Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा से जानिए इस व्रत का महत्व

Vighnaraja Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi (संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा): आज विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत है। मान्यता है इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के जीवन कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती। इस दिन गणेश जी की विधि विधान पूजा करने के बाद इसकी चतुर्थी की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।

Vighnaraja Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi

Vighnaraja Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi (संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा): आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। ये व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। नारद पुराण के अनुसार इस संकष्टी चतुर्थी पर पूरे दिन उपवास रखना चाहिए। फिर शाम में संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा सुननी चाहिए। जो व्यक्ति इस चतुर्थी पर विधि विधान भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां देखें विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा हिंदी में।

Vighnaraja Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi

एक समय की बात है बाणासुर की कन्या उषा ने सोते समय अनिरुद्ध का सपना देखा, अनिरुद्ध से अलग होने की वजह से वह इतनी अभिलाषी हो गई कि उसके चित को किसी भी प्रकार से शांति नहीं मिल रही थी। उसने अपनी सहेली चित्रलेखा से त्रिभुवन में रहने वाले सभी लोगों के चित्र बनवाए।

जब चित्र में उसने अनिरुद्ध को देखा तो कहा मैंने इसी व्यक्ति को अपने सपने में देखा था। इसी के साथ मेरा पाणिग्रहण भी हुआ था। उसने अपनी सहेली से कहा कि हे सखी! यह व्यक्ति जहां कही भी हो इसे ढूंढ लाओ। अन्यथा इसके वियोग में मैं अपने प्राण त्याग दूंगी।

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