- व्रती महिलाएं व्रत वाले दिन प्रातःकाल उठ जाएं और अच्छे से घर की सफाई करें।
- इसके बाद स्नान करें और अच्छे से तैयार हो जाएं।
- फिर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करके घर को पवित्र करें।
- इसके बाद एक बांस या फिर पीतल की टोकड़ी में पूजा का सारा सामान रख लें।
- सबसे पहले घर में विधि विधान पूजा करें। भगवान सूर्य को लाल पुष्प के साथ तांबे के किसी पात्र से अर्घ्य दें।
- इसके बाद वट वृक्ष पर जाएं।
- सबसे पहले वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। फिर देवी सावित्री को वस्त्र और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
- इसके बाद वट वृक्ष को फल व पुष्प अर्पित करें और फिर पंखा झेलें।
- फिर कच्चा धागा वृक्ष के तने के चारों ओर लपेटते हुए तीन बार पेड़ की परिक्रमा करें।
- परिक्रमा के बाद बरगद के पेड़ के पत्तों के गहने बनाकर उन्हें पहन लें और फिर वट सावित्री की ध्यान पूर्वक कथा सुनें।
- कथा सुनने के बाद भीगे हुए चनों का बायना निकाला जाता है और फिर उस पर कोई भेट रखकर अपनी सास या सास समान किसी बड़ी महिला को दे दिया जाता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
- पूजा समाप्ति के बाद ब्राह्मणों को वस्त्र, फल व अन्य दान की वस्तुएं बांस के किसी पात्र में रखकर जरूर दें।
- इस तरह से पूजन करने के बाद पूरे दिन व्रत रहें।
वट सावित्र व्रत का महत्व (Vat Savitri Vrat Ka Mahatva)
मान्यता है वट सावित्री व्रत रखने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। इसके अलावा सावित्री का व्रत ऐसी महिलाएं भी रखती हैं जिन्हें संतान प्राप्ति की इच्छा हो। इतना ही नहीं कुंवारी कन्याएं भी मन चाहे और सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत रख सकती हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार सावित्री नाम की महिला की निष्ठा और पतिव्रता से प्रसन्न होकर यमराज ने उसके मृत पति को जीवनदान दे दिया था। इसलिए कहा जाता है कि जो महिला वट सावित्र व्रत को नियम से रखती है उसके पति के जीवन पर कोई संकट नहीं आता है। ये व्रत अकाल मृत्यु से बचाता है।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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