Vinayak Chaturthi Katha: हर परेशानी से मुक्ति पाने के लिए विनायक चतुर्थी पर जरूर पढ़ें ये कथा

Vinayak Chaturthi 2025 Vrat Katha: 3 जनवरी 2025 को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के समय ये पौराणिक कथा जरूर पढ़ें। कहते हैं इससे गणेश भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Vinayak Chaturthi Katha

Vinayak Chaturthi 2025 Katha In Hindi

Vinayak Chaturthi 2025 Vrat Katha: हिंदू कैलेंडर अनुसार हर महीने में दो गणेश चतुर्थी पड़ती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है तो वहीं कृ्ष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। 3 जनवरी 2025 को विनायक चतुर्थी पड़ रही है। अगर आप विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं तो इस दिन गणपति बप्पा की कृपा पाने के लिए ये पौराणिक कथा जरूर पढ़ें। मान्यताओं अनुसार इस कथा को पढ़ने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

Sakat Chauth 2025 Date

विनायक चतुर्थी व्रत कथा (Vinayak Chaturthi Vrat Katha In Hindi)

विनायक चतुर्थी की पौराणिक कथा अनुसार एक बार माता पार्वती और भगवान शिव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। तब खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए महादेव ने एक पुतला बनाया और फिर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी। फिर भगवान महादेव ने उस बालक को खेल के विजेता का फैसला करने की जिम्मेदारी दे दी। उस खेल में संयोग से तीनों बार माता पार्वती जीत गईं। जब खेल समाप्त हुआ तो बालक ने महादेव को विजयी बताया। यह सुनकर माता पार्वती को गुस्सा आ गया और उन्होंने बालक को अपाहिज होने का शाप दे दिया।

बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने तुरंत माता से क्षमा मांगी। तब माता पार्वती ने बालक से कहा कि अब वो शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका उपाय जरूर किया जा सकता है। माता पार्वती ने बालक को कहा कि एक दिन यहां पर भगवान गणेश की पूजा के लिए नाग कन्याएं आएंगी। तब तुम उनके कहे अनुसार व्रत करना, जिससे तुमको इस शाप से मुक्ति मिल जाएगी। बालक कई सालों तक इस शाप से जूझता रहा। फिर एक दिन नाग कन्याएं आईं। तब उनसें बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी। फिर बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश प्रकट हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा।

बालक ने भगवान गणेश से कहा कि हे भगवान मुझे इतने शक्ति दें कि मैं अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकूं। भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद बालक कैलाश पर्वत पहुंचा और उसने अपने शाप से मुक्ति की कथा भगवान महादेव को सुनाई। चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट हो गई थीं। तब बालक के कहे अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों का भगवान गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती की नाराजगी तुरंत खत्म हो गई। मान्यता है कि जो कोई भी विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है और विधि विधान व्रत रखता है उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही इस कथा को सुनने व पढ़ने मात्र से ही जीवन में आने सभी विघ्न दूर होते हैं।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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