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Vijaya Ekadashi Vrat Katha 2025: लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले भगवान राम ने भी रखा था ये व्रत, जान लें इसकी पौराणिक कथा

Vijaya Ekadashi Vrat Katha (विजया एकादशी व्रत कथा): सनातन धर्म में विजया एकादशी व्रत का खास महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने भी ये व्रत रखा था। यहां जानिए इसकी पौराणिक कथा।

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Vijaya Ekadashi Vrat Katha

Vijaya Ekadashi Vrat Katha (विजया एकादशी व्रत कथा): विजया एकादशी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। मान्यताओं अनुसार इस दिन व्रत रखने से कार्यों में सफलता यानी विजय की प्राप्ति होती है। इस साल विजया एकादशी 24 फरवरी 2025, सोमवार को मनाई जा रही है। पद्म और स्कन्द पुराण में इस एकादशी का वर्णन मिलता है। कहते हैं यदि कोई व्‍यक्‍ति अपने शत्रुओं से घिरा हुआ है, तो उसे विजया एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। इससे शत्रुओं से मुक्ति मिल जाती है। यहां जानिए विजया एकादशी की पौराणिक कथा।

विजया एकादशी की कथा (Viajya Ekadashi Vrat Katha)

विजया एकादशी व्रत की पौराणिक कथा अनुसार द्वापर युग में पांडवों को एक समय फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की इच्छा हुई। तब पांडवों ने भगवान कृष्ण से इस एकादशी के महत्व के बारे में पूछा। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि हे पांडव! सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से इस व्रत की कथा के बारे में जाना था। अब आप इस कथा के बारे में जानने वाले हैं।

त्रेता युग में जब भगवान राम ने माता सीता को छुड़ाने के लिए लंका की तरफ अपनी विशाल सेना के साथ प्रस्‍थान किया था। तो उस समय लंका और भगवान राम के बीच एक विशाल सागर आ खड़ा हुआ था। सब सोचने लगे थे कि कैसे इस सागर को पार किया जाए। तब लक्ष्मण जी ने कहा ‘यहां से आधे योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इस समस्या का हल अवश्य होगा।'

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