Vinayak Chaturthi Katha In Hindi: विनायक चतुर्थी व्रत कथा हिंदी में यहां देखें

Ganesh (Vinayak) Chaturthi Katha In Hindi: विनायक चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। इस व्रत में इस पावन कथा को पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।

Vinayak Chaturthi Katha

विनायक या गणेश चतुर्थी की पावन कथा यहां देखेंं

Ganesh Chaturthi Katha: विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। पंचांग अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी आती है। एक शुक्ल पक्ष चतुर्थी और दूसरी कृष्ण पक्ष चतुर्थी। कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तो शुक्ल पक्ष चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इन दोनों ही चतुर्थी में विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। 23 फरवरी को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। व्रत रखने वाले इस दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा।

विनायक चतुर्थी व्रत कथा हिंदी में (Vinayak/Ganesh Chaturthi Vrat Katha In Hindi)

किसी समय नर्मदा नदी के तट पर माता पार्वती और भगवान शिव चौपड़ खेल रहे थे। खेल में निर्णायक की भूमिका निभाने के लिए भगवान शिव ने मिट्टी का एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डालकर उसे जीवित कर दिया। भगवान शिव ने उस बालक से कहा कि वह विजेता का फैसला करेगा। माता पार्वती और शिव खेल में व्यस्त हो गए। इस तरह से माता पार्वती और भगवान शिव के बीच में तीन बार चौपड़ का खेल हुआ। जिसमें माता पार्वती की जीत हुई, लेकिन बालक ने भगवान शिव को विजेता घोषित कर दिया। बालक के गलत फैसले पर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को अपाहिज रहने के श्राप दे दिया।

जिसके बाद बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगते हुए कहा कि माता मेरे से ऐसा भूलवश हो गया है। जिस पर माता पार्वती ने कहा कि दिया हुआ श्राप अब वापस नहीं हो सकता है। हालांकि मााता पार्वती ने बालक को श्राप से मुक्ति होने का एक उपाय बताया। बालक द्वारा माता पर्वती से श्राप से मुक्ति का उपाय पूछने पर उन्होंने बताया कि भगावन गणेश की पूजा के लिए नागकन्याएं आएंगी। फिर उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा। जिसके बाद तुम्हे श्राप से मुक्ति मिल जाएगी।

वो बालक कई वर्षों तक श्राप से जूझता रहा। फिर एक दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए नागकन्याएं आईं जिनसें बालक ने गणेश व्रत की महिमा और विधि पूछी। नागकन्याओं के कहे अनुसार वो बालक सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने लगा। कहते हैं कि बालक की भक्ति को देखकर भगवान गणेश ने उसे दर्शन देकर वरदान मांगने के लिए कहा। उस पर उस बालक ने कहा- 'हे विनायक! मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकूं।

भगवान गणेश बालक को यह वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और कैलाश पर्वत पर पहुंचकर उसने अपने श्राप मुक्त होने की कथा भगवान शिव को सुनाई। उस समय माता पार्वती शिवजी से विमुख हो गई थीं अत: देवी के रुष्ट होने पर भगवान शिव ने भी बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी, वह समाप्त हो गई। मान्यता है कि जो भी भगवान गणेश की आराधना करता है उसके सारे दुख दूर होते हैं।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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