Vijaya Ekadashi Parana Time 2024: विजया एकादशी व्रत पारण समय यहां देखें
Vijaya Ekadashi Parana Time 2024: विजया एकादशी व्रत का पारण 7 मार्च को यानी आज किया जाएगा। जानिए व्रत खोलने का समय क्या रहेगा।
Vijaya Ekadashi Parana Time 2024
Vijaya Ekadashi Puja Vidhi In Hindi: हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार विजया एकादशी का व्रत करने से हर काम में विजय यानी की सफलता की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने भी लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले इस एकादशी की पूजा की थी। इसलिए जो व्यक्ति विजया एकादशी का व्रत रखता है उसके सारे काम बनते हैं और अंत में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यहां जानिए विजया एकादशी पारण समय।
विजया एकादशी व्रत पारण समय 2024 (Vijaya Ekadashi Vrat Parana Time 2024)
विजया एकादशी व्रत का पारण समय 7 मार्च की दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से शाम 4 बजकर 4 मिनट तक तक रहेगा। वहीं पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त सुबह 09 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगा
विजया एकादशी की पूजा विधि (Vijaya Ekadashi Puja Vidhi)
- विजया एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और फिर व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद विधि विधान कलश स्थापना करें।
- इसके बाद किसी साफ चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- तस्वीर पर गंगा जल के साथ चावल और रोली भी छिड़कें।
- भगवान की प्रतिमाक के समक्ष घी के दीपक जलाएं।
- संभव हो तो पूजा के समय विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरूर करें।
- विष्णु जी और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप भी करें।
- विजया एकादशी की व्रत कथा सुनें।
- अंत में भगवान की आरती करें और उन्हें भोग अर्पित करें।
- इस व्रत में शाम को आरती करने के बाद ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।
- तो वहीं व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी के दिन सुबह करना चाहिए।
- व्रत का पारण करने से पहले ज़रूरतमंद व्यक्ति को सामर्थ्य अनुसार भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
विजया एकादशी का महत्व (Vijaya Ekadashi Ka Mahatva)
कहते हैं जो कोई भी व्यक्ति विजया एकादशी का व्रत करता है उसे धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती साथ ही इस व्रत को करने से इंसान को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। कहते हैं लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले प्रभु श्री राम ने भी इस व्रत को किया था।
विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Vrat Katha)
कहते हैं त्रेता युग में जब भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे थे। तब मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की लेकिन समुद्र देव ने मार्ग नहीं दिया। कहते हैं तब श्री राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा से विजय एकादशी का व्रत किया। जिसके प्रभाव से समुद्र ने भगवान को मार्ग प्रदान किया। इस तरह से विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय पाने में सहायक सिद्ध हुआ।
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