Vikat Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Katha: विकट संकष्टी चतुर्थी आज, यहां पढ़ें व्रत कथा हिंदी में

Vikat Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Katha In Hindi: सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। विकट संकष्टी चतुर्थी को सभी संकष्टी चतुर्थी में सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि, इस दिन विधि विधान से विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तथा व्रत कथा का पाठ करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। यहां हम आपके विकट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा लेकर आए हैं।

vikat Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi

vikat Sankashti Chaturthi Vrat Kath: यहां पढ़ें विकट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा

मुख्य बातें
  • आज यानी 09 अप्रैल 2023 को विकट संकष्टी चतुर्थी।
  • इस विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा का विधान।
  • गणेश जी की इस कथा को पढ़ने मात्र से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं।

Vikat Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Katha, Kahani In Hindi: संकष्टी चतुर्थी व्रत, हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। वैशाख माह की संकष्टी चतुर्थी इस बार 09 अप्रैल (Vikat Sankashti Chaturthi 2023) को है। यह व्रत विवेक, बुद्धि और बल के देवता गणेश भगवान को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से गणेश जी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं। तथा जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। वहीं इस दिन कुछ खास उपाय करने से गणेश जी का आशीर्वाद अपने भक्तों पर सदैव बना (Vikat Sankashti Chaturthi Vrat Katha) रहता है।

विष्णु पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार बिना व्रत कथा का पाठ किए पूजा को संपूर्ण नहीं माना (Sankashti Chaturthi Vrat Katha in hindi) जाता है। ऐसे में व्रत कथा व आरती का पाठ ( जरूर करें। मान्यता है कि कथा सुनने मात्र से भक्तों के सारे दुख, कष्ट, रोग, दोष आदि दूर होते हैं और गणपति जी की कृपा बरसती है। इसके साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली भी आती है। ऐसे में यहां हम आपके लिए विकट संकष्टी चतुर्थी की कथा व कहानी लेकर आए हैं।

Vikat Sankashti Chaturthi Vrat Katha in Hindi: व‍िकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

संकष्टी चतुर्थी को लेकर कई पौराणिक ग्रंथों में कथाएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक है- माता पार्वती और भगवान शिव की कथा। एक बार भगवान शिव संग माता पार्वती नदी किनारे बैठे थे, तभी उनका मन चौसर खेलने का हुआ। लेकिन खेल की निगरानी करने वाला कोई तीसरा नहीं था। इसके लिए भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से एक बालक को प्रकट किया। उन्होंने बालक को खेल की निगरानी और अंत में विजेता की घोषणा करने का आदेश दिया। इस प्रकार, भगवान शिव और माता पार्वती ने खेल खेलना शुरू किया। खेल के दौरान देवी पार्वती ने लगातार तीन बार जीत हासिल किया। लेकिन, बालक ने है बार भगवान शिव को ही विजेता घोषित किया।

यह सुन माता पार्वती ने क्रोध में आकर बालक को श्राप दे दिया कि वह लंगड़ा हो जाए। इसके बाद बालक माता पार्वती से क्षमा मांगने लगा। माता ने बालक की विनती को सुन कहा कि दिया हुआ श्राप तो अब वापस नहीं लिया जा सकता। परंतु, एक उपाय है जिससे वह श्रापमुक्त हो सकता है। माता ने कहा कि संकष्टी वाले दिन यहां पर पूजा अर्चना करने कुछ कन्याएं आती हैं। तुम उनसे व्रत की विधि जानकर पूजन करो। इससे तुम्हे श्राप से मुक्ति मिल जाएगी।

माता पार्वती के कहे अनुसार, लड़के ने कन्याओं से व्रत की विधि पूछा। कन्याओं ने बालक को कहा, सुनों तुम श्राप से मुक्ति पाने के लिए 21 दिनों का व्रत करो।

माता पार्वती और उन कन्याओं के सुझाव अनुसार, बालक ने संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करके विधि अनुसार पूजा पाठ किया। बालक के पूजन से गणेश जी बेहद प्रसन्न हुए। गणेश जी ने उससे उसकी इच्छा पूछा, तब बालक ने माता पार्वती और शंकर भगवान के पास जाने की इच्छा जाहिर की। गणेश जी ने तथास्तु कहकर उसे शिवलोक यानि कैलाश पहुंचा दिया। वहां बालक को सिर्फ भगवान शिव जी से ही मुलाकात हुई, क्योंकि माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर कैलाश छोड़ चली गई थी।

भगवान शिव ने भी रखा था मां पार्वती के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत

बालक को देख भगवना शिव ने उससे पूछा कि वह यहां कैसे पहुंचा, तब बालक ने संकष्टी चतुर्थी के व्रत की विधि और महत्व को बताया। इसके बाद भगवान शिव ने भी माता पार्वती को मनाने के लिए संकष्टी चतुर्थी के व्रत और पूजन का पालन किया। इस व्रत से प्रसन्न होकर माता पार्वती कैलाश वापस आ गई।

इस तरह इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन सच्चे मन से विधि पूर्वक विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं, घर परिवार में चल रही विपदा दूर होती है और कष्टों का निवारण होता है।

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